उपेन्द्र कुशवाहा
पडरौना,कुशीनगर: मौसम ने दस्तक दे दी है। तेज धूप से किसानों के चेहरे पर छायी उदासी उमड़-घुमड़ रहे बादलों को देख छट गई है। धान की तैयार हो रही नर्सरी व उसकी बढ़वार देख किसानों के चेहरे पर खुशहाली है। जलजमाव वाले खेतों में धान की रोपनी शुरू भी हो गई है तो समतल वाले खेतों में रोपनी की तैयारी में जुटा किसान खेतों की जुताई, खर-पतवार की निकासी, मेड़बंदी कराने में व्यस्त है। नर्सरी तैयारी में छिट-पुट बारिश भी काफी कारगर होने से किसानों का तनाव छटता दिख रहा है। सामान्यता धान की रोपाई कार्य 25 जून के बाद शुरू होता है, लेकिन निचले स्तर वाले खेतों में जहां बरसात में जलजमाव की नौबत आती है किसान रोपाई कार्य करके तनाव मुक्त हो जाना चाहता। निचले स्तर वाले खेतों के लिए माह पूर्व गिराए गए मंसूरी, सांभा मंसूरी, गोल्डेन, कामिनी आदि धान की नर्सरी से रोपाई कार्य शुरू हो गया है। लेव लगाने व रोपनी में जुटा किसान खाद, डीजल को लेकर काफी परेशान भी दिख रहा है। महंगे डीजल व खाद के जतन में किसानों को कर्ज भी लेना पड़ रहा है। जिन किसानों को समतल वाले खेतों में रोपाई करनी है वे अभी तनावमुक्त हैं तथा खेतों की जुताई करवाने के साथ ही उग आए खरपतवार को निकलवाने व मेडबंधी करवाने में जुटे हुए हैं। नर्सरी में यूरिया छिड़काव करने में किसान तत्परता दिखा रहे हैं।
तत्परता जरूरी
-किसान अवधेश सिंह कहते हैं मौसम अनुकूल होने व छिटपुट बरसात होने से धान की नर्सरी तैयारी में कोई बाधा नहीं आयी। बरसात के बाद यूरिया का छिड़काव करने से नर्सरी की बढ़वार ठीक हो रही है। कहते हैं कि जलजमाव वाले क्षेत्रों में धान की रोपाई कार्य चल रहा है। कहीं बरसात में जलजमाव से रोपाई में लगाई गई पूंजी डूबे न इसीलिए किसान तत्परता बरत रहा है।
तैयारी में तेजी
-किसान वृजभान कहते हैं समतल भूमि वाले खेतों में रोपाई कार्य में अभी काफी समय है। खेतों की तैयारी ठीक से की जा रही है। खर-पतवार को सूखने व मिटटी को उलट-फेर करने के लिए हर सप्ताह जोताई करवाई जा रही है। कहते हैं दूब का एक तिनका बच गया तो वह रोपे गए धान की बढवार को प्रभावित करेगा। इसलिए खर पतवार को रोपनी के पूर्व निकलवाया जा रहा है।
ताकि न हो जलजमाव से नुकसान
-किसान दीनबंधु उपाध्याय कहते हैं महंगे डीजल व खाद, लेव लगवाने, महंगी मजदूरी के बाद भी धान की पैदावार ठीक न हो तो चिंता हो जाती है और किसान आर्थिक रूप से टूट जाता है। ऐसे में बरसात शुरू होने के पूर्व जलजमाव वाले क्षेत्रों में धान की रोपाई करा लेना ही होशियारी का कार्य है। जो किसान पिछड़ जाएगा उसे पछतावा होगा। समय से रोपाई हो जाएगी तो जलजमाव के बाद भी धान की फसल को खास नुकसान न होगा।
बारिश की है जरूरत
-किसान जगरनाथ वर्मा कहते हैं जलजमाव वाले खेतों में मंसूरी, सांभा मंसूरी, गोल्डेन, कामिनी वेरायटी का धान अनुकूल है जबकि समतल खेतों में सरयू 52, चाइना, विजया आदि वेराइटी सर्वाधिक प्रचलन में है। कहते हैं सरयू 52 ऐसा धान है जो किसी भी खेत में बेहतर उत्पादन देता है। इसलिए 60 फीसद किसान इसी धान की नर्सरी तैयार कर रहे हैं। कहते हैं कि मौसम का रूख एक सप्ताह पूर्व अनुकूल नहीं था, लेकिन तीन-चार दिनों से रोपाई के अनुकूल मौसम बन रहा है। बारिश की जरूरत है।