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चंदौसी की रहस्यमयी बावड़ी: क्या है असली सच्चाई?

क्या आप जानते हैं कि उत्तर प्रदेश के संभल जिले में चंदौसी शहर में एक ऐसी ऐतिहासिक बावड़ी है जिसकी खुदाई 13 दिनों के बाद अचानक रोक दी गई? इस बावड़ी के इर्द-गिर्द कई रहस्य और रोमांचकारी कहानियाँ जुड़ी हुई हैं जो आपको हैरान कर सकती हैं! इस लेख में, हम आपको चंदौसी की इस रहस्यमयी बावड़ी की पूरी कहानी बताएंगे और इस खुदाई से जुड़े कई सवालों के जवाब देने की कोशिश करेंगे।

खुदाई क्यों रुकी?

13 दिनों तक चली खुदाई के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम ने खुदाई को अचानक रोक दिया। 25 फीट की खुदाई के बाद बावड़ी की दूसरी मंजिल दिखने लगी, और ASI टीम को कुछ खतरे के संकेत नजर आए। इन संकेतों में बावड़ी की दीवारों का टूटना, मंजिल के धंसने का खतरा और ऑक्सीजन की कमी शामिल थी। मलबे को हटाने वाले मजदूरों ने बताया कि दूसरी मंजिल में नीचे रेत दिखाई दे रही है, और दीवारें बहुत कमजोर हो गई हैं।

खतरा क्यों? क्या था वो रहस्य?

ASI टीम ने खुदाई रोकने का फैसला सुरक्षा कारणों से लिया। बावड़ी के अंदरूनी भाग की स्थिति इतनी खराब हो गई थी कि आगे की खुदाई खतरनाक हो सकती थी। इस बात का भी अंदेशा है कि बावड़ी में कुछ ऐसी प्राचीन वस्तुएं या कलाकृतियां हो सकती हैं, जिन्हें बिना समुचित सावधानियों के निकालना मुश्किल है। खुदाई के रुकने के पीछे कई कयास लगाए जा रहे हैं, क्या मिली थी कोई ऐसी चीज़ जिसके कारण यह खुदाई बंद करनी पड़ी?

बावड़ी का इतिहास: एक राजा का सपना?

यह ऐतिहासिक बावड़ी सहसपुर बिलारी रियासत के राजा आत्मा राम द्वारा बनवाई गई थी। यह बावड़ी न केवल एक जल संग्रहण का साधन थी, बल्कि एक महत्वपूर्ण वास्तुशिल्प कृति भी है। वर्तमान में बावड़ी के संरक्षण के लिए रियासत के वारिस राजा चंद्र विजय ने सरकार से मांग की है। उनके मुताबिक, यह बावड़ी चंदौसी के लोगों के लिए एक अनमोल धरोहर है और इसे एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है।

राजा चंद्र विजय की मांग और सरकार की भूमिका

राजा चंद्र विजय का कहना है कि यह बावड़ी चंदौसी के लोगों की धरोहर है और सरकार को इसे अपने संरक्षण में लेना चाहिए। उन्होंने ASI से फिर से खुदाई करने का आग्रह भी किया है, जिससे बावड़ी के रहस्यों से पर्दा उठ सके। सरकार की ओर से इस मामले में अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

क्या मिल सकता है बावड़ी से?

बावड़ी की दूसरी मंजिल के मिलने से ऐतिहासिक महत्व की कई चीजों के मिलने की संभावना है। इतिहासकारों का मानना है कि इस बावड़ी में प्राचीन सिक्के, हथियार, मिट्टी के बर्तन, मूर्तियां, और बहुत सी ऐसी चीजें हो सकती हैं, जो उस समय के जीवन के बारे में अहम जानकारियां दे सकती हैं। इन खोजों से क्षेत्र के इतिहास और संस्कृति को समझने में बड़ी मदद मिलेगी। लेकिन क्या है असली सच्चाई, इसे जानने के लिए ASI की रिपोर्ट का इंतज़ार है!

बावड़ी के अंदर क्या है? एक बड़ी गुत्थी!

बावड़ी के अंदर क्या है? इसका पता तभी चल पाएगा, जब ASI अपनी जाँच पूरी करके रिपोर्ट सौंप देगी। यह रिपोर्ट ना केवल बावड़ी से जुड़े तमाम रहस्यों से पर्दा उठाएगी, बल्कि ऐतिहासिक महत्व की चीजों के संरक्षण के लिए भी मार्गदर्शन करेगी। बावड़ी को भविष्य के लिए बचाए रखने के लिए सरकार को कोई बड़ा निर्णय लेना होगा!

क्या यह है सिर्फ एक बावड़ी?

यह ऐतिहासिक बावड़ी चंदौसी की एक अनूठी पहचान है और शायद, इसके भीतर कई रहस्य दफ़्न हैं जो इतिहास के पन्नों को फिर से लिख सकते हैं। इसकी खुदाई फिर से शुरू होने और रहस्यों से पर्दा उठने का इंतजार सभी को है। क्या यह सिर्फ एक बावड़ी है, या इससे कहीं ज़्यादा? हमे इंतजार करना होगा कि क्या कहती है इसकी कहानी!

टेक अवे पॉइंट्स

  • चंदौसी की बावड़ी की खुदाई 13वें दिन रुक गई।
  • खुदाई के दौरान मंजिल धंसने और दीवारों के टूटने का खतरा था।
  • बावड़ी के ऐतिहासिक महत्व के चलते राजा चंद्र विजय ने सरकार से इसकी सुरक्षा और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का आग्रह किया है।
  • ASI की जाँच पूरी होने पर ही पता चल पाएगा कि बावड़ी में क्या है।