उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में कोरोना वायरस के संक्रमण की स्थिति बेकाबू है। यहां कांशीराम ट्रामा सेंटर में रविवार दोपहर कोरोना संक्रमित जलकल कर्मी की मौत हो गई। जिस पर परिजनों ने हंगामा किया। बेटी ने आरोप लगाया कि, अस्पताल प्रशासन अब उन्हें पिता की लाश नहीं दे रहा है। जिस पर डीएम ब्रह्मदेव तिवारी मौके पर पहुंचे। इस दौरान इलाज की व्यवस्थाओं की पोल खोलते हुए बेटी डीएम तिवारी के पैरों पर गिर पड़ी। यह देख डीएम पीछे हट गए, उन्होंने भी हाथ जोड़ लिया। बेटी रोते हुए डीएम से कह रही थी कि, मैंने आपके आफिस में भी शिकायत की थी। लेकिन कुछ नहीं हुआ। डीएम ने जांच के बाद कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
- कानपुर के सरकारी अस्पतालों में कोरोना संक्रमितों के इलाज की खुली पोल
- मौत के मामले में कानपुर प्रदेश में नंबर एक पर, यहां अब तक 264 रोगी मरेक्या है मामला?
पनकी निवासी 53 साल के जलकलकर्मी 25 जुलाई से बीमार थे। उन्हें प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां हालत सही न होने पर 31 जुलाई को प्राइवेट पैथोलॉजी से कोरोना जांच कराई। एक अगस्त को संक्रमित होने की जानकारी पर उन्हें कांशीराम अस्पताल में भर्ती कराया गया। बेटी ने आरोप लगाते हुए कहा कि एक सप्ताह से अस्पताल प्रबंधन उनकी हालत खराब होने की बात कहकर वेंटीलेटर पर रखे था।सुबह तक डॉक्टर हालत ठीक बता रहे थे। दोपहर में पिता की मौत की सूचना दे दी।
इसके बाद परिजनों ने अस्पताल परिसर में हंगामा करना शुरू कर दिया। परिजनों ने यह भी आरोप लगाया कि, उसे अस्पताल के डॉक्टरों ने पिता को रीजेंसी ले जाने की सलाह दी थी। लेकिन उसके पास इतने पैसे नहीं थे वह प्राइवेट अस्पताल में इलाज करा सके। बताया कि पिता जलकल विभाग के जीएम के संपर्क में आने से कोरोना संक्रमित हुए थे। जीएम का वीआईपी ट्रीटमेंट किया गया। लेकिन बाकियों को मरने के लिए छोड़ दिया गया है।
सूचना पाकर जिलाधिकारी डॉ. ब्रह्मदेव राम तिवारी, एसीएम-2 अमित राठौर, सीएमओ अनिल कुमार मिश्रा मौके पर पहुंचे। उनके साथ चकेरी थाने की फोर्स भी थी। इस दौरान मृतक की बेटी ने डीएम से हाथ जोड़कर कहा कि परिवार में उनकी मां, दो भाई भी संक्रमित हैं और अस्पताल की लापरवाही के चलते पिता की मौत हो गई है। उसने रोते हुए कहा कि साहब आपके ऑफिस में भी सूचना दी पर कुछ नहीं हुआ। इतना कहते हुए वह जिलाधिकारी के पैरों में गिर पड़ी। उसे पैरों में गिरा देख जिलाधिकारी भी हाथ जोड़कर उसके आगे खड़े हो गए। बेटी को समझाने का प्रयास करने लगे।
क्या बोले जिलाधिकारी?
जिलाधिकारी डॉ. ब्रह्मदेव राम तिवारी ने बताया कि जलकल कर्मी की हालत नाजुक होने के कारण उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया था। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। परिजनों ने जो आरोप लगाए हैं, उनकी जांच कराई जा रही है और अगर कोई भी दोषी पाया जाता है तो उसको पर कड़ी कार्रवाई होगी।
कानपुर में सर्वाधिक मौत
कानपुर में वर्तमान में 4644 एक्टिव केस हैं। जबकि 264 संक्रमितों की मौत हो चुकी है। यह प्रदेश में किसी जिले में हुए मौत का सर्वाधिक आंकड़ा है। जिले में 3272 संक्रमित इलाज के बाद ठीक हो चुके हैं।