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कानपुर। कानपुर के चौबेपुर में दबिश देने गई पुलिस टीम पर हमला करने के बाद सीओ सहित आठ की हत्या के बाद दुर्दांत अपराधी विकास दुबे भले ही फरार है, लेकिन उसपर शिकंजा कसता जा रहा है। डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी के साथ एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार तथा आइजी एसटीएफ के कानपुर में कैंप करने से कार्रवाई भी गति पकड़ चुकी है।

कानपुर के चौबेपुर के प्रभारी रहे विनय तिवारी को विकास दुबे के घर पर दबिश में शिथिलता बरतने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। एसटीएफ ने विनय तिवारी को हिरासत में लिया है। जांच में दोषी मिलने पर तिवारी को निलंबित किया गया है। इस मामले में संदिग्ध भूमिका मिलने पर विनय तिवारी के खिलाफ भी केस दर्ज होगा।एसटीएफ ने चौबेपुर के थानाध्यक्ष विनय तिवारी को हिरासत में लिया है, जबकि वहां के थानाध्यक्ष का चार्ज पुष्पराज सिंह को दिया गया है। कानपुर में पुलिस ने 500 से अधिक मोबाइल नंबर को ट्रेस करने के लिए सॢवलांस पर लगा दिया है।

कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में गुरुवार-शुक्रवार रात में शातिर अपराधी विकास दुबे के घर पर दबिश डालने गई पुलिस टीम पर हमला किया गया और इसमें सीओ सहित आठ पुलिसकर्मी बलिदानी हो गए। इस मामले के तूल पकडऩे पर सीएम योगी आदित्यनाथ का पारा चढ़ गया और पुलिस महकमा तत्काल एक्शन में आ गया। डीजीजी हितेश चंद्र अवस्थी के साथ एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार तथा आइजी एसटीएफ अमिताभ यश कानपुर में कैंप कर रहे हैं।

रासत में चौबेपुर थानाध्यक्ष रहे विनय तिवारी

चौबेपुर थाना के इंचार्ज रहे विनय तिवारी को शनिवार को एसटीएफ ने हिरासत में लिया है, जबकि पुष्पराज सिंह को चौबेपुर थाने का चार्ज दिया गया है। एसटीएफ को अनुमान है कि पुलिस टीम के विकास दुबे के घर पर दबिश की तैयारी को चौबेपुर थानाध्यक्ष रहे विनय तिवारी ने ही लीक किया था। विनय तिवारी ही बुधवार को राहुल तिवारी की शिकायत पर विकास दुबे के गांव बिकारू गए थे और बताया जा रहा है कि विनय तिवारी की मौजूदगी में ही विकास दुबे ने राहुल तिवारी को पीटा था। विनय तिवारी ने जब बीच-बचाव का प्रयास किया तो उनका मोबाइल छीनकर विकास दुबे ने उनके साथ अभद्रता की। एसओ ने उससे पूछताछ की। जिसके चलते दोनों के बीच झड़प हुई। विकास और एसओ के बीच हाथापाई भी हो गई थी जिसके बाद पुलिस लौट आई। इसके बाद गुरुवार को पुलिस ने राहुल तिवारी की तहरीर पर एफआईआर दर्ज कर ली और उसके बाद विकास को पकडऩे के लिए सीओ बिल्हौर के नेतृत्व में दबिश के लिए ऑपरेशन तैयार किया गया।

एसओ से कल भी हुई पूछताछ

बिकरू गांव चौबेपुर थानाक्षेत्र में आता है। जब दबिश दी गई तो बाकी थानों की फोर्स एसओ और सीओ आगे बढ़ गए मगर एसओ चौबेपुर विनय तिवारी जेसीबी के पीछे रहे। थानाक्षेत्र उनका था, इलाके में लगाए गए बीट कांस्टेबल उन्हेंं रिपोर्ट करते थे। गांव की भौगोलिक स्थिति के बारे में उन्हेंं ज्यादा जानकारी थी। उसके बाद भी वह आगे नहीं बढ़े। इसी मामले में एसटीएफ के अधिकारियों ने देर शाम एसओ चौबेपुर से भी पूछताछ की।

एसटीएफ के पास विकास दुबे की कॉल डिटेल

एसटीएफ ने जांच के दौरान कल ही विकास दुबे की कॉल डिटेल भी निकवाई है। उसकी कॉल डिटेल में कई पुलिसवालों के नंबर पर कॉल की जानकारी मिली है। इस मामले में एक दरोगा, सिपाही और होमगार्ड राडार पर हैं। पुलिस की जांच में सामने आया है कि चौबेपुर थाने के ही एक दारोगा ने विकास दुबे को पुलिस के आने की जानकारी पहले ही दे दी थी। पुलिस के शक के घेरे में एक दारोगा, एक सिपाही और एक होमगार्ड है। तीनों की कॉल डिटेल के आधार पर पुलिस उनसे पूछताछ कर रही है।

विकास का नेटवर्क पुलिस से तेज, दबिश की जानकारी पहले पहुंची

विकास दुबे का नेटवर्क पुलिस से ज्यादा तगड़ा निकला। विकास दुबे को विभाग के किसी कर्मी ने पुलिस दबिश की सूचना दे दी। उसे यह तक बताया गया कि पुलिस देर रात कितने बजे दबिश मारने आएगी और कितने थानों की फोर्स के साथ सीओ आ रहे हैं। उस पर अपराधियों का हौसला डिगा नहीं। वह मौके से फरार नहीं हुए। बल्कि दबिश के लिए आ रही टीम के लिए तैयारी कर ली। विकास दुबे और उसके गिरोह के सदस्यों ने रास्ता ब्लॉक करने के साथ अत्याधुनिक हथियारों के साथ छतों पर रहकर पुलिस का इंतजार किया। जब पुलिस पहुंची तो अंधाधुंध गोलियां चलाई गईं।

डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी कहा कि बदमाशों को पुलिस के दबिश देने आने की जानकारी पहले से थी। यह सूचना पुलिस से अथवा किसी अन्य स्रोत से लीक हुई, इन सभी बिंदुओं पर गहनता से जांच कराई जा रही है। डीजीपी का कहना है कि हमले में दस से अधिक बदमाश शामिल थे। सभी पूरी तैयारी थे और वहां पहले से घात लगाए बैठे थे। आरोपित विकास व उसके साथियों की तलाश में एसटीएफ समेत कई जिलों की पुलिस जुटी है।

क्या था राहुल से विकास का मामला

राहुल तिवारी ने बताया कि विकास ने उसके ससुर लल्लन शुक्ला की जमीन का जबरन दानपात्र में बैनामा करा लिया था। इसे लेकर राहुल तिवारी ने कोर्ट में एक मुकदमा दायर किया। उसी मामले में एक जुलाई को विकास दुबे, सुनील, बाल गोविंद, शिवम दुबे, अमर दुबे ने उसे रास्ते में रोका और वहां पीटने के बाद बंधक बना लिया। उसके ऊपर मुकदमा वापस लेने का दवाब बनाते हुए उसे जान से मारने की धमकी दी।