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लखनऊ:  राम इस धरती पर सबसे ज़्यादा पूजे जाने वाले भगवान में से एक हैं…वो एक ऐसे भगवान हैं…जो भगवान भी हैं और राजा भी…वो एक ऐसे राजा हैं…जो राजा भी हैं और संत भी…वो संतो के राजा हैं…और राजाओं के संत…वो माँ को दिया पिता का वचन निभाने के लिए 14 साल के लिए वन चले जाते हैं…वो राज ऐसे छोड़ देते हैं…जैसे कि कुछ छोड़ा ही न हो…वो राज ऐसे पाते हैं जैसे कि कुछ पाया ही न हो…उनके अलावा कौन ऐसा होगा जिसे राज जाने का कोई दुख ही न हो…उनके अलावा कौन ऐसा होगा…जिसे राज पाने का कोई अभिमान न हो…जो वन में भी वनवासी हैं और जो सिंहासन में भी वनवासी हैं…  जो सूर्यवंशी राजकुमार होकर भी… ख़ुद को ऋषि का दास बताता हो…’ नाथ संभुधनु भंजनिहारा, होइहै कोउ एक दास तुम्हारा…

गौरतलब है कि अयोध्या में राम मंदिर का नया स्वरूप आ गया है। अब मंदिर पहले से ज़्यादा काफ़ी बड़ा होगा…भविष्य में कई जररूतों के मुताबिक चाहे जैसा बने। लेकिन यहाँ बीते 30 सालों से ताराशी के काम में लगे लोगों का इन पत्थरों से गहरा नाता हो गया है। ये पत्थर मंदिर की बुनियाद से लेकर उसके शिखर का हिस्सा बनेंगे।

क्या किए गए हैं परिवर्तन

  • पहले मंदिर का एरिया  47000 स्क्वाएर फुट था अब  57000 स्क्वाएर फुट का होगा।
  • पहले मंदिर दो मंज़िल का था अब तीन मंज़िल का होगा।
  • पहले गर्भगृह के ऊपर सबसे ऊंचा शिखर 141 फुट का था। अब 161 का फुट का होगा।
  • पहले मंदिर में दो गुंबद थे…अब 5 गुंबद होंगे।
  • पहले मंदिर में दो सभा मंडप थे…अब 5 सभा मंडप होंगे।
  • पहले मंदिर में दो गुंबद और एक शिखर थे अब 5 गुंबद और एक शिखर होगा।