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नई दिल्ली विधानसभा चुनाव में एक बड़ा विवाद सामने आया है। भाजपा उम्मीदवार प्रवेश वर्मा पर मतदाताओं को जूते बांटने का आरोप लगा है, जिससे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन हुआ है। क्या ये चुनावी रणनीति थी या गलती? आइये इस विवाद के हर पहलू को समझते हैं।

जूते बांटने का विवाद: क्या है पूरा मामला?

यह विवाद तब शुरू हुआ जब सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो वायरल हुए जिनमें प्रवेश वर्मा को वाल्मीकि मंदिर के पास मतदाताओं को जूते बांटते हुए दिखाया गया था। AAP ने तुरंत इस मुद्दे को उठाया और आरोप लगाया कि भाजपा मतदाताओं को रिझाने के लिए नैतिकता को ताक पर रख रही है। वीडियो में दिखाया गया है कि वर्मा महिला मतदाताओं को खुद जूते पहना रहे हैं। इससे ये सवाल उठता है कि क्या ये जनता के प्रति सेवाभाव है या सिर्फ चुनावी फायदा उठाने की रणनीति।

रिटर्निंग ऑफिसर की शिकायत और पुलिस कार्रवाई

रिटर्निंग ऑफिसर ने इस मामले में मंदिर मार्ग पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने अपने पत्र में कहा कि प्रवेश वर्मा द्वारा जूते बांटना जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123 (1) (ए) के उल्लंघन के समान है, जिसमें किसी उम्मीदवार या उसके एजेंट द्वारा किसी को उपहार, प्रस्ताव या वादा देना निषेध है। पुलिस जांच में आरोप सिद्ध होने पर प्रवेश वर्मा पर मुकदमा चलाया जा सकता है और उन्हें सजा भी हो सकती है।

क्या BJP की ये चुनावी रणनीति थी?

सोशल मीडिया पर ये सवाल चर्चा का विषय बन गया है कि क्या ये पूरी घटना भाजपा की सोची-समझी रणनीति थी? कई लोग ये मानते हैं कि BJP ने इससे मतदाताओं का ध्यान आकर्षित करने और अपने पक्ष में वोट बटोरने की कोशिश की है। हालांकि, BJP ने इस आरोप को सिरे से नकारा है। उनका कहना है कि ये सब बेबुनियाद बातें हैं और वो मतदाताओं को किसी तरह से रिझाने की कोशिश नहीं कर रहे थे।

इस घटना की प्रतिक्रियाएँ

इस मामले पर राजनीतिक प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है। आम आदमी पार्टी (AAP) ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। उनका मानना है कि इससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर सवाल खड़ा होता है। अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि BJP जनता को खरीदने की कोशिश कर रही है और दिल्ली के लोगों का अपमान कर रही है।

क्या यह चुनावों में भ्रष्ट आचरण है?

चुनावी आदर्श आचार संहिता सभी उम्मीदवारों पर लागू होती है। इसका पालन करना सभी के लिए जरूरी है। जहाँ तक जूते बांटने का प्रश्न है, वो चुनाव आयोग के निर्देशों के स्पष्ट विरुद्ध है। इस बात से सब सहमत हैं कि मतदाताओं को प्रलोभन देने, उन्हें लुभाने या वोटों को प्रभावित करने के किसी भी प्रयास पर पाबंदी है। वर्मा के कृत्य को चाहे वह सेवा भाव से प्रेरित ही क्यों न हों, आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का संदेह पैदा करने के लिए काफी है।

भविष्य की क्या संभावनाएँ?

इस घटना के भविष्य में क्या असर पड़ेगा ये देखना अभी बाकी है। पुलिस की जांच के निष्कर्ष और चुनाव आयोग द्वारा लिए जाने वाले फैसले विवाद को आगे कैसे ले जायेंगे, यह समय ही बतायेगा। इस घटना का नई दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणामों पर भी प्रभाव पड़ सकता है।

Take Away Points

  • भाजपा उम्मीदवार प्रवेश वर्मा पर मतदाताओं को जूते बाँटने का आरोप लगा है।
  • इस घटना से आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन हुआ है।
  • AAP ने इस घटना की कड़ी निंदा की है।
  • पुलिस जांच और चुनाव आयोग के फैसले का इंतज़ार है।
  • इस घटना का चुनाव परिणाम पर प्रभाव पड़ सकता है।