[object Promise]
उपेन्द्र कुशवाहा
कुशीनगर : जिले के कटाई भरपुरवा गांव में शुक्रवार को सुबह खेती-बाड़ी करने जा रहे 19 वर्षीय युवक की नारायणी नदी के एक नाले में डूबने से मौत हो गई। युवक की मौत से गुस्साए ग्रामीणों ने 4 घंटे तक शव को रोक कर आर्थिक मदद दिलाने और खेती किसानी हेतु नाव की मांग को लेकर प्रदर्शन किया।
सूचना पर पहुंचे थानाध्यक्ष जटहां बाजार ने ग्रामीणों और परिजनों को मनाने की कोशिश की मगर राजस्व विभाग के अधिकारियों ने आकर जब तक मांगें पूरी करने का वादा किया तब जाकर शव को उठने दिया। कटाई भरपुरवा के टोला हनुमानगंज निवासी किसान राम अवध कुशवाहा का 19 वर्षीय पुत्र जगदीश्वर उर्फ नागेंद्र सुबह अपने भाई के साथ नारायणी नदी के पाटे में स्थित अपनी खेती-बाड़ी करने के लिए जा रहा था। कटाई भरपुरवा बांध खैरवा टोला गांव के समीप नदी में बह रहे गहरे नाले को पार करते समय अचानक उसका पैर फिसल गया। गहरे नाले में डूबने से उसकी मौत हो गई। संयोग ठीक रहा कि साथ में जा रहा उसका भाई भी फिसला था मगर बचकर बाहर निकल आया।
घटना की सूचना पाकर जटहां बाजार थानाध्यक्ष फोर्स के साथ मौके पर पहुंच गए और शव को कब्जे में लेने की कोशिश की तो ग्रामीणों ने उन्हें रोक दिया। तत्काल राजस्व विभाग के अधिकारियों को बुलाकर आर्थिक मदद व खेती बाड़ी के लिए नाव की मांग रखी और प्रदर्शन करने लगे। एसओ ने ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया मगर नतीजा नहीं निकला। तीन घंटे बाद हल्का लेखपाल अजीत कुमार पहुंचे। इसके बाद तहसीलदार डॉक्टर संजीव कुमार राय व नायब तहसीलदार रवि यादव भी पहुंच गए। राजस्व विभाग के अधिकारियों आर्थिक मदद दिलाने के साथ नाव की तत्कालिक व्यवस्था करवाए जाने का आश्वासन दिया तब जाकर ग्रामीणों का गुस्सा शांत हुआ और पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
नारायणी नदी के पाटे में करते हैं खेती
कटाई भरपुरवा व आस पास के गांवों की खेती नारायणी नदी व बंधे के बीच में उस स्थान पर स्थित है, जिसे नदी छोड़ चुकी है। नदी अपनी धारा बदलने के साथ इस जमीन को छोड़कर बंधे से काफी दूर हो चुकी है। यहीं कई किसानों की खेती है। बंधे व खेत के बीच गहरा नाला बन गया है। खेती के किसानों को इसे पैदल पार करना पड़ता है। यह रिस्की है मगर किसान अंदाज से कम पानी का अंदाजा लगाते हुए इसे पार करते हैं। युवक इसी को पार करते फिसल कर गहरे पानी में चला गया था।
कटाई भरपुरवा के किसान नंदकिशोर कुशवाहा का कहना है कि सैकडों किसान प्रति दिन रिस्क लेकर नदी का गहरा नाला पार करते हैं। नारायणी नदी में कहां गहरा पानी है और कहां कम, यह अंदाज लगाना बेहद मुश्किल काम है। जहां युवक डूबा वहां गहरा पानी था, पास ही जहां से अन्य लोग जाते हैं, वहां पानी कम है। इसीलिए ग्रामीणों ने नाव की मांग रखी ताकि नाला पार करने में रिस्क न रहे।