वाराणसी। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में एक चौंकाने वाली घटना हुई, यहां अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा अधिकारी की मौत के बाद उनके परिजनों को दूसरे व्यक्ति का शव सौंप दिया गया। अधिकारी की मौत कोरोनावायरस के कारण हुई थी। एसीएमओ डॉ. जंग बहादुर सिंह की मंगलवार देर रात मौत हो गई थी और बुधवार को उनके परिवार को उनका शव सौंपा गया। शव को बॉडी बैग में रखा गया था। जब परिजन शव का दाह संस्कार करने के लिए हरीश्चंद्र घाट पर ले गए और जैसे ही परिजनों ने चिता को अग्नि दी, वहां गाजीपुर के एक कोविड-19 रोगी के परिजन आ गए। उस रोगी की उसी दिन मृत्यू हो गई थी और उसका शव एसीएमओ के परिवार को सौंप दिया गया था।
यह सुनते ही एसीएमओ के परिवार ने आंशिक रूप से जले हुए शरीर का चेहरा देखने के लिए रैपर को हटाया और वे यह देखकर चौंक गए कि यह शव डॉ. सिंह का नहीं था।
बाद में गाजीपुर के रोगी के परिजनों ने उसके शव की आगे की दाह संस्कार की प्रक्रिया पूरी की। वहीं डॉ. सिंह के परिजन उनका अंतिम संस्कार करने के लिए उनका शव लेने फिर से मरर्चुी में गए।
बता दें कि जिले के सभी कोविड अस्पतालों में आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी संभालने वाले एसीएमओ खुद बीमार पड़ गए थे और उन्हें एक सप्ताह पहले निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
जिला मजिस्ट्रेट कौशल राज शर्मा ने कहा, “दो दिन पहले किया गया उनका कोरोना परीक्षण निगेटिव आया था लेकिन जब उनका दोबारा परीक्षण किया गया तो वे पॉजिटिव पाए गए।”
इसके बाद उन्हें बीएचयू अस्पताल के आईसीयू में स्थानांतरित कर दिया गया था, जहां मंगलवार देर रात उनका निधन हो गया।
जिला प्रशासन के आधिकारिक बयान के मुताबिक, गाजीपुर के एक कोविड -19 मरीज का शव भी बीएचयू के शवगृह में एसीएमओ के शव के साथ रखा गया था। कोविड प्रोटोकॉल के अनुसार, दोनों की बॉडी को रैपर से पैक किया गया था, जिसके कारण गड़बड़ी हो गई।