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मैसूर विश्वविद्यालय के छात्रों ने सोमवार को क्रॉफर्ड हॉल के सामने परीक्षा स्थगित करने और परीक्षा एवं मार्कशीट शुल्क में वृद्धि वापस लेने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन अखिल भारतीय लोकतांत्रिक छात्र संगठन (AIDSO) के बैनर तले आयोजित किया गया था। विश्वविद्यालय प्रशासन पर छात्रों के हितों की अनदेखी करने और उनकी शैक्षणिक आवश्यकताओं को पूरा करने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए, छात्रों ने जोरदार तरीके से अपनी मांगों को रखा। इस आंदोलन से विश्वविद्यालय प्रशासन के लिए छात्रों की समस्याओं पर गंभीरता से विचार करने और तुरंत समाधान खोजने की आवश्यकता पर जोर पड़ा है। यह प्रदर्शन छात्रों की आवाज़ को बुलंद करने और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास था। आइये, इस घटना की और गहनता से पड़ताल करते हैं।

छात्रों की मुख्य मांगें और उनका तर्क

पाठ्यक्रम पूर्णता बिना परीक्षा स्थगित करने की मांग

छात्रों ने मुख्य रूप से अपनी परीक्षाओं को स्थगित करने की मांग की है। उनका तर्क है कि अतिथि व्याख्याताओं की कमी और शिक्षण संकाय की नियुक्ति न होने के कारण डेढ़ महीने तक कक्षाएँ नहीं चली हैं, जिससे पाठ्यक्रम पूरा नहीं हो पाया है। अधूरे पाठ्यक्रम के साथ परीक्षाएँ आयोजित करना न केवल असंगत है, बल्कि छात्रों के लिए अत्यधिक तनावपूर्ण भी है। छात्रों का मानना है कि बिना पाठ्यक्रम पूर्ण किये परीक्षा लेना शैक्षणिक रूप से अनुचित और उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ है। इस बात पर जोर दिया गया कि ऐसी परिस्थितियों में परीक्षा उत्तीर्ण करना छात्रों के लिए एक बड़ी चुनौती होगी, जो न्यायसंगत नहीं है। इसलिए, छात्रों ने परीक्षा स्थगित करने और पाठ्यक्रम पूरा होने तक इंतजार करने का अनुरोध किया है।

परीक्षा और मार्कशीट शुल्क में वृद्धि का विरोध

छात्रों ने परीक्षा और मार्कशीट शुल्क में हुई भारी वृद्धि का भी विरोध किया है। उनका कहना है कि स्नातक परीक्षा शुल्क में ₹2,000 की वृद्धि गरीब छात्रों के लिए एक भारी बोझ है जो सरकारी डिग्री प्राप्त करना चाहते हैं। इस बढ़े हुए शुल्क से आर्थिक रूप से कमज़ोर विद्यार्थियों की शिक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, जिससे उन्हें शिक्षा प्राप्त करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा, छात्रों ने मार्कशीट शुल्क का भुगतान करने के बावजूद अभी तक अपने सेमेस्टर के मार्कशीट नहीं प्राप्त किए हैं, जो कि एक और गंभीर समस्या है। उन्होंने अतिरिक्त शुल्क माफ़ करने और समय पर मार्कशीट वितरित करने की मांग की है। यह एक जरूरी समस्या है जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

प्रदर्शन का प्रभाव और छात्रों की आवाज

इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में छात्रों ने भाग लिया, जिससे यह साफ़ पता चलता है कि विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा उठाये गये फैसलों पर छात्रों का कितना गुस्सा है। यह प्रदर्शन छात्रों की आवाज़ को बुलंद करने और विश्वविद्यालय प्रशासन पर दबाव बनाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। AIDSO जैसे छात्र संगठनों ने इस मामले में छात्रों का समर्थन करते हुए उनकी मांगों को उठाया, जिससे विश्वविद्यालय को इस मामले में गंभीरता से विचार करने और समुचित कार्यवाही करने के लिए बाध्य किया जा सके। यह प्रदर्शन विश्वविद्यालय प्रशासन को छात्रों की शैक्षणिक आवश्यकताओं और उनके अधिकारों के प्रति अधिक जिम्मेदार होने की एक सख्त याद दिलाता है।

विश्वविद्यालय प्रशासन की भूमिका और संभावित समाधान

विश्वविद्यालय प्रशासन को छात्रों की चिंताओं को गंभीरता से लेना चाहिए और उनके साथ मिलकर एक समाधान खोजने की कोशिश करनी चाहिए। शिक्षण संकाय की नियुक्ति में आई देरी और अतिथि व्याख्याताओं की कमी के कारण छात्रों को हुई परेशानी को समझते हुए, परीक्षाओं को स्थगित करने या पाठ्यक्रम को पूरा करने के लिए पर्याप्त समय देने पर विचार करना चाहिए। इसके अलावा, परीक्षा और मार्कशीट शुल्क में हुई वृद्धि को छात्रों की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए पुनर्विचार करने की जरूरत है। अधिकारियों को मार्कशीट वितरण में आ रही देरी के कारणों की जांच करनी चाहिए और समय पर मार्कशीट वितरण सुनिश्चित करने के लिए उपाय करने चाहिए। प्रशासन को छात्रों के साथ बातचीत के माध्यम से इस समस्या का समाधान ढूंढना चाहिए और पारदर्शी तरीके से आगे बढ़ना चाहिए।

मुख्य बातें:

  • मैसूर विश्वविद्यालय के छात्रों ने परीक्षा स्थगित करने और शुल्क में वृद्धि वापस लेने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया।
  • अधूरे पाठ्यक्रम के साथ परीक्षा आयोजित करना और बढ़ा हुआ शुल्क छात्रों के लिए बड़ी चुनौती है।
  • विश्वविद्यालय प्रशासन को छात्रों की चिंताओं को गंभीरता से लेना चाहिए और समस्या का समाधान ढूंढना चाहिए।
  • पारदर्शिता और छात्रों के साथ संवाद के जरिये विश्वविद्यालय इस समस्या का बेहतर तरीके से समाधान कर सकता है।