नोएडा प्राधिकरण द्वारा हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है जिससे नोएडा में संपत्ति खरीदारों की सुरक्षा और पारदर्शिता में वृद्धि होगी। यह निर्णय सभी नए आवास परियोजनाओं के लिए त्रिपक्षीय विक्रय समझौते को अनिवार्य बनाने से जुड़ा है। यह कदम न केवल धोखाधड़ी से बचाने में मदद करेगा बल्कि सरकारी राजस्व को भी बढ़ावा देगा। इस लेख में हम इस नए नियम के महत्व, इसके कार्यान्वयन के तरीके और इसके प्रभावों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
त्रिपक्षीय विक्रय समझौता: एक सुरक्षित निवेश की दिशा में
समझौते की आवश्यकता और महत्व
नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी लोकेश एम द्वारा घोषित इस नए नियम का मुख्य उद्देश्य संपत्ति खरीदारों के हितों की रक्षा करना है। अब तक, कई मामलों में देखा गया है कि डेवलपर्स द्वारा एक ही संपत्ति को कई खरीदारों को बेचा जाता था, जिससे खरीदारों को भारी नुकसान उठाना पड़ता था। यह नियम इस समस्या के समाधान की ओर एक बड़ा कदम है। त्रिपक्षीय समझौता प्रारंभिक भुगतान के समय ही खरीदार की पहचान दर्ज करने में मदद करेगा, न कि केवल परियोजना के पूरा होने पर। यह खरीदारों को उनकी खरीद के औपचारिक प्रमाण प्रदान करता है, जिससे धोखाधड़ी की संभावना कम हो जाती है। इससे डेवलपर्स को एक ही इकाई को कई खरीदारों को बेचने या मनमाने ढंग से बिक्री रद्द करने से रोका जा सकेगा।
समझौते का रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) अधिनियम (रेरा) से संबंध
यह समझौता रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 (रेरा) की धारा 13 के अनुसार बनाया जाएगा। रेरा के अनुसार, प्रमोटर संपत्ति की लागत का 10% से अधिक अग्रिम भुगतान लिखित समझौते के बिना नहीं ले सकते हैं। एक बार जब खरीदार प्रारंभिक राशि का भुगतान करता है, तो समझौता रजिस्ट्री विभाग के माध्यम से निष्पादित किया जाएगा, जहाँ 2% स्टाम्प ड्यूटी अग्रिम रूप से भुगतान की जाएगी। शेष राशि कब्ज़े और अंतिम पंजीकरण पर देय होगी। इस नियम से रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता बढ़ेगी और अनियमितताओं पर रोक लगेगी।
नोएडा में संपत्ति खरीदारों के लिए सुरक्षा के उपाय
स्टाम्प ड्यूटी और राजस्व वृद्धि
इस नए नियम से न केवल खरीदारों की सुरक्षा होगी बल्कि सरकार को भी स्टाम्प ड्यूटी के रूप में अधिक राजस्व प्राप्त होगा। पहले, अनौपचारिक समझौते साधारण स्टाम्प पेपर पर किए जाते थे, जिससे स्टाम्प ड्यूटी से चूका जा सकता था। त्रिपक्षीय समझौता इस खामी को दूर करेगा और सरकार को अधिक राजस्व प्राप्त होगा। यह अतिरिक्त राजस्व नोएडा के विकास में मददगार होगा और बेहतर सुविधाओं के प्रावधान में सहायक होगा।
धोखाधड़ी और विवादों में कमी
यह समझौता उन धोखाधड़ी के मामलों को भी कम करने में मदद करेगा जहाँ डेवलपर्स ने खरीदारों को कब्ज़ा देने से पहले ही संपत्ति को फिर से बेच दिया था। यह न केवल खरीदारों के लिए एक न्यायसंगत समाधान प्रदान करता है बल्कि भविष्य में इस प्रकार के विवादों की संख्या में भी कमी लाएगा। यह खरीदारों को एक अधिक सुरक्षित और विश्वसनीय माहौल प्रदान करेगा, जहाँ वे बिना किसी भय के निवेश कर सकेंगे।
त्रिपक्षीय समझौते का कार्यान्वयन और प्रभाव
प्राधिकरण की भूमिका और निगरानी
नोएडा प्राधिकरण ने इस नए नियम के कार्यान्वयन के लिए एक स्पष्ट तंत्र स्थापित किया है। प्राधिकरण लेनदेन की शुरुआत से ही इसमें शामिल होगा, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी और किसी भी अनियमितता की जांच आसानी से की जा सकेगी। प्राधिकरण की भूमिका खरीदारों और डेवलपर्स दोनों के लिए एक विश्वसनीय मध्यस्थ के रूप में होगी। प्राधिकरण इस बात को सुनिश्चित करेगा की सभी पक्ष इस नए नियम का पालन करें।
भविष्य के आवास परियोजनाओं पर प्रभाव
यह नियम नोएडा में भविष्य के सभी आवास परियोजनाओं को प्रभावित करेगा। डेवलपर्स को अब सभी खरीदारों के साथ त्रिपक्षीय विक्रय समझौते करना अनिवार्य होगा, जिससे खरीदारों का विश्वास बढ़ेगा और निवेश की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। यह नियम एक सकारात्मक बदलाव लाएगा और नोएडा को एक अधिक आकर्षक रियल एस्टेट निवेश गंतव्य बनाएगा।
निष्कर्ष: नोएडा में रियल एस्टेट में सुधार की दिशा में एक कदम
नोएडा प्राधिकरण द्वारा लागू किया गया यह त्रिपक्षीय विक्रय समझौता रियल एस्टेट सेक्टर में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह खरीदारों के हितों की रक्षा करता है, धोखाधड़ी को कम करता है, और सरकार को अधिक राजस्व प्रदान करता है। इस नए नियम से नोएडा में रियल एस्टेट निवेशकों के लिए एक और अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय वातावरण बनाने में मदद मिलेगी।
टेक अवे पॉइंट्स:
- नोएडा में सभी नए आवास परियोजनाओं के लिए त्रिपक्षीय विक्रय समझौता अनिवार्य है।
- यह समझौता रेरा अधिनियम, 2016 के अनुरूप है और खरीदारों के हितों की रक्षा करता है।
- इससे धोखाधड़ी कम होगी और सरकार को अधिक स्टाम्प ड्यूटी प्राप्त होगी।
- नोएडा प्राधिकरण लेनदेन की शुरुआत से ही शामिल होगा, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी।
- इससे नोएडा में रियल एस्टेट निवेशकों के लिए एक अधिक विश्वसनीय वातावरण बनेगा।