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हैदराबाद विश्वविद्यालय (UoH) के छात्र संघ चुनाव 2024-25 के परिणाम शनिवार, 26 अक्टूबर 2024 की देर रात घोषित किए गए, जिसमें वाम और सामाजिक प्रगतिशील ताकतों के गठबंधन ने शीर्ष पदों पर कब्ज़ा किया। दलित छात्र संघ, अम्बेडकर छात्र संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और बहुजन छात्र मोर्चा ने चुनाव में जीत हासिल की, जबकि भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (NSUI) को केवल खेल सचिव का पद मिला। यह जीत एक महत्वपूर्ण घटना है जो विश्वविद्यालय के राजनीतिक परिदृश्य में सामाजिक न्याय और समानता के मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करती है। चुनाव प्रक्रिया शुक्रवार सुबह 9 बजे से शाम 5:30 बजे तक चली, और मतगणना शनिवार को देर रात तक जारी रही। इस विश्लेषण में हम UoH छात्र संघ चुनावों के महत्वपूर्ण पहलुओं और परिणामों पर गहन चर्चा करेंगे।

वाम और प्रगतिशील गठबंधन की शानदार जीत

यह चुनाव परिणाम वाम और सामाजिक प्रगतिशील ताकतों के गठबंधन की बड़ी जीत को दर्शाता है। दलित छात्र संघ (DSU), अम्बेडकर छात्र संघ (ASU), छात्र फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) और बहुजन छात्र मोर्चा (BSF) के गठबंधन ने सभी प्रमुख पदों पर जीत हासिल की। इस जीत का सीधा संबंध छात्रों के बीच इन संगठनों के व्यापक जन-समर्थन और उनके द्वारा उठाए गए सामाजिक न्याय, समानता और छात्र हितों से जुड़े मुद्दों से है।

महत्वपूर्ण पदों पर जीत

  • अध्यक्ष पद: उमेश अम्बेडकर (DSU) ने ABVP के आकाश बति को 18 वोटों के मामूली अंतर से हराया।
  • उपाध्यक्ष पद: आकाश कुमार (ASU) ने ABVP के पावना को पराजित किया।
  • महासचिव पद: निहाद सुलेमान (SFI) ने ABVP के यशस्वी को परास्त किया।
  • संयुक्त सचिव पद: त्रिवेणी (BSF) ने ABVP के मुशाहिद अहमद को हराया।

यह साफ तौर पर दर्शाता है कि छात्रों ने वाम-प्रगतिशील एजेंडे के प्रति अपनी सहमति और विश्वास व्यक्त किया है।

NSUI की वापसी और ABVP का प्रदर्शन

लगभग एक दशक के अंतराल के बाद, NSUI ने UoH छात्र संघ चुनावों में खेल सचिव का पद जीता। मंगपी ने ABVP गठबंधन के सुनील रेड्डी को हराया। हालांकि, यह जीत NSUI के लिए एक छोटी सी सफलता है, क्योंकि प्रमुख पदों पर उनकी हार स्पष्ट रूप से उनके प्रभाव में कमी को दर्शाती है। दूसरी ओर, ABVP का प्रदर्शन भी अपेक्षाकृत निराशाजनक रहा, उन्हें प्रमुख पदों पर हार का सामना करना पड़ा। यह संकेत देता है कि UoH में वामपंथी विचारधारा छात्रों के बीच अभी भी प्रभावशाली है।

ABVP के लिए चुनौतियाँ

ABVP को अपने प्रचार और छात्रों तक पहुँचने के तरीकों में सुधार करने की आवश्यकता है। छात्रों के सामने आ रहे महत्वपूर्ण मुद्दों पर उनका ध्यान केंद्रित करना भी अत्यंत जरुरी है। सामाजिक न्याय और समानता से संबंधित मुद्दों पर ABVP के रुख पर भी छात्रों को गंभीर आपत्तियाँ हो सकती हैं।

चुनावों का राजनीतिक महत्व

यह चुनाव सिर्फ़ छात्र संघ चुनावों से कहीं अधिक महत्व रखते हैं। यह विश्वविद्यालय के भीतर व्याप्त राजनीतिक ताकतों की अन्यथा शक्ति संतुलन को दर्शाते हैं। यह चुनाव न केवल छात्र नेतृत्व के चुनाव हैं, बल्कि यह बड़े राजनीतिक विचारों और समाज में उनके प्रभाव की झलक भी हैं। यह सामाजिक न्याय, समानता और छात्र कल्याण से जुड़े मुद्दों पर सार्वजनिक बहस को फिर से जागृत करते हैं।

भावी निहितार्थ

इन चुनाव परिणामों का प्रभाव विश्वविद्यालय के शैक्षणिक वातावरण पर पड़ेगा। छात्र संघ की नीतियाँ, कार्यक्रम और निर्णय इस बात से प्रभावित होंगे की कौन-से विचार चुनाव में विजयी हुए हैं। यह परिणाम आने वाले छात्र संघ चुनावों के लिए भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होंगे और राजनीतिक दलों को अपनी रणनीति में सुधार के लिए मजबूर कर सकते हैं।

निष्कर्ष

हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनाव 2024-25 के परिणाम वामपंथी और सामाजिक प्रगतिशील ताकतों की निर्णायक जीत को दर्शाते हैं। यह जीत सामाजिक न्याय, समानता और छात्र कल्याण के मुद्दों पर छात्रों के रूझान को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करती है। ABVP को अपनी रणनीति और कार्यक्रमों को फिर से जांचने और छात्रों की चिंताओं के साथ और अधिक जुड़ने की आवश्यकता है। यह चुनाव विश्वविद्यालय और उसके छात्रों के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण निहितार्थ रखते हैं।

मुख्य बातें:

  • वाम और सामाजिक प्रगतिशील गठबंधन ने UoH छात्र संघ चुनाव 2024-25 में जीत हासिल की।
  • DSU, ASU, SFI और BSF ने सभी प्रमुख पदों पर जीत दर्ज की।
  • NSUI ने लगभग एक दशक बाद खेल सचिव का पद जीता।
  • ABVP को प्रमुख पदों पर हार का सामना करना पड़ा।
  • चुनाव परिणाम विश्वविद्यालय के शैक्षणिक और राजनीतिक वातावरण पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेंगे।