बांदा में सफाई कर्मचारी का दर्द: 6 महीने से नहीं मिल रही सैलरी!
क्या आप जानते हैं कि उत्तर प्रदेश के बांदा में एक सफाई कर्मचारी पिछले 6 महीनों से अपनी मेहनत की कमाई से वंचित है? जी हाँ, यह सच है! मीतू नाम के इस शख्स की कहानी सुनकर आप भी दंग रह जाएँगे। 6 बच्चों का पिता मीतू, अपनी सैलरी न मिलने से इतना परेशान है कि उसका गुज़ारा करना भी मुश्किल हो गया है। आइये जानते हैं इस दिल दहला देने वाली कहानी के बारे में विस्तार से।
6 महीने से रुकी हुई है सैलरी, बच्चों की पढ़ाई भी रुकी
मीतू, चिल्ला थाना क्षेत्र के रहने वाले हैं और इन दिनों लौमेर ग्राम पंचायत में सफाई कर्मचारी के तौर पर अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। लेकिन पिछले 6 महीनों से उनका वेतन रुका हुआ है। ग्राम प्रधान और एडीओ पंचायत, दोनों ही उनकी सहायता करने से इनकार कर रहे हैं। मीतू का कहना है कि एडीओ पंचायत उनसे 10,000 रुपये की रिश्वत मांग रहे हैं तभी उनकी सैलरी जारी की जाएगी।
बच्चों की पढ़ाई अधूरी
इस सैलरी के रुके होने की वजह से मीतू के घर का राशन तक खत्म हो गया है। उनके छह बच्चे हैं और उनकी पढ़ाई भी बाधित हो रही है। स्कूल की फीस न दे पाने की वजह से उनके बच्चों के नाम स्कूल से काट दिए गए हैं। मीतू ने कई बार अधिकारियों से शिकायत की लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई।
डीएम से लगाई गुहार, अधिकारियों का क्या कहना है?
परेशान मीतू ने आखिरकार जिलाधिकारी (डीएम) से गुहार लगाई है। वह चाहते हैं कि उन्हें उनकी मेहनत की कमाई मिले ताकि उनके बच्चों की पढ़ाई जारी रखी जा सके। दूसरी तरफ, डीपीआरओ राजेंद्र प्रसाद का कहना है कि उन्हें इस मामले की जानकारी है। उन्होंने एडीओ पंचायत और ग्राम प्रधान से बात की है। उनके मुताबिक, मीतू कभी-कभी ड्यूटी पर नहीं आता और नशा भी करता है। हालांकि, वे इस मामले की जांच करा रहे हैं और जांच के बाद मीतू का वेतन जारी करने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।
जांच जारी, क्या मिलेगा मीतू को इंसाफ?
लेकिन सवाल ये है कि क्या मीतू को वास्तव में इंसाफ मिलेगा? क्या जांच सही ढंग से होगी और उसके बच्चों को अपनी पढ़ाई जारी रखने का मौका मिलेगा? यह सवाल अब भी बरकरार है। मीतू की कहानी हमें सरकारी तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार और आम आदमी के संघर्षों की याद दिलाती है।
सफाई कर्मचारियों की समस्याएँ: एक गंभीर मुद्दा
मीतू की कहानी सफाई कर्मचारियों के सामने आने वाली समस्याओं का एक छोटा सा नमूना भर है। देश के कोने-कोने में ऐसे कई सफाई कर्मचारी हैं जो अपनी मेहनत की कमाई पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनके काम की अहमियत को समझते हुए, सरकार को चाहिए कि उनकी समस्याओं के निवारण के लिए प्रभावी कदम उठाए। वहीं, यह हमारा भी फ़र्ज़ बनता है कि हम सफाई कर्मचारियों का सम्मान करें और उनके अधिकारों के लिए आवाज़ उठाएँ।
क्या आप भी उठाएँगे आवाज़?
क्या आप मीतू और देश के अन्य सफाई कर्मचारियों के लिए आवाज़ उठाएंगे? आप अपने विचार हमें कमेंट में ज़रूर बताएँ।
Take Away Points
- बांदा के सफाई कर्मचारी मीतू को 6 महीने से वेतन नहीं मिला है।
- एडीओ पंचायत रिश्वत मांग रहे हैं।
- मीतू के बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है।
- डीपीआरओ मामले की जांच करा रहे हैं।
- सफाई कर्मचारियों के अधिकारों के लिए आवाज उठाने की ज़रूरत है।