लखनऊ/रामपुर। समाजवादी पार्टी के नेता आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम के दो जन्म प्रमाण पत्र के मामले में एमपी-एमएलए सेशन कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। रामपुर की एमपी-एमएलएल कोर्ट ने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र (Fake Birth Certificate Case) मामले में आजम खान, उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को दोषी करार दिया है। कोर्ट ने तीनो दोषियों को 7-7 साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने तीनों को जेल भेजने का आदेश दिया।
मीडिया से मिली जानकारी के मुताबिक बता दें कि फेक बर्थ सर्टिफिकेट(Fake Birth Certificate Case) का यह केस 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव से जुड़ा है। तब अब्दुल्ला आजम ने रामपुर की स्वार विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में उनकी जीत भी हुई थी, हालाकिं चुनावी नतीजों के बाद उनके खिलाफ हाई कोर्ट में केस दाखिल कर दिया गया। आरोप लगा कि अब्दुल्ला आजम ने चुनावी फार्म में जो उम्र बताई है, असल में उनकी उम्र उतनी नहीं है।
VIDEO | Samajwadi Party leader Azam Khan, his wife Tanzeem Fatima and their son Abdullah Azam Khan convicted in fake birth certificate case. pic.twitter.com/XfqfunFJhe — Press Trust of India (@PTI_News) October 18, 2023
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VIDEO | Samajwadi Party leader Azam Khan, his wife Tanzeem Fatima and their son Abdullah Azam Khan convicted in fake birth certificate case. pic.twitter.com/XfqfunFJhe
— Press Trust of India (@PTI_News) October 18, 2023
तत्कालीन लघु उद्योग प्रकोष्ठ के क्षेत्रीय संयोजक एवं भाजपा विधायक आकाश सक्सेना ने 2019 में गंज थाने में सपा के वरिष्ठ नेता आजम खां के बेटे पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम के खिलाफ दो जन्म प्रमाणपत्र होने का मामला दर्ज कराया था, जिसमें सपा नेता आजम खां और उनकी पत्नी डॉ. तंजीन फात्मा को भी आरोपी बनाया गया था।
मिली जानकारी के अनुसार शैक्षणिक प्रमाण पत्र में अब्दुल्ला का डेट ऑफ बर्थ 1 जनवरी 1993 है, जबकि बर्थ सर्टिफिकेट के आधार पर उनका जन्म 30 सितंबर 1990 को बताया गया है। यह मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंचने के बाद इस पर सुनवाई शुरू हुई थी और अब्दुल्ला की तरफ से पेश किए गए जन्म प्रमाण पत्र को फर्जी पाया गया था। इसके बाद स्वार सीट से उनका चुनाव रद्द कर दिया गया था।
इसके अलावा अब्दुल्ला आजम पर पहले जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर पासपोर्ट हासिल करने और विदेशी दौरे करने के साथ ही सरकारी उद्देश्य के लिए दूसरे प्रमाण पत्र का इस्तेमाल करने का भी आरोप है। इसके अलावा उन पर जौहर विश्वविद्यालय के लिए भी इसका उपयोग करने का आरोप है।
आरोप है कि अब्दुल्ला आजम के पास दो अलग-अलग बर्थ सर्टिफिकेट हैं. एक 28 जून 2012 को रामपुर नगर पालिका ने जारी किया गया है, जिसमें रामपुर को अब्दुल्ला के जन्मस्थान के रूप में दिखाया गया है. वहीं दूसरा बर्थ सर्टिफिकेट जनवरी 2015 में जारी किया गया, जिसमें लखनऊ को उनका जन्मस्थान बताया गया है। इस फैसले के खिलाफ जिला जज की कोर्ट में रिवीजन दायर की गई थी, जिसे एमपी-एमएलए सेशन कोर्ट ने सुनवाई के बाद खारिज कर दिया था। मंगलवार को अब्दुल्ला आजम के अधिवक्ताओं ने लिखित बहस दाखिल की। इसके बाद कोर्ट में दोनों पक्षों की सुनवाई पूरी हो गई है। कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुनाया।