बिलासपुर। सोमवार की आधी रात से देशभर के टोल में फास्टैग अनिवार्य हो गया है। इसी के साथ ही रायपुर रोड पर स्थित भोजपुरी टोल में भी फास्टैग से शुल्क कटना शुरू हो गया। हालांकि अधिकांश वाहन चालकों को पहले दिन इसकी जानकारी नहीं थी। वहीं कर्मचारी भी मनमानी पर उतर आए हैं। टोल में स्थित सात काउंटर में से सिर्फ तीन को ही खोला गया था। यहां फास्टैग व बिना फास्टैग लगे वाहनों एक ही लेन में खड़े कराने से चालकों को परेशानी हुई।
केंद्र सरकार ने नेशनल हाईवे में डिजीटली शुल्क लेने के लिए पूरे देश के टोल प्लाजा में यह व्यवस्था अनिवार्य कर दी है। इससे टोल प्लाजा में किसी रुकावट व विलंब के वाहन चालक सीधे आवाजाही कर सकेंगे। भोजपुरी स्थित टोल प्लाजा में सोमवार रात 12 बजे के पहले तक बेरोकटोक वाहन गुजरते रहे। जैसे ही रात 12 बजा टोल के कर्मचारी सक्रिय हो गए।
फिर उन्हीं वाहनों को काउंटर से प्रवेश दिया जा रहा था, जिनमें फास्टैग लगा था। जिन वाहनों में फास्टैग नहीं था उन चालकों से तय शुल्क से दुगुनी राशि वसूल की जा रही थी। अधिकांश वाहनों में फास्टैग नहीं था। इससे कई किलोमीटर तक वाहनों की कतार लग गई थी। टोल में विवाद की स्थिति भी निर्मित हुई।
फास्टैग के फायदे
किसी वाहन में फास्टैग स्टीकर लगा है तो वह बिना लाइन लगाए टोल प्लाजा बैरियर से आवाजाही कर सकता है। फास्टैग स्टीकर के माध्यम से सीधे उनके खाते से आनलाइन शुल्क कट जाएगा। इससे उन्हें टोल प्लाजा में रुकना नहीं पड़ेगा और वाहनों के ईंधन की बचत होगी।
क्या है फास्टैग
टोल प्लाजा में तुरंत आनलाइन पेमेंट करने में फास्टैग मदद करता है। इसके लिए फास्टैग लेते समय बैंक खाते का नंबर लिंक किया जाता है। इसके माध्यम से शुल्क की राशि सीधे संबंधित के बैंक खाते से कट जाती है।
अनिवार्यता की नहीं थी जानकारी
बिलासपुर से रायपुर की ओर जा रहे वाहन मालिक सागर बजाज ने नईदुनिया से चर्चा के दौरान कहा कि उन्हें मालूम नहीं था कि आज रात 12 बजे से फास्टैग अनिवार्य हो जाएगा। वाहन में फास्टैग नहीं लगे होने के कारण टोल में दुगुना जुर्माना भरना पड़ा। उनका कहना है कि कल ही वे फास्टैग बनवा लेंगे।
खाते में राशि होने के बाद भी पटाया जुर्माना
हरप्रीत सिंह ने बताया कि जनवरी में ही मैंने फास्टैग लगा लिया था। टोल में फास्टैग में गड़बड़ी होने की बात कहकर कर्मचारियों ने निर्धारित शुल्क का दुगुना जुर्माना वसूल कर लिया। कल इस संबंध में टोल फ्री नंबर पर जानकारी हासिल की जाएगी। इसके बाद इसकी शिकायत संबंधित अधिकारियों से की जाएगी।