लखनऊ । उत्तर प्रदेश एसटीएफ के हाथों दस जुलाई को मारे गए कुख्यात विकास दुबे के खिलाफ बिगुल फूंकने वाला शख्स राहुल तिवारी आज अचानक घर वापस लौट आया है। उसने विकास दुबे की दहशत की कहानी बयां की।
राहुल तिवारी ने बताया कि उसके ससुराल की जमीन को लेकर विकास दुबे से नहीं बनती थी। 27 जून को मोटरसाइिकल पर वह घर लौट रहा था। रास्ते में विकास के गुर्गो ने मोटरसाइकिल और पैसे भी छीन लिए। इसके बाद उसने थाने में तहरीर दी। 1 जुलाई को एसओ विनय तिवारी ने कहा कि चलो, मामले की तफ्तीश कर लें। इसके बाद वह उनके साथ घटनस्थल पर गया। इसके बाद उनके साथ बिकरू पहुंचे। वहां विकास दुबे के गुर्गो ने बहुत मारा-पीटा और हमारे सीने पर रायफल लगा दी। एसओ साहब को भी बहुत हड़काया, गाली-गलौज की।
राहुल ने बताया कि एसओ साहब को लगा कि ये इसको मार देगा, तब एसओ साहब ने अपना जनेऊ निकाला और कहा कि भइया पंडितो की इज्जत रखो। फिर विकास दुबे ने गंगा जल निकाला और हमें भी दिया, एसओ साहब को भी दिया। इसके बाद उन्होंने कसम खिलाई। इसके बाद विकास दुबे को भी कसम खिलाई कि राहुल तिवारी को मारोगे नहीं। उसने कहा कि नहीं मारेंगे।
उन्होंने बताया कि इसके बाद हाते में हमसे विकास दुबे ने पूछताछ की और गाड़ी दे दी। इसके बाद हम दहशत में आ गए कि हमें ये कल मार देगा। इसके बाद हम कप्तान के यहां आए। यहां से थाने भेजा गया, थाने में एसओ साहब ने एक एप्लीकेशन लिखी और उसके बाद पुलिस कार्रवाई करने गई। 2 जुलाई की रात में दबिश हुई उसमें 8 पुलिसकर्मी मारे गये।
राहुल ने बताया कि हमारी ससुराल की खेती का मामला था। बुआ की नीयत खराब है। मेरे ससुर की बहन का लड़का सुनील कुमार की शादी बिकरू में बाल गोविंद के यहां हुई थी। बाल गोविंद और विकास दुबे की करीबी थी। उसी में यह मामला हुआ। खेती के चक्कर में मामला हुआ। बार-बार खेती छोड़ने को कह रहे थे। विकास के जिन गुर्गो ने मुझे मारा था उसमें शिवम, बाल गोविंद, अतुल दुबे, सुनील कुमार, अमर दुबे शामिल थे। विकास दुबे बहुत आतंकी था।
उन्होंने बताया कि घटना के बाद वह दहशत में आ गया था और उसने मोबाइल बंद कर दिया था। इसीलिए गायब हो गया था। एनकाउंटर के बाद वह कप्तान साहब के पास पहुंचा और बताया, तब कप्तान ने हमें गनर की व्यवस्था की तब हम अपने गांव पहुंचे हैं।
गौरतलब हो कि कुख्यात विकास दुबे के खिलाफ बिगुल फूंकने वाला शख्स राहुल तिवारी बीते 12 दिन से लापता था। राहुल तिवारी ने ही विकास दुबे के खिलाफ चौबेपुर थाना में 30 जून को रिपोर्ट लिखाई थी। जिस पर पुलिस दाबिश देने गई थी और उस मुठभेड़ में 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गये थे। कानपुर के चौबेपुर के कांड के बाद नौ जुलाई को उज्जैन में पुलिस ने दुर्दात बदमाश विकास दुबे को यूपी एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) ने 10 जुलाई को कानपुर के पास मुठभेड़ में मार गिराया था।