चंडीगढ़। दो महीने से अधिक समय से किसानों द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर संकट के समाधान में केंद्र द्वारा ‘पर्याप्त देरी’ को गंभीरता से लेते हुए पंजाब के राजनीतिक दलों ने मंगलवार को तीन नए केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग की। बैठक में पारित प्रस्ताव में कहा गया, “संकट के समाधान में केंद्र द्वारा ‘अनुचित देरी’ के चलते न केवल शांतिपूर्ण आंदोलनकारी और उनके परिवार पीड़ित हैं, बल्कि कई किसानों और कृषि मजदूरों को अपनी जान गंवानी पड़ी, जिससे उन्हें अपूरणीय क्षति हुई और देश के लोगों को दुख पहुंचा है।”
पार्टियों ने भारत सरकार से उन किसानों की शिकायतों का निवारण करने का आग्रह किया।
बैठक में ‘दिल्ली में प्रायोजित हिंसा’ की निंदा करते हुए, फैसला लिया गया कि एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेगा और किसानों के आंदोलन पर चिंता के अन्य मामलों के साथ-साथ इस मुद्दे को उठाएगा।
इस मुद्दे पर राज्य के दलों के बीच आम सहमति बनाने के लिए मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह द्वारा बैठक बुलाई गई। बैठक में 26 जनवरी को लालकिले पर हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं में शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार लोगों की लापरवाही की उचित न्यायिक जांच की मांग की गई।
सभी राजनीतिक दलों (बैठक का बहिष्कार करने वाली भाजपा को छोड़कर) के प्रतिनिधियों ने पंजाब से 32 सहित 40 किसान यूनियनों के समूह द्वारा की गई कार्रवाई और स्थिति की सराहना की।
आम आदमी पार्टी (आप) के प्रतिनिधि दिल्ली की सीमाओं पर विरोध कर रहे किसानों की सुरक्षा के लिए पंजाब पुलिस की तैनाती की अपनी मांग को लेकर वॉकआउट कर गए, फिर भी प्रस्ताव पारित हो गया। मुख्यमंत्री ने आप ेकी मांग को असंवैधानिक बताकर खारिज कर दिया।
बैठक के अंत में आप नेताओं द्वारा मुद्दा उठाए जाने पर अमरिंदर सिंह ने पूछा, “हम राज्यों के लिए अधिक संघीय शक्तियों के बारे में बात करते हैं, फिर हम यह कैसे कर सकते हैं?”
उन्होंने सवालिया लहजे में कहा, “अगर हिमाचल प्रदेश और हरियाणा पुलिस पंजाब में आती है तो आप क्या करेंगे?”
प्रस्ताव में केंद्र से न्यूनतम समर्थन मूल्य को किसानों का वैधानिक अधिकार बनाने का भी आह्वान किया गया और भारतीय खाद्य निगम व अन्य एजेंसियों के माध्यम से केंद्र द्वारा खाद्यान्नों की खरीद जारी रखने की मांग की।
बैठक में प्रस्तावित नए बिजली (संशोधन) अधिनियम, 2020 को वापस लेने के लिए केंद्र से आग्रह करते हुए नए पर्यावरण संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2020 को वापस लेने की भी मांग की गई।
संकल्प में किसानों के संघर्ष में योगदान देने के लिए उत्तर प्रदेश के किसान नेता राकेश टिकैत की सराहना की गई। साथ ही, पंजाब के किसानों को समर्थन देने के लिए हरियाणा के किसानों का आभार भी जताया गया।