डेस्क। वीडियो देखने के लिए हम सबसे ज्यादा YouTube का ही यूज़ करते हैं। Youtube अभी तक बहुत ही सेफ मीडिया प्लेटफॉर्म्स में गिना जाता था। लेकिन अब आपको सतर्क होने की जरूरत है। इस बात में कोई दोराय नहीं है कि ऐप्स जितने पॉपुलर होते हैं, उतने ही खतरनाक भी होते हैं। सोशल मीडिया ऐप्स पर हैकर्स लूटने के लिए नए-नए तरीके ढूंढ ही लेते हैं ऐसा ही अब youtube पर भी हो रहा है।
वैसे तो वॉट्सएप और गूगल प्ले स्टोर पर मैलवेयर धोखाधड़ी के कई मामले सामने आते है पर अब YouTube पर भी इसके कई मामले सामने आए हैं।
यूट्यूब पर चल रहा ये सकैम पासवर्ड, टेलीग्राम मैसेज और यहां तक कि स्क्रीनशॉट भी चुरा लेते हैं। बता दें अगर आप YouTube पर स्क्रॉल कर रहे हैं तो थोड़ी सतर्कता की जरूरत है। इसपर मौजूद कुछ Video आपके डिवाइस को हैक कर सकते हैं। हां आपने सही सुना हैकर्स ने आपको लूटने के लिए नया तरीका खोज निकाला है।
हैकर्स आपकी सभी जानकारी चुराने के लिए पेनीवाइज नामक नए चोरी करने वाले मैलवेयर फैलाने के लिए एक वाहक के रूप में YouTube का उपयोग करने में लगे हैं। साइबल रिसर्च लैब्स के साइबर रिसर्चर्स द्वारा पेनीवाइज मैलवेयर की कई youtube videos में खोज की गई है, उन्होंने YouTube पर 80 से अधिक वीडियो का खुलासा किया है जो आपको खतरे में डालने की क्षमता रखती हैं। मैलवेयर पीड़ित के डिवाइस से संवेदनशील ब्राउजर डेटा और क्रिप्टोक्यूरेंसी वॉलेट चोरी करने का काम करता है।
कैसे यूज़र्स को फसाते हैं…
साइबर सिक्योरिटी रिसर्चर्स ने यूट्यूब पर कई वीडियोज ऐसे पाएं हैं, जो आपको लूटने में लगे हैं। इन वीडियो में अधिकांश यह बताते हैं कि बिटकॉइन माइनिंग सॉफ्टवेयर कैसे काम करते हैं और यूजर्स को वीडियो के डिटेल्स में डाउनलोड करने का लिंक मिलता है, अगर आप इसपर क्लिक करते हैं तो यह काफी खतरनाक साबित हो सकता है। यह फाइल एक पासवर्ड-सुरक्षा और VirusTotal के लिंक के साथ आता है जो फ़ाइल को “क्लीन” और आगे बढ़ने के लिए सुरक्षित दर्शाता है और आप इसके झांसे में फस जाते हैं।
कैसे करता है काम…
जैसे ही कोई यूजर इस फाइल को डाउनलोड करता है, वह सिस्टम में पेनीवाइज मैलवेयर को इन्सर्ट कर देता है। साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों की माने तो, यह मैलवेयर लगभग हर तरह का डेटा चुराने में सक्षम होता है। पेनीवाइज मैलवेयर 30 से अधिक क्रोम-आधारित ब्राउजर, 5 मोजिला-आधारित ब्राउजर, ओपेरा और माइक्रोसॉफ्ट एज सहित कई अलग-अलग ब्राउजरों के आपके डेटा को प्राप्त कर सकता है।
बता दें कि यह मैलवेयर सिस्टम डिटेल्स से लेकर लॉगिन क्रेडेंशियल्स तक की जानकारी चुराने में कारगर साबित होता है। यहां तक कि कुकीज, एन्क्रिप्शन Key, मास्टर पासवर्ड, डिस्कॉर्ड टोकन और टेलीग्राम सेशन में भी यह गुस जाता है। एक बार फ़ोन में आने के बाद यहीं आपके फ़ोन पर राज करने लग जाता है।