भारत की विदेश नीति में आतंकवाद विरोधी दृष्टिकोण का उदय एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जो 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के बाद और भी स्पष्ट हुआ है। विदेश मंत्री एस जयशंकर के हालिया बयानों से यह स्पष्ट होता है कि भारत अब आतंकवाद के प्रति अपनी शून्य सहनशीलता की नीति को और मज़बूत करने और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपनी आवाज़ को बुलंद करने के लिए प्रतिबद्ध है। वर्ष 2008 के मुंबई हमलों के बाद से भारत की आतंकवाद विरोधी नीति में आया बदलाव, देश की सुरक्षा चिंताओं और वैश्विक मंच पर उसकी भूमिका को समझने के लिए अत्यंत आवश्यक है। जयशंकर जी के द्वारा कही गयी बातें, भारत के आतंकवाद विरोधी प्रयासों और भविष्य की रणनीतियों को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह लेख भारत की आतंकवाद विरोधी नीति के उद्भव और उसके भविष्य की रूपरेखा को समझने का प्रयास करेगा।
भारत की आतंकवाद विरोधी नीति का नया स्वरूप
26/11 के बाद बदलाव की आवश्यकता
2008 के 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले ने भारत को गहराई से झकझोर कर रख दिया था। इस हमले ने देश की सुरक्षा व्यवस्था की कमज़ोरियों को उजागर किया और एक स्पष्ट संदेश दिया कि आतंकवाद से निपटने के लिए एक कठोर और प्रभावी दृष्टिकोण आवश्यक है। जयशंकर जी के अनुसार, उस समय भारत की प्रतिक्रिया काफ़ी कमज़ोर रही थी। इस घटना के बाद से भारत ने अपनी आतंकवाद विरोधी नीति में व्यापक बदलाव किए हैं। अब भारत केवल प्रतिक्रियात्मक नहीं, अपितु रोकथाम और निष्क्रिय करने पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है। यह बदलाव न केवल घरेलू सुरक्षा बल्कि अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और आतंकवाद को पोषित करने वालों पर दबाव बनाने पर भी केंद्रित है।
शून्य सहनशीलता का दृष्टिकोण
भारत अब आतंकवाद के प्रति शून्य सहनशीलता की नीति अपनाता है। यह सिर्फ़ शब्दों में नहीं बल्कि कर्मों में भी दिखाई देता है। जयशंकर जी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि किसी भी आतंकवादी हमले का जवाब ज़रूर दिया जाएगा। यह दृष्टिकोण भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि आतंकवाद किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है और इसके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह न केवल देश के अंदर आतंकवाद से मुकाबला करने की रणनीति को दर्शाता है, अपितु अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी भारत की भूमिका को रेखांकित करता है।
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और कूटनीति
संयुक्त राष्ट्र में भारत की भूमिका
भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपनी सदस्यता का उपयोग आतंकवाद विरोधी प्रयासों को मज़बूत करने के लिए करता रहा है। जयशंकर जी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत आतंकवाद से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का समर्थक है और वह वैश्विक मंच पर इस मुद्दे को उठाने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। यह संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर आतंकवाद विरोधी प्रस्तावों को समर्थन करने और आतंकवादियों के खिलाफ़ कार्रवाई के लिए दबाव बनाने के माध्यम से प्रकट होता है।
द्विपक्षीय सहयोग
भारत आतंकवाद से निपटने के लिए अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय सहयोग को भी महत्व देता है। इसमें सूचना साझा करना, सामान्य अपराधियों को सौंपना और संयुक्त सैन्य अभ्यास शामिल हैं। यह सहयोग आतंकवाद से जुड़े जटिल मामलों को सुलझाने में अत्यंत ज़रूरी है। यह आतंकवाद से लड़ने में एकात्मता का प्रदर्शन करता है।
LAC पर पेट्रोलिंग और क्षेत्रीय सुरक्षा
भारत और चीन के बीच LAC पर पेट्रोलिंग की बहाली एक महत्वपूर्ण कदम है जो क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। हालांकि, यह घटना भारत की आतंकवाद विरोधी नीति से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ी नहीं है, परंतु यह क्षेत्रीय स्थिरता को मज़बूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। एक स्थिर क्षेत्रीय वातावरण आतंकवाद से निपटने के लिए ज़रूरी शर्त है, क्योंकि सीमावर्ती क्षेत्रों में अस्थिरता आतंकवादियों को फायदा पहुँचा सकती है।
निष्कर्ष
भारत की आतंकवाद विरोधी नीति में आया बदलाव बहुत महत्वपूर्ण है। 26/11 के बाद से, भारत ने अपनी रणनीति में व्यापक परिवर्तन किए हैं, जिसमें शून्य सहनशीलता का दृष्टिकोण, मज़बूत अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और क्षेत्रीय स्थिरता को मज़बूत करना शामिल है। जयशंकर जी के बयान भारत के इस दृढ़ निश्चय को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं।
मुख्य बातें:
- भारत ने आतंकवाद के प्रति अपनी शून्य सहनशीलता की नीति को मज़बूत किया है।
- भारत अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को प्राथमिकता देता है।
- LAC पर पेट्रोलिंग की बहाली क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।
- भारत आतंकवाद से लड़ने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ है।