नई दिल्ली । भारतीयों के फेसबुक डेटा तक पहुंच बनाकर देश में चुनावों पर असर डालने के आरोपों से घिरी विदेशी कंपनी कैंब्रिज एनालिटिका ने क्या पिछले साल मोदी सरकार से झूठ बोला था? यह सवाल बुधवार को तब उठ खड़ा हुआ जब सरकार ने बताया कि कैंब्रिज एनालिटिका ने किसी भारतीय का अपने पास डेटा न होने की बात कही थी, जबकि फेसबुक ने सरकार को बताया था कि एनालिटिका के पास पांच लाख से अधिक भारतीयों का डेटा है।
लोकसभा में बुधवार को एक सवाल के लिखित जवाब में सरकार ने फेसबुक और कैंब्रिज एनालिटिका के विरोधाभासी दावों की जानकारी दी है। कौन सच बोल रहा कौन झूठ, इस दावे की पड़ताल के लिए सरकार दोबारा दोनों कंपनियों को नोटिस जारी कर चुकी है।
दरअसल, कर्नाटक के भाजपा सांसद अनंत हेगड़े ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से डेटा चोरी को लेकर सरकार से कई सवाल करने के साथ पूछा था कि इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
इस सवाल के लिखित जवाब में सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री संजय धोत्रे ने बताया कि भारतीय चुनावों में कैंब्रिज एनालिटिका की दखलंदाजी की पिछले साल आई खबरों के बाद सरकार ने कंपनी को नोटिस जारी किया था। तीन अप्रैल 2018 को कैंब्रिज एनालिटिका ने बताया कि उसके पास भारतीयों का कोई फेसबुक डेटा नहीं है।
वहीं इसके विपरीत फेसबुक ने भारत सरकार को पांच अप्रैल 2018 को बताया कि कैंब्रिज एनालिटिका ने इंस्टाल किए गए ऐप के जरिए करीब 562,455 भारतीयों के डेटा तक पहुंच बनाई है। मंत्री ने बताया कि दोनों कंपनियों के परस्पर विरोधी दावों के बाद सरकार ने फिर से उन्हें नोटिस जारी कर तस्वीर साफ करने को कहा। हालांकि मंत्री ने लिखित जवाब में यह नहीं बताया कि आगे फिर इन दोनों कंपनियों ने क्या सूचनाएं दीं?
अगर किसी व्यक्ति से जुड़ीं संवेदनशील सूचनाएं लीक होती हैं तो पीड़ित को मुआवजा पाने का अधिकार है। सरकार ने लिखित जवाब में बताया है कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम- 2000 की धारा 43 क के तहत सूचनाओं के गलत तरीके से इस्तेमाल और व्यक्तिगत सूचना लीक करने के मामले में पीड़ित को मुआवजा देने का प्रावधान है।
मंत्री ने बताया है कि संवेदनशील व्यक्तिगत सूचना की रक्षा के लिए संबंधित संस्थानों को स्पष्ट आदेश हैं। इतना ही नहीं सरकार भी नागरिकों की गोपनीयता की सुरक्षा के लिए व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक के जरिए कोशिशों में जुटी हुई है।