देहरादून। सचिवालय संघ के शपथ ग्रहण समारोह को लेकर संघ और शासन आमने-सामने आ गए हैं। शुक्रवार को संघ के शपथ ग्रहण में न मुख्य अतिथि पहुंचे और विशिष्ट अतिथि ही। संघ ने सरकार पर कर्मचारी विरोधी रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए इसकी भर्त्सना की है। वहीं, शासन ने संघ के चुनाव में प्रक्रिया का पालन न होने की बात कहते हुए संघ को कारण बताओ नोटिस भेजा है। शुक्रवार को सचिवालय में आयोजित संघ का शपथ ग्रहण समारोह था। संघ का आरोप है कि दोपहर साढ़े बारह बजे से होने वाले समारोह के दौरान जब साउंड सिस्टम शुरू हुआ तो इसे बंद करा दिया गाय। इस बीच समारोह में भाग लेने आ रहे मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल भी आधे रास्ते से वापस लौट गए, जबकि विशिष्ट अतिथि मुख्य सचिव ओमप्रकाश व अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी भी समारोह में नहीं पहुंचे।
हालांकि, बाद में बिना साउंड सिस्टम के ही सचिवालय सेवा के वरिष्ठ अधिकारी संयुक्त सचिव जेएल शर्मा ने संघ की नई कार्यकारिणी को शपथ ग्रहण कराई। इस मौके पर यह भी निर्णय लिया गया कि भविष्य में संघ का शपथ ग्रहण अपनी ही सेवा के वरिष्ठतम अधिकारी से कराया जाएगा। किसी भी राजनेता से हमेशा के लिए दूरी बना ली जाएगी।
संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी एवं महासचिव विमल जोशी ने सरकार पर कर्मचारी विरोधी रवैया अख्तियार करने का आरोप लगाते हुए इसकी भर्त्सना की। उन्होंने कहा कि सचिवालय सेवा के हितों के संरक्षण के लिए पुरजोर पैरवी की जाएगी। उन्होंने सभी कार्मिकों से एकजुट रहने की अपील भी की। उन्होंने कहा कि सचिवालय परिसर सचिवालय कार्मिकों का है। इसमें मान्यता प्राप्त संगठन सचिवालय संघ द्वारा आयोजित किए जाने वाले संघ के कार्यों के लिए किसी सक्षम अधिकारी की अनुमति की आवश्यकता नहीं है।
उधर, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की ओर से सचिवालय संघ को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि संघ के 22 जनवरी को हुए चुनाव में एक प्रत्याशी ने निर्वाचन प्रक्रिया में नियमों का पालन न होने का आरोप लगाया है। इस संबंध में अपर सचिव प्रताप सिंह शाह की अध्यक्षता में 11 फरवरी को जांच कमेटी गठित कर दी गई थी। यह कमेटी 14 दिन के भीतर अपनी आख्या उपलब्ध कराएगी। इसे देखते हुए 12 फरवरी को ही संघ को शपथ ग्रहण समारोह स्थगित रखने के निर्देश दिए गए थे। बावजूद इसके 26 फरवरी को शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया गया। इसकी अनुमति भी सचिवालय प्रशासन से नहीं ली गई थी। संघ को तीन दिन के भीतर जवाब देने को कहा गया है।