भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक बैठक में महिलाओं, शांति और सुरक्षा पर पाकिस्तान के “क्षुद्र उकसावे” और “राजनीतिक प्रचार” की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि देश में अल्पसंख्यक समुदायों, विशेष रूप से हिंदुओं, सिखों और ईसाइयों की महिलाओं की स्थिति दयनीय बनी हुई है।
पाकिस्तान की निंदा और महिलाओं की स्थिति पर चिंता
भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पी. हरीश ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शुक्रवार (25 अक्टूबर, 2024) को कहा, “यह घृणित है, फिर भी पूरी तरह से अनुमानित है कि एक प्रतिनिधिमंडल ने गलत सूचना और दुष्प्रचार फैलाने की अपनी परखी हुई रणनीति के आधार पर शरारती उकसावे में शामिल होना चुना है।” हरीश ने ‘बदलते माहौल में शांति के निर्माण में महिलाएं’ पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की खुली बहस में भारत का वक्तव्य दिया। पाकिस्तान ने एक बार फिर कश्मीर के मुद्दे को बहस में उठाया जिसके जवाब में हरीश ने कहा, “इस महत्वपूर्ण वार्षिक बहस में इस तरह के राजनीतिक प्रचार में शामिल होना पूरी तरह से गलत है।” उन्होंने आगे कहा, “हम अच्छी तरह से जानते हैं कि उस देश में अल्पसंख्यक समुदायों, विशेष रूप से हिंदुओं, सिखों और ईसाइयों की महिलाओं की स्थिति दयनीय बनी हुई है।” हरीश ने कहा कि पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग के आंकड़ों के अनुसार, इन अल्पसंख्यक समुदायों की अनुमानित एक हजार महिलाएं हर साल “अपहरण, जबरन धर्म परिवर्तन और जबरन विवाह” का शिकार होती हैं।
अल्पसंख्यक महिलाओं पर बढ़ता खतरा
पाकिस्तान में हिन्दू, सिख और ईसाई महिलाओं के खिलाफ़ हिंसा और उत्पीड़न की घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं। यह केवल व्यक्तिगत अपराध नहीं हैं, बल्कि एक सुनियोजित प्रणालीगत समस्या है जिसमें राज्य की भूमिका भी संदिग्ध है। यह एक गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन है जो अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के ध्यान की मांग करता है। भारत की यह चिंता जायज़ है क्योंकि यह अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा और कल्याण के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है। इन घटनाओं का प्रभाव महिलाओं के जीवन, समुदायों के सामाजिक ताने-बाने और राष्ट्र के समग्र विकास पर विनाशकारी होता है।
पाकिस्तान का राजनीतिक प्रचार
पाकिस्तान द्वारा कश्मीर के मुद्दे को लगातार अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उठाना, एक स्पष्ट राजनीतिक चाल है जिसका उद्देश्य भारत को बदनाम करना और ध्यान भटकाना है। यह अपनी आंतरिक समस्याओं से ध्यान भटकाने की पाकिस्तान की पुरानी रणनीति का हिस्सा प्रतीत होता है। इस तरह की हरकतों से अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का विश्वास कम होता है और समस्या का समाधान नहीं निकलता। पाकिस्तान को अपने आंतरिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने और महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सम्मान करना चाहिए।
भारत की WPS एजेंडा प्रतिबद्धता
भारत ने महिला, शांति और सुरक्षा (WPS) एजेंडे के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि की है। हरीश ने जोर देकर कहा कि स्थायी शांति के लिए सभी स्तरों पर महिलाओं की पूर्ण, समान, सार्थक और सुरक्षित भागीदारी आवश्यक है, जिसमें राजनीति, शासन, संस्था निर्माण, कानून का शासन, सुरक्षा क्षेत्र और आर्थिक पुनर्निर्माण शामिल हैं। यह बात बहुत ज़रूरी है कि आर्थिक और सामाजिक कल्याण जनसंख्या, और खासकर महिलाओं के लिए, स्थायी शांति का अभिन्न अंग है।
WPS एजेंडा में भारत का योगदान
हरीश ने WPS एजेंडा को लागू करने में महत्वपूर्ण प्रगति को रेखांकित करते हुए कहा कि पांचवें सबसे बड़े सैन्य बल योगदानकर्ता के रूप में, भारत ने 2007 में लाइबेरिया में पहली बार पूरी तरह से महिला पुलिस यूनिट तैनात की, जिसने संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में एक मिसाल कायम की। उन्होंने कहा, “उनके काम को लाइबेरिया और संयुक्त राष्ट्र के भीतर बहुत प्रशंसा मिली।” भारत ने डिजिटल तकनीकों का उपयोग लैंगिक अंतर को कम करने, वित्तीय समावेश को बढ़ाने और महिलाओं, विशेष रूप से ग्रामीण भारत में सशक्तिकरण के लिए किया है।
तकनीक का उपयोग और भविष्य की चुनौतियाँ
हरीश ने रेखांकित किया कि तेजी से बदलती दुनिया में, “हमें महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने के लिए नई तकनीकों का उपयोग करना चाहिए जबकि ऑनलाइन खतरों और गलत सूचनाओं से बचना चाहिए।” भारत ने डिजिटल तकनीकों का उपयोग लैंगिक अंतर को कम करने, वित्तीय समावेश को बढ़ाने और महिलाओं, विशेष रूप से ग्रामीण भारत में सशक्तिकरण के लिए किया है। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से इन उभरती चुनौतियों का समाधान करने के लिए मजबूत तंत्र विकसित करने का आह्वान किया।
डिजिटल तकनीक और महिला सशक्तिकरण
डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल महिलाओं को सशक्त बनाने और उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में अधिक अवसर प्रदान करने में एक शक्तिशाली उपकरण साबित हुआ है। हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि डिजिटल सुरक्षा और निजता की चुनौतियों से निपटने के लिए उचित सुरक्षा उपाय किए जाएं। ऑनलाइन उत्पीड़न और भेदभाव की समस्या से भी निपटा जाना चाहिए, ताकि महिलाओं को ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर सुरक्षित और समावेशी माहौल मिले।
टेकअवे पॉइंट्स:
- पाकिस्तान में अल्पसंख्यक महिलाओं की स्थिति चिंताजनक है।
- पाकिस्तान का राजनीतिक प्रचार अस्वीकार्य है।
- भारत महिला, शांति और सुरक्षा एजेंडे के प्रति प्रतिबद्ध है।
- डिजिटल तकनीक महिला सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।