कानपुर की कंपनी ने युद्धक विमान मिराज के कलपुर्जे बना लिए हैं।
इस कंपनी की फाइल तीन वर्षों से नागपुर कमांड ऑफिस में अटकी है। इस पर फैसला नहीं हो पा रहा है। इसे लेकर कंपनी की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिकायत की गई है।
भारतीय वायु सेना को कलपुर्जों की आपूर्ति करने वाली शहर की कंपनी प्रेसीटेक्स इक्विपमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक सुशील शर्मा ने प्रधानमंत्री को ट्वीट किया है। उन्होंने बताया कि शहर के अलावा देश भर के कई कारोबारियों ने भारतीय वायु सेना के युद्धक विमान जैसे मिग, मिराज एवं सुखोई के कई आयातित कलपुर्जों का सफलतापूर्वक स्वदेशीकरण कर लिया है।
वायु सेना को जरूरत पड़ने पर ये कलपुर्जे लगातार उपलब्ध भी कराए जा रहे हैं। जिन पुर्जों की उपलब्धता स्वदेश में नहीं, उसे वायु सेना के अधिकारी विकसित करने का आर्डर भी देते हैं। मेक इन इंडिया अभियान के लिए यह सराहनीय प्रयास है।
मगर वायु सेना जब कलपुर्जों की मांग के लिए टेंडर आमंत्रित करती है और कारोबारी उसमें हिस्सा लेते हैं तो कीमत आदि तय होने के बाद फाइल नागपुर कमांड ऑफिस भेज दी जाती है। यहां वित्त सलाहकार पद पर आईएएस स्तर के अधिकारी होते हैं।
यहां दो से तीन वर्षों तक फाइलें पड़ी रहती हैं। कोई फैसला नहीं होता है। उन्होंने खुद भी वायु सेना की अनुमति से मिराज के कुछ उपकरण विकसित किए, टेंडर में हिस्सा लिया, लेकिन तीन वर्ष से उनकी फाइल पर कोई फैसला नहीं हुआ। वायु सेना की ओर से भी कमांड ऑफिस को कई बार रिमाइंडर भेजा गया।
ऐसी स्थिति में वायु सेना के निचले स्तर के अधिकारी भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। नतीजतन युद्धक विमानों का समय पर न तो मेंटीनेंस हो पा रहा है और न ही नए कारोबारियों के उपकरणों की बिक्री हो पा रही है। कारोबारी ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि इस विषय पर गंभीर पड़ताल की जरूरत है।