कुशीनगर : यूं तो कहने के लिए सिर्फ या मुख्य पश्चिमी गंडक विभाग का यह संपत्ति है लेकिन इसका हकदार अब कुछ थाने बन चुके हैं,बने भी क्यों ना जब इस पर नजर जब पुलिस की ही पड़ी हुई है। हालांकि इस संपत्ति पर अवैध कारोबारियों ने जो पुलिस का कमाई का जरिया बना डाला है,ऐसे में गंडक विभाग को जितना तकलीफ नहीं है उतना पुलिस इसे बचाने के नाम पर अपने ओर से संपत्ति बचाने के जगह अड़ियल रवैया अपना रही है। मतलब साफ है कि गंडक विभाग की बड़ी नहर के पटरी को बचाने के लिए गत वर्ष सफाई के लिए जेसीबी मशीन लगवा कर नहर के भीतर से निकलने वाली कूड़ा कबाड़ के साथ मिट्टी बालू को निकालकर नहर की पटरी पर टीला बना दिया था,लेकिन कुछ बालू व्यवसाय से जुड़े कारोबारियों की नजर बालू-मिट्टी से बने टीले पर पडते ही मानो पैसा कमाने की होड़ मच गई। उधर जिले में मिट्टी खनन हो या बालू खनन हो कि जिला प्रशासन ने एका एक रोक क्या लगा दी थी ।
एसे में पडरौना शहर से लेकर गांव देहात में जिला पंचायत क्षेत्र पंचायत व ग्राम पंचायत में होने वाले रोड इंटरलॉकिंग खड़ंजा कार्य में इसी गंडक नहर के किनारे पटी मिट्टी को लोड करके कुछ बालू के नाम पर तो कुछ मिट्टी के नाम पर ट्रैक्टर ट्राली व डीसीएम वाहन से लोगों के जरूरत के हिसाब से घर तक पहुंचाने का काम मोटी रकम लेकर करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। अब सवाल यह उठता है कि मुख्य पश्चिमी गंडक नहर विभाग की इस संपत्ति की निगरानी के लिए वैसे तो गंडक विभाग ने अपने और से इसे बचाने के लिए अपना कोई कर्मचारी नहीं लगाया है,जबकि टीले को काटकर व्यवसाय करने वाले कुछ व्यवसायियों पर नजर अलग-अलग थाना क्षेत्रों के थानेदारों की हो गई है,और सीधे-सीधे इसके नाम पर ऐसा करने वाले कारोबारियों को पकड़ने के बाद मोटी रकम लेकर छोड़ने के साथ अपना कमाई का जरिया बना लिया है।
जबकि चाहे वह बालू कारोबारी हो या मिट्टी के कारोबार जुड़े हो,गंडक विभाग की संपत्ति को जिस तरह से अपने व्यवसाय में लेकर इसका उपयोग करने वाले लोगों से मोटी रकम लेकर जिस तरह से कार्य कर रहे हैं,वही इन कारोबारियों पर जिले की कोतवाली पडरौना व कुबेरस्थान की पुलिस बड़ी नहर गंडक नहर की संपत्ति बचाने के बजाय अपनी कमाई का जरिया बना लिया है। बेशक यहां सवाल उठाना लाजमी है कि गंडक विभाग अपने ही संपत्ति को आने वाले भविष्य में चाहे नहर में पानी बडने के दौरान नहर टूटने की समस्या हो या और किसी प्रकार की समस्या उत्पन्न हो,इसी बालू और मिट्टी को पुन : अपने नहर को बचाने के काम लेगी। लेकिन गंडक विभाग पूर्व में कराए गए नहर के सफाई के दौरान नहर के भीतर से निकली कूड़ा कबाड़ के आलावा मिट्टी के साथ बालू से बनी नहर के पटरी पर सिल्ट को कुछ अवैध कारोबारियों ने अपने उपयोग में लेकर जिस तरह से कमाने का कारोबार कर रहे हैं अब इन्हें चाहे पडरौना कोतवाली की पुलिस हो या कुबेरनाथ की पुलिस हो,ऐसे कारोबारियों पर करवाई तो दूर सिर्फ मोटी रकम लेकर मददगार बन गई है,हालांकि कुछ ऐसे करोबारी हैं जो इन पुलिस वालों को किसी कारण पैसा नहीं दे पा रहे हैं तो उन्हें गिरफ्तार करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रही है। मजे की बात यह है कि गंडक विभाग अपनी संपत्ति बचाने के लिए न तो पुलिस से लिखित मदद मांगी है, और ना ही कोई अपनी ओर से खुद का कर्मचारी लगाया है।
दूसरी ओर लावारिस हालत में पड़ी गंडक विभाग की संपत्ति मिट्टी व बालू की संयुक्त बनकर टीले के रूप मे खड़ी मिट्टी को बचाने के नाम पर इन दिनों कोतवाली पडरौना को छोड़ दिया जाए तो कुबेरस्थान थाना के खुद थानेदार अवैध बालू के नाम पर कमाई का जरिया बन चुके हैं ? विश्वस्त सूत्रों की माने तो कुबेरस्थान थाना क्षेत्र के पचरुखिया मुख्य पश्चिमी गंडक नहर के निकट पर बने टीले व सिसवा पुल पर बने की मिट्टी के टीले पर मिट्टी काटकर बालू के नाम पर कारोबार करने वाले तमाम लोगों को पकड़ने के दौरान सीधे-सीधे इस थाने की पुलिस ट्रैक्टर ट्राली पर लदी बालू कारोबारियों में जिस तरह से पैसा लेकर मदद कर रही है,वही जिसने ने पैसा नहीं दिया उसे गिरफ्तार कर उसकी गाड़ी ट्रैक्टर ट्राली सीज कर रही है, एसे थानेदार की इस अजीबो गरीब करवाई चर्चा का विषय बना हुआ है। अहम सवाल यह है कि कुबेरस्थान के थाने की पुलिस गंडक विभाग के संपत्ति बचाने के नाम पर लाइन आर्डर के तहत जिस तरह से इस तरह बालु कारोबारियों को चंद पैसा लेकर संरक्षण दे रही है,ऐसे में तो भविष्य में कहीं गंडक नहर के किनारे पटरी पर कोई आफत आई तो इसके भगवान ही मालिक होगा ?