यशस्विनी शर्मिला और जगन मोहन रेड्डी के बीच संपत्ति विवाद लगातार सुर्ख़ियों में बना हुआ है। यह विवाद केवल पारिवारिक नहीं, बल्कि आंध्र प्रदेश की राजनीति पर भी गहरा प्रभाव डाल रहा है। यहाँ तक कि वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता वाई.वी. सुब्बा रेड्डी के बयानों ने इस विवाद को और भी पेचीदा बना दिया है। सुब्बा रेड्डी के दावों का शर्मिला ने खंडन करते हुए, अपने पिता व पूर्व मुख्यमंत्री वाई.एस. राजशेखर रेड्डी द्वारा बनाई गई संपत्तियों के समान बंटवारे के अपने अधिकार पर जोर दिया है। इस लेख में हम इस संपत्ति विवाद की पृष्ठभूमि, शर्मिला के आरोप, और राजनीतिक निहितार्थों पर गौर करेंगे।
शर्मिला का जगन मोहन रेड्डी पर आरोप
शर्मिला ने स्पष्ट रूप से आरोप लगाया है कि जगन मोहन रेड्डी ने उनके साथ समझौता किया और फिर उस समझौते को तोड़ने की कोशिश की। उनका कहना है कि यह समझौता सिर्फ इसलिए किया गया क्योंकि वह कानूनी रूप से संपत्ति का हिस्सा देने के लिए बाध्य थे, न कि “प्यार और स्नेह” के कारण। उन्होंने सुब्बा रेड्डी के उन दावों को भी खारिज कर दिया जिनमें कहा गया था कि भारती सीमेंट्स और साक्षी समाचार पत्र जैसी संपत्तियां जगन मोहन रेड्डी की हैं। शर्मिला ने तर्क दिया कि नामकरण के आधार पर स्वामित्व का दावा नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनके और उनके पिता ने कभी भी परियोजनाओं के नामकरण का विरोध नहीं किया, क्योंकि तब उन्हें कोई आपत्ति नहीं थी।
सुब्बा रेड्डी के दावों पर सवाल
शर्मिला ने सुब्बा रेड्डी के बयानों को जगन मोहन रेड्डी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का प्रयास बताया है। उनके अनुसार सुब्बा रेड्डी राजनीतिक और आर्थिक रूप से जगन से लाभान्वित हुए हैं। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि अगर ये संपत्तियाँ जगन की हैं, तो ईडी द्वारा जब्त की गई संपत्तियों में शामिल न होने वाली सरस्वती पॉवर कंपनी उन्हें क्यों नहीं सौंपी गई। यह एक महत्वपूर्ण बिंदु है जो पूरे विवाद पर सवालिया निशान खड़ा करता है।
पारिवारिक रिश्तों और राजनीति का मिश्रण
शर्मिला ने यह भी कहा कि जगन का यह कहना कि “घर घर की कहानी” है, इस बात का प्रमाण है कि उनका अपने परिवार के सदस्यों के साथ कोई भावनात्मक लगाव नहीं है। उन्होंने अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए याद किया कि कैसे उन्होंने और उनकी माँ ने 2019 के चुनावों में जगन के लिए कठिन परिश्रम किया था, और उन्होंने कितना त्याग किया था। यह बयान इस तथ्य को उजागर करता है कि यह पारिवारिक विवाद केवल एक पारिवारिक विवाद से कहीं अधिक गहरा है और राजनीतिक हित भी इसमें शामिल हैं।
संपत्ति विवाद का राजनीतिक आयाम
यह संपत्ति विवाद आंध्र प्रदेश की राजनीति में गहरे भूचाल ला सकता है। यह न केवल वाईएसआरसीपी के भीतर विभाजन पैदा कर सकता है बल्कि विपक्षी दलों को भी जगन मोहन रेड्डी पर हमला करने का एक नया हथियार प्रदान कर सकता है। शर्मिला का आरोप है कि उनका भाई उनसे उनकी विरासत का हक छीनने की कोशिश कर रहा है। इससे वाईएसआरसीपी में भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है और पार्टी के कार्यकर्ताओं पर इसका प्रभाव पड़ सकता है। यह आगामी चुनावों पर भी असर डाल सकता है।
एनसीएलटी का मामला और इसके निहितार्थ
एनसीएलटी में दायर याचिका इस विवाद का केन्द्रबिंदु है। जगन मोहन रेड्डी ने पहले एनसीएलटी में दावा किया था कि उन्होंने प्यार और स्नेह के तौर पर सरस्वती पॉवर एंड इंडस्ट्रीज के अपने और अपनी पत्नी के शेयर अपनी बहन को उपहार में देने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन अब वह इस एमओयू को रद्द करना चाहते हैं। इस याचिका और उसके संभावित परिणामों का आंध्र प्रदेश की राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।
भविष्य की संभावनाएं और निष्कर्ष
यह संपत्ति विवाद अभी तक खत्म नहीं हुआ है और आने वाले समय में इसके और भी पक्ष सामने आ सकते हैं। एनसीएलटी में मामला अभी चल रहा है और इसका परिणाम इस विवाद के भविष्य को तय करेगा। यह विवाद शर्मिला और जगन मोहन रेड्डी के बीच व्यक्तिगत मतभेदों से परे है और आंध्र प्रदेश की राजनीति पर बड़ा असर डाल सकता है।
प्रमुख बिंदु:
- वाईएसआरसीपी नेता वाई.वी. सुब्बा रेड्डी के बयानों को शर्मिला ने खारिज किया है।
- शर्मिला ने अपने पिता की संपत्ति में समान हिस्सेदारी का दावा किया है।
- यह संपत्ति विवाद आंध्र प्रदेश की राजनीति को प्रभावित कर सकता है।
- एनसीएलटी में मामला चल रहा है और इसका निर्णय महत्वपूर्ण होगा।
- यह विवाद पारिवारिक विवाद से आगे बढ़कर राजनीतिक संघर्ष का रूप ले चुका है।