उत्तर प्रदेश के शामली में हुई मुठभेड़ में चार बदमाशों के ढेर होने की खबर ने सभी को हिला कर रख दिया है! इस खौफनाक घटना में एक लाख का इनामी बदमाश अरशद भी शामिल था। यह मुठभेड़ मुस्तफा कग्गा गैंग से जुड़ी थी, जो कभी पश्चिमी यूपी में आतंक का पर्याय हुआ करता था। आइए, जानते हैं इस खतरनाक गैंग और उसके सरगना मुस्तफा कग्गा के बारे में विस्तार से…
मुस्तफा कग्गा: पश्चिमी यूपी का खौफनाक नाम
मुस्तफा कग्गा का नाम पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आतंक का पर्याय था। साल 2010 में हुई एक घटना ने उसे कुख्यात बना दिया। शामली जिले में, बिड़ौली चेक पोस्ट पर एसओजी के जवानों पर उसने अंधाधुंध गोलियां बरसायीं, जिसमे एक सिपाही शहीद हो गया। इस घटना के बाद से वह पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया। उसका बच निकलना, उसका लगातार ठिकाना बदलना और यमुना खादर में छिपना उसे पकड़ना मुश्किल बना देता था। लगभग एक साल तक फरार रहने के बाद, 2011 में सहारनपुर में हुए एक मुठभेड़ में उसे मार गिराया गया।
यमुना खादर: मुस्तफा का छिपने का अड्डा
मुस्तफा कग्गा यमुना खादर के घने जंगलों और ऊबड़-खाबड़ इलाकों में छिपकर पुलिस से बचता था। यहाँ उसने अपने कई ठिकाने बना रखे थे। कभी शामली के कैराना इलाके में, कभी झिंझाना क्षेत्र में, और कभी सहारनपुर के गंगोह में - वह अपनी लोकेशन लगातार बदलता रहता था। वो ऐसा इसलिए करता था ताकि पुलिस उसे पकड़ ना सके और उसकी गिरफ्तारी में देरी हो सके। उसका ऐसा ही तरीका उसे काफी समय तक फरार रहने में मदद करता रहा था।
मुस्तफा के बाद गैंग की कमान
मुस्तफा के मारे जाने के बाद, मुकीम काला गैंग का नया सरगना बन गया। मुस्तफा के साथ उसके रिश्ते तब और भी मज़बूत हो गए थे जब मुकीम ने एक मुखबिरी के शक में लड्डा नाम के युवक की हत्या कर दी थी। मुकीम काला और साबिर चंदेरी, ये दोनों मुस्तफा के खास सहयोगी थे, जिन्होंने उसके बाद गैंग के कुकृत्यों को आगे बढ़ाया।
मुकीम काला और साबिर चंदेरी: आतंक का नया दौर
मुकीम काला और साबिर चंदेरी ने मिलकर व्यापारियों को निशाना बनाया और कई हत्याएं कीं, जिससे लोगों में भय का माहौल पैदा हो गया था। उनका आतंक इतना फैल गया था कि व्यापारी उनके डर से सहमे हुए थे। 2015 में, पुलिस ने मुकीम और साबिर दोनों को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन 2017 में साबिर पुलिस हिरासत से फरार हो गया। 2018 में, एक और मुठभेड़ में साबिर मारा गया। गैंग के प्रमुख शूटरों के खत्म होने के बाद गैंग काफी कमज़ोर पड़ गया था। इसके बाद 2021 में एक जेल के अंदर हुई गोलीबारी में मुकीम काला भी मारा गया।
गैंग का पतन
एक समय मुकीम काला के गैंग में लगभग 20 शूटर काम करते थे। लेकिन एक-एक करके पुलिस के मुठभेड़ों में उनके ज्यादातर शूटर मारे गए या पकड़े गए। इसके बाद अरशद गैंग में सबसे एक्टिव हो गया था, जिस पर पुलिस ने 1 लाख का इनाम रखा हुआ था, लेकिन 20 जनवरी 2024 को हुए एनकाउंटर में अरशद भी मारा गया।
हालिया एनकाउंटर और गैंग का अंत?
शामली के झिंझाना थाना इलाके में हुए ताज़ा एनकाउंटर में STF ने अरशद समेत चार बदमाशों को मार गिराया। इस एनकाउंटर में एक इंस्पेक्टर भी घायल हुए थे। अरशद पर कई गंभीर अपराध जैसे हत्या, डकैती और लूट के आरोप थे, और उसे कई थानों में वांटेड माना जा रहा था। इस एनकाउंटर से लगता है की मुस्तफा कग्गा गैंग का लगभग अंत हो गया है।
निष्कर्ष
मुस्तफा कग्गा गैंग के इतिहास से हमें अपराध और इसके परिणामों के बारे में पता चलता है। कानून का हाथ कितना मज़बूत भी हो, अपराधी लंबे समय तक बच नहीं सकते। इस गैंग के अंत ने उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था में विश्वास बहाल करने का संकेत दिया है।
Take Away Points:
- मुस्तफा कग्गा गैंग ने उत्तर प्रदेश में काफ़ी आतंक फैलाया।
- कई मुठभेड़ों के बाद यह गैंग खत्म होता दिख रहा है।
- गैंग के खात्मे से कानून व्यवस्था मजबूत हुई है।