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चंडीगढ़। हरियाणा में अब आंदोलनों के दौरान आगजनी या उपद्रव में सरकारी या फिर निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से भरपाई की जाएगी। न केवल तोड़फोड़ करने के आरोपितों, बल्कि उन्हें भड़काने वाले लोगों के साथ ही मौके पर मौजूद दूसरे लोगों से भी जुर्माना वसूला जाएगा। आरोपित अगर जुर्माना नहीं चुका पाए तो उनकी संपत्ति और बैंक खाते कुर्क कर दिए जाएंगे।

छह महीने तक हर्जाना नहीं देने पर उस पर छह फीसद ब्याज भी देना पड़ेगा। नुकसान के आकलन के लिए न्यूनतम एसडीएम स्तर के अफसर दावा आयुक्त लगाए जाएंगे और दावा अधिकरण भी गठित होगा। आरोपित अगर जुर्माने की 20 फीसद राशि जमा नहीं कर पाए तो हाई कोर्ट में चुनौती का अधिकार नहीं होगा।

 भारी हंगामे के बीच विधानसभा में संपत्ति क्षति वसूली विधेयक पारित

बृहस्पतिवार को हरियाणा विधानसभा में भारी हंगामे के बीच ‘हरियाणा लोक व्यवस्था में विघ्न के दौरान संपत्ति क्षति वसूली विधेयक’ पारित हो गया। राज्यपाल की मंजूरी के बाद अब बिल को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। उत्तर प्रदेश सरकार पहले ही ऐसा कानून बना चुकी है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल और गृहमंत्री अनिल विज ने शांतिपूर्ण आंदोलनों का समर्थन करते हुए जहां उपद्रव और तोड़फोड़ को रोकने के लिए यह कानून लाने की बात कही है, वहीं विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र ¨सह हुड्डा सहित पूरे विपक्ष ने इसे किसान आंदोलन से जोड़ा है।

उपद्रवियों को  भड़काने वालों के साथ ही मौके पर मौजूद दूसरे लोगों से भी वसूला जाएगा जुर्माना

विधानसभा में जैसे ही गृह मंत्री अनिल विज ने बिल पेश किया, कांग्रेस विधायकों ने जमकर हंगामा शुरू कर दिया। विपक्ष के नेता भूपेंद्र ¨सह हुड्डा, डा. रघुबीर कादियान और किरण चौधरी समेत तमाम कांग्रेस विधायकों ने इस विधेयक को तीन कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों के लिए जले पर नमक छिड़कने जैसा बताया। इस दौरान दोनों तरफ से आरोप-प्रत्यारोप के दौर चलते रहे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी और निजी संपत्ति के नुकसान को लेकर दोनों प्रावधान इस कानून में हैं। नुकसान करने वाले के मन में डर होना चाहिए। वहीं, विपक्ष ने बिल का विरोध करते हुए कहा कि यह बिना सोचे समझे बनाया गया है। इसे सेलेक्ट कमेटी में भेजा जाए।

इस दौरान कांग्रेस विधायक दो बार विधानसभा अध्यक्ष के आसन के सामने आए और जमकर नारेबाजी की। करीब आधे घंटे तक चले हंगामे के बीच ही बिल को पास कर दिया गया। सरकार से समर्थन वापस ले चुके निर्दलीय विधायक सोमवीर सांगवान ने कहा कि इस विधेयक में हालिया शब्द के जिक्र से साफ है कि किसान आंदोलन को तोड़ने के लिए यह बिल लाया गया है।

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हुड्डा से पहले भिड़े विज, फिर सीएम

बिल का विरोध कर रहे पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा पर तंज कसते हुए गृह मंत्री अनिल विज ने पूछा कि वह दंगाइयों के साथ हैं या उनके खिलाफ। इस पर हुड्डा ने कहा कि हम किसानों के साथ हैं। विज ने फिर सवाल दागा कि आप घर जलाने वालों के खिलाफ हैं या साथ हैं। इसी बीच मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मोर्चा संभाला और कहा कि शांतिपूर्ण आंदोलन ठीक है, लेकिन तोड़फोड़ की अनुमति किसी को नहीं दी जा सकती। लोगों की निजी संपत्ति की सुरक्षा करना भी हमारा दायित्व है।

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स्पीकर से भी उलझे कांग्रेस विधायक

विधेयक को लेकर विधानसभा अध्यक्ष से भी कांग्रेस विधायकों की तीखी बहस हुई। हुड्डा, गीता भुक्कल और जगबीर मलिक ने कहा कि इस कानून में अनेक ऐसे प्रविधान हैं, जिनसे बेकसूर को भी फंसाया जा सकता है। विज ने विधेयक की पैरवी करते हुए कहा कि सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान सहन नहीं कर सकते। आंदोलन शांतिपूर्वक होने चाहिए, उपद्रवी प्रदर्शनों के दौरान सरकारी संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाते हैं।

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नुकसान के आकलन के लिए बनेगा ट्रिब्यूनल

विधेयक में नुकसान के आकलन व वसूली के लिए क्लेम ट्रिब्यूनल गठित करने का प्रविधान है। इसमें चेयरमैन व सदस्यों को शामिल किया जाएगा। 10 करोड़ से अधिक के क्लेम इसके दायरे से बाहर होंगे। पीडि़तों से दावों के लिए एसडीएम आवेदन मांगेंगे। 21 दिन के अंदर दावा करना होगा। सरकारी संपत्ति के नुकसान पर कार्यालयाध्यक्ष ही दावा करेंगे। कम से कम एसडीएम रैंक का दावा आयुक्त होगा।

किसी भी आंदोलन में हुए नुकसान से निपटने के लिए यदि अतिरिक्त पुलिस बल या अर्द्धसैनिक बल बुलाया जाता है तो उसके खर्चे की भरपाई भी आंदोलनकारियों से होगी। समन करने के बाद भी कोई अधिकरण के पास नहीं पहुंचता है तो एक पक्षीय कार्रवाई हो सकती है। दरअसल जिस तरह जाट आरक्षण आंदोलन और डेरामुखी गुरमीत राम रहीम को सजा के दौरान जिस तरह आगजनी में हजारों करोड़ की संपत्ति तबाह हुई, उससे सबक लेते हुए प्रदेश सरकार यह बिल लेकर आई है। इससे हिंसा करने वालों से रिकवरी की जा सकेगी।