आंध्र प्रदेश में बिजली दरों में बढ़ोतरी को लेकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माक्र्सवादी) यानी CPI(M) ने विरोध प्रदर्शन किया है। यह प्रदर्शन आंध्र प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (APERC) द्वारा वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए ईंधन और विद्युत खरीद लागत समायोजन (FPPCA) शुल्क के लगभग ₹6,073 करोड़ की वसूली की अनुमति देने के विरोध में किया गया था। CPI(M) का मानना है कि यह आम जनता पर अतिरिक्त बोझ डालने वाला कदम है और सरकार को अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करना चाहिए। विजयनगरम में स्थित CPDCL कार्यालय के बाहर हुए इस प्रदर्शन में पार्टी कार्यकर्ताओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। आइये इस घटनाक्रम और इसके पीछे के कारणों को विस्तार से समझते हैं।
आंध्र प्रदेश में बिजली दरों में वृद्धि: CPI(M) का विरोध
FPPCA शुल्क और जनता पर प्रभाव
आंध्र प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (APERC) ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए लगभग ₹6,073 करोड़ के FPPCA शुल्क की वसूली को मंजूरी दे दी है। CPI(M) का तर्क है कि यह शुल्क सीधे तौर पर बिजली उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ेगा और महंगाई को और बढ़ाएगा। उनका मानना है कि राज्य सरकार को बिजली दरों में वृद्धि से पहले जनता की आर्थिक स्थिति पर गंभीरता से विचार करना चाहिए था। इस शुल्क की वसूली से गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और बिगड़ सकती है। CPI(M) ने इस वृद्धि को अन्यायपूर्ण बताया है और सरकार से इस निर्णय को वापस लेने की मांग की है।
सरकार पर आरोप और उसकी प्रतिक्रिया
CPI(M) ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने बिजली क्षेत्र में भारी अनियमितताएँ की हैं और सत्ताधारी दल के नेताओं द्वारा पसंद की गई संदिग्ध कंपनियों को अनुबंध दिए हैं। पार्टी का दावा है कि सरकार लागत कम करने के बजाय, FPPCA परिवर्तनों के बहाने बिजली के टैरिफ में वृद्धि को हरी झंडी दिखा रही है। वह यह भी आरोप लगाती है कि सरकार ने बिजली दरों में वृद्धि का वादा तोड़ा है। अभी तक सरकार की ओर से इस आरोप पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, हालाँकि सरकार का कहना है कि यह वृद्धि बिजली उत्पादन और वितरण की वास्तविक लागत को पूरा करने के लिए आवश्यक है।
विरोध प्रदर्शन और CPI(M) की मांगें
विजयनगरम में CPI(M) कार्यकर्ताओं द्वारा किया गया विरोध प्रदर्शन, सरकार के इस निर्णय के विरुद्ध जनता की नाराजगी को दर्शाता है। प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी कर सरकार के खिलाफ रोष व्यक्त किया और FPPCA शुल्क की वसूली को रोकने की मांग की। CPI(M) ने यह भी मांग की है कि सरकार बिजली क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करे और बिजली दरों में वृद्धि के विकल्पों पर विचार करे। उनका मानना है कि सरकार को उपभोक्ताओं की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए बिजली क्षेत्र में सुधार करना चाहिए। इस प्रदर्शन ने बिजली दरों में वृद्धि पर राजनीतिक बहस को तेज कर दिया है और आने वाले दिनों में इस मुद्दे को लेकर और विरोध देखे जा सकते हैं।
प्रदर्शन की व्यापकता और प्रभाव
CPI(M) के नेताओं का कहना है कि यह विरोध प्रदर्शन राज्य भर में जनता के बीच व्यापक समर्थन प्राप्त कर रहा है। यह विरोध सिर्फ़ एक राजनैतिक प्रदर्शन नहीं बल्कि जनता के बीच बढ़ती महंगाई और सरकार की नीतियों के खिलाफ़ आक्रोश का प्रतीक है। इस विरोध प्रदर्शन का राज्य सरकार पर क्या असर होगा, यह आने वाले समय में ही पता चलेगा। लेकिन यह प्रदर्शन यह ज़रूर दर्शाता है कि बिजली दरों में वृद्धि का मुद्दा जनता के लिए कितना गंभीर है।
बिजली क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता और आगे का रास्ता
आंध्र प्रदेश में बिजली क्षेत्र में सुधार की अत्यधिक आवश्यकता है। CPI(M) का सुझाव है कि सरकार को बिजली उत्पादन और वितरण की लागत कम करने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए, जैसे कि कुशल ऊर्जा प्रबंधन पर ध्यान देना और बिजली चोरी रोकने के लिए प्रभावी उपाय करना। सरकार को पारदर्शी और जवाबदेह ढंग से बिजली क्षेत्र का प्रबंधन करना चाहिए ताकि जनता पर इसका कम से कम बोझ पड़े। यह बेहद ज़रूरी है कि सरकार जनता की आवाज़ सुने और ऐसे निर्णय ले जो जनता के हित में हों। बिना किसी पक्षपात के बिजली क्षेत्र में सुधार के प्रयास किए जाने चाहिए जिससे सभी वर्गों के लोग सस्ती बिजली प्राप्त कर सकें।
Takeaway Points:
- आंध्र प्रदेश में बिजली दरों में वृद्धि को लेकर CPI(M) ने तीव्र विरोध प्रदर्शन किया है।
- पार्टी ने FPPCA शुल्क की वसूली को जन विरोधी बताया है और सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं।
- CPI(M) ने सरकार से FPPCA शुल्क की वसूली रोकने और बिजली क्षेत्र में सुधार करने की मांग की है।
- यह विरोध प्रदर्शन राज्य सरकार पर बिजली दरों में वृद्धि के निर्णय पर पुनर्विचार करने का दबाव बना रहा है।
- बिजली क्षेत्र में सुधार और जनता के हितों की रक्षा करना बेहद ज़रूरी है।