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कोलकाता । एक निजी तेल कंपनी के दो कर्मचारियों को रिहा करने के एक पखवारे के अंदर संदिग्ध यूएलएफए के उग्रवादियों ने बुधवार को तेल और प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड (ओएनजीसी) के तीन कर्मचारियों को असम के शिवसागर जिले के लकवा से कथत रूप से अपहरण कर लिया।

ओएनजीसी के अधिकारियों ने आईएएनएस को बताया कि उन्हें अपहरण में प्रतिबंधित यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असोम (इंडिपेंडेंट) (यूएलएफए-आई) की संलिप्तता पर संदेह है।

बुधवार की सुबह ट्वीट्स की एक श्रृंखला में ओएनजीसी ने कहा कि कर्मचारियों को बंदूक की नोक पर ओएनजीसी से संबंधित एक वाहन में “अज्ञात सशस्त्र बदमाशों” द्वारा अपहरण किया गया था।

वाहन को बाद में असम-नागालैंड सीमा के करीब निमोनागढ़ जंगलों के पास छोड़ दिया गया था।

शिवसागर एसपी अमिताव सिन्हा ने आईएएनएस को बताया, “अगवा किए गए तीनों लोग असम के स्थानीय निवासी हैं।”

नागालैंड पुलिस और असम-नागालैंड सीमा पर तैनात सेना को हाई अलर्ट पर रखा गया है।

सिन्हा ने कहा, “नागालैंड का मोन जिला अपहरण की घटना से दूर नहीं है और कार को नागालैंड सीमा के पास छोड़ दिया गया। इसलिए वहां की पुलिस को अलर्ट कर दिया गया है।”

तीनों कर्मचारियों की पहचान शिवनगर जिले के मोहिनी मोहन गोगोई, (जूनियर टेक्नीशियन प्रोडक्शन), जोरहाट जिले के अलोकेश सैकिया (असिस्टेंट जूनियर इंजीनियर, प्रोडक्शन) और गोलाघाट जिले के रितुल सैकिया (असिस्टेंट जूनियर इंजीनियर, प्रोडक्शन) के रूप में की गई है।

पुलिस अधीक्षक सिन्हा ने कहा, “जिस तरह से अपहरण हुआ, वह यूएलएफए का ट्रेडमार्क है, जो इस क्षेत्र में सक्रिय एकमात्र उग्रवादी समूह है।”

पिछले साल दिसंबर में यूएलएफए (आई) और एनएससीएन (के) के म्यांमार-गुट ने अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग जिले के इन्नाओ के पास कुमचिखा ड्रिलिंग साइट से क्विपो ऑयल एंड गैस इंफ्रास्ट्रक्च र लिमिटेड के दो कर्मचारियों का अपहरण कर लिया था।

लंबी बातचीत के बाद अप्रैल में उन्हें छोड़ दिया गया। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ओएनजीसी भारत की सबसे बड़ी तेल और गैस एक्सप्लोरेशन और उत्पादन कंपनी है।