उपेन्द्र कुशवाहा
कुशीनगर : एक माह पहले से लगातार हो रही बरसात से जल निकासी को लेकर नगरपालिका पडरौना प्रशासन की उदासीनता व लापरवाही बरतने के कारण नगर कि हाल बत्तर हो गई है । बरसात शुरू होने के पूर्व नालों की सफाई के प्रति बरती गई लापरवाही ने इस समय नगरवासियों को चिंतित में डाल दिया है।
कुशीनगर : एक माह पहले से लगातार हो रही बरसात से जल निकासी को लेकर नगरपालिका पडरौना प्रशासन की उदासीनता व लापरवाही बरतने के कारण नगर कि हाल बत्तर हो गई है । बरसात शुरू होने के पूर्व नालों की सफाई के प्रति बरती गई लापरवाही ने इस समय नगरवासियों को चिंतित में डाल दिया है।
25 वार्डो का विस्तार लिए पडरौना नगर पालिका क्षेत्र की मौजूदा आबादी तकरीबन 75000 है। नगर के मुख्य समेत भीतरी मोहल्लों की नालियां जाम पड़ी है। जल निकासी इनके भरोसे संभव नहीं है। कूड़ों कचरों से अटी पड़ी नालियां लोगों को मुंह चिढ़ा रही हैं। जाम पड़े नालों से कचरे कब निकाले जाएगे कोई बताने वाला नहीं है। इनकी सफाई बरसात के पूर्व हर हाल में हो जानी चाहिए थी,लेकिन नगर पालिका प्रशासन नालियों की साफ-सफाई को लेकर बरती गई उदासीनता के कारण आज समस्या बना हुआ है। एक माह पहले से बरसात का आगाज होने से यहां के बाशिंदों के चेहरे पर चिंता की लकीर साफ दिख रही थी। हालांकि इस नगर में चारो तरफ जल जमाव से चिंतित लोग कहने लगे हैं कि बरसात से पहले जिम्मेदारों की लापरवाही ने बर्तमान में बडी समस्या ला दी है। एसे में लो लैंड वाले हिस्सों के बाशिंदों की भी चिंता सबसे अधिक बना हुआ है। कई दिनों से रात में लागातार हुई बारिश से ही पडरौना नगर में जल निकासी की पोल खोल दी है।
नालियों पर कब्जा
पडरौना नगर क्षेत्र के आधे से अधिक नालों पर दुकानदारों स्थाई व अस्थाई कब्जा है। नगर पालिका प्रशासन को नालों की सफाई कराते समय तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जहां पर स्थाई कब्जा है वहां की नालियां ज्यों की त्यों पड़ी रहने से बाकी सफाई बेमतलब साबित होने लगती है। नालों पर स्थाई स्लैब डाल दिए जाने से इसे हटा पाना आसान नहीं होता। बगैर हटाए सफाई मुश्किल भरा होता है।
यहां की जाम हैं नालियां
पडरौना नगर के कटकुईया मोड से छावनी,रामकोला रोड,कोतवाली रोड,साहबगंज,ओंकार वाटिका,नौकाटोला से चुंगी,नौकाटोला से साहबगंज रोड़ के नाले,बेलवा चुंगी बाईपास,जटहां रोड़,कोतवाली से सुभाष चौक आदि क्षेत्रों के नाले जाम हैं। इनकी सफाई बरसात पूर्व नहीं हुई तो निश्चित ही बरसात में नागरिकों को संकट की स्थिति से निपटना पड़ता रहा है।