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लखनऊ। खनन एक ऐसा शब्द है जिसके साथ अवैध शब्द स्वत: ही जुबान पर आ जाता है। इसकी वजह संभवत: यह है कि सपा-बसपा शासन में लोगों ने इससे अरबों रुपये की कमाई की और सरकारी धन की सिलसिलेवार लूट की खबरें बाद में लंबे समय तक सुर्खियों में रहीं। यहां तक कि सपा शासनकाल में मंत्री गायत्री प्रजापति को जेल तक जाना पड़ा। लेकिन, अवैध खनन की जिन्न समय-समय पर फिर सिर उठाता है। उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने इस पर काबू करने की कोशिशें तो की लेकिन, विभागीय अधिकारी, पुलिस, परिवहन और माफिया का गठजोड़ एक बार फिर सिर उठाने लगा है। सरकार की आंखों में धूल झोंककर अवैध खनन-परिवहन एक बार फिर शुरू है।

अवैध खनन के कारोबार पर अंकुश लगाने के दावे कुछ इसी तरह के हैं जैसे कि गोमती नदी या तालाबों से जलकुंभियों को दूर करने की बात की जाए। हर सरकार में इस बात के दावे हुए और भाजपा सरकार ने तो चौतरफा नाकेबंदी भी कराई। खदानों में कांटा व सीसीटीवी कैमरे से लेकर अवैध खनन-परिवहन के लिए बदनाम जिलों में खनिज बैरियर भी लगाए। लेकिन, आज भी सूबे की राजधानी से लेकर नेपाल बार्डर व कमोवेश प्रदेश के सभी जिलों तक क्षमता से दो से तीन गुना मौरग व गिट्टी लदे ट्रक बहुतायत में देखे जा रहे हैं। जांच में कई स्थानों में बगैर रायल्टी वाले मोरंग लदे ट्रक भी पकड़े गए हैं। जाहिर है कि अवैध खनन में सत्ता के समानांतर काम करने वाला तंत्र एक बार फिर सक्रिय है। प्रयागराज का ही उदाहरण लें, यहां यमुनापार से आने वाले दो हजार से अधिक वाहन गुजरते हैं। मुकदमे भी दर्ज कराए गए हैं। लेकिन, उन मुकदमों की आड़ ही अन्य वाहनों के बेरोकटोक निकलने का जरिया बन जाती है।

ऐसा नहीं कि यह स्थिति गंगा किनारे के बुंदेलखंड वाले जिलों में ही है। ब्रज में भी ऐसी ही स्थिति है। वहां खुलेआम अवैध खनन हो रहा है। ट्रकों और ट्रैक्टर-ट्रॉलियों की कतारें देख पुलिस नजरें फेर लेती है और खनन विभाग चुप्पी साधे रहता है। इसी का परिणाम है कि खनन माफिया बेखौफ है। धंधे में रोड़ा अटकाने वालों को बेखौफ माफिया जानलेवा हमले तक करते और करवाते हैं।

खनन के मामले में सुíखयों में रहने वाले बिजनौर जिले के प्रशासन ने सफाई दी है कि बरसाती नदियों में रेत बजरी का खनन काफी समय से बंद है। हरिद्वार-काशीपुर फोरलेन बाईपास निर्माण में मिट्टी का भराव किए जाने के कारण खनन किया जा रहा है। हाल ही में एसडीएम ने कोटावाली नदी क्षेत्र में अवैध खनन में एक जेसीबी और एक वाहन को पकड़कर सीज कर दिया था। सहारनपुर के बेहट व मिर्जापुर में हरियाणा के खनन माफिया खनन करते हैं। पिछले दिनों 14 खनन माफिया को पकड़ा भी गया। बरथा घाट पर पीएसी की तैनाती की गई।

शामली जिले के गांव मामौर में खनन माफिया ने अस्थायी पुल बनाया था। मामला सुर्खियों में आने पर एनजीटी ने संज्ञान लेकर पुल को हटवाया था। पिछले वर्ष ही सीबीआई ने अवैध खनन को लेकर जांच की थी। शामली में पूर्व में तैनात रहे खनन अधिकारी शासन स्तरीय जांच में दोषी पाए गए थे। मुजफ्फरनगर में पुलिस की मिलीभगत से जनपद में पुरकाजी से खतौली तक अवैध तरीके से गंगनहर से खनन करते हैं। प्रत्येक साल कार्रवाई के नाम पर केवल खानापूर्ति की जाती है। जिला खनन अधिकारी ने बागपत जिले के फिरोजपुर गांव में 10 लोगों को नामजद किया था। बदरखा तथा छपरौली में चार ट्रैक्टर-ट्राली कब्जे में ली थी। मेरठ के परीक्षित गढ़ क्षेत्र में एक ट्राली व दो डंफर पकड़े थे।

बरेली में भी खनन माफिया बेखौफ : बरेली में खनन माफिया लंबे समय से सक्रिय है। शहर से लेकर कस्बों तक में अवैध खनन होता है। वहीं, कार्रवाई के नाम पुलिस छह महीने में एक-दो बार महज ट्राली पकड़कर इतिश्री कर लेती है। जबकि खनन सिंडिकेट चलाने वाले माफिया पर कोई कार्रवाई नहीं होती। जिले में मोहम्मदपुर और टयूलिया में महज दो जगह खनन की अनुमति है। इसके बावजूद इज्जतनगर के बैरियर वन, सुभाषनगर क्षेत्र में रामगंगा किनारे, फरीदपुर में ढकनी, पढेरा क्षेत्र में खुलेआम अवैध खनन होता है। आंवला तहसील में रामगंगा किनारे शिवपुरी, अलीगंज, अंजनी गांव में बालू अवैध खनन होता है।

अलीगंज थाना क्षेत्र में अरिल नदी किनारे ब्योधन खुर्द में भी मिटटी का कटान होता है। मीरगंज में भी यही स्थिति है। बावजूद इसके बीते दो महीने में पुलिस ने अवैध खनन के खिलाफ एक भी कार्रवाई नहीं की है। जिला खनन अधिकारी कमल कश्यप का कहना है कि महज दो जगह खनन का पटटा है, वहीं से मिटटी ढोई जा रही। शाहजहांपुर जिले में गर्रा नदी किनारे शहर से लेकर तिलहर तक अवैध खनन होता है। इसके अलावा मिर्जापुर-कलान में रामगंगा किनारे बसे गांवों में बालू का खनन चालू है। बदायूं के कछला व कुछ अन्य क्षेत्रों बदायूं के कछला में कुछ महीने पहले कछला में अवैध खनन करते हुए कुछ लोग पकड़े भी गए थे। मुरादाबाद पुलिस ने एक माह में 40 वाहनों को अवैध खनन में सीज किया है।

कार्रवाई भी, समानांतर कारोबार भी : मनमाना खनन कर माफिया नदी और पहाड़ों का सीना छलनी कर रहे हैं। जिन्हें रोकना है, कार्रवाई बता रही है कि उसमें से कुछ ही संजीदगी दिखा रहे हैं। महोबा में तो एक थानेदार को खनन माफिया के साथ संबंध के आरोप में निलंबित भी किया जा चुका है। बांदा में ग्रामीणों के आंदोलन पर दो ठेकेदारों पर करीब दो करोड़ समेत अवैध खनन पर 6.5 करोड़ रुपये जुर्माना वसूला गया। फतेहपुर व उन्नाव में पोकलैंड मशीनें सीज की गई। बाकी स्थानों पर ओवरलोडिंग पर ही कार्रवाई हुई। जाहिर है कि कार्रवाई के साथ समानांतर कारोबार भी चल रहा है। बुंदेलखंड में 307 खनन के ठेकों में 158 जारी हैं। वहीं 35 से अधिक मनाही वाले स्थानों पर खनन हो रहा है। हमीरपुर में 73, चित्रकूट में बालू के अवैध परिवहन पर 17 ट्रक पकड़े गए। अवैध खनन पर 19 लाख रुपये जुर्माना वसूला गया।

औरैया में एक ही स्थान पर खनन : महोबा में डंपिंग और अवैध खनन के खिलाफ 14 कार्रवाई कर 64.80 लाख रुपये जुर्माना वसूला गया है। बांदा में डंपिंग व अवैध खनन के खिलाफ 4-4 कार्रवाई हुई हैं और 6.92 करोड़ जुर्माना वसूला गया है। फतेहपुर में यमुना के पांच घाट हैं। रानीपुर घाट में दो पोकलैंड मशीनें सीज की गई थीं। 18 डंपिंग लाइसेंस हैं लेकिन डंप 50 से अधिक स्थानों पर है। आठ लाख रुपये जुर्माना वसूला गया। उन्नाव में मनाही वाले स्थान पर खनन हो रहा है। ओवरलोडिंग वाले 23 वाहन पकड़कर 4.50 लाख रुपये वसूले गए। औरैया में एक ही स्थान पर खनन हो रहा है। यहां, खनन वाहनों की ओवरलोडिंग पर 12.50 लाख रुपये जुर्माना वसूला गया। इटावा में यमुना में चार ठेके हैं लेकिन खनन बंद हैं।

पीलीभीत में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष के भाई पर हुई थी कार्रवाई : पीलीभीत जिले में बीसलपुर के करखेड़ा, राजूपुर कुंडरी गांव में पट्टा किया था, लेकिन शर्तों का उल्लंघन कर अवैध तरीके से खनन किया जा रहा था। करीब छह महीने पहले इसकी शिकायत बीसलपुर विधायक रामसरन वर्मा ने मुख्यमंत्री से की थी। मुख्यमंत्री के निर्देश पर डीएम ने जांच कराई तो मामला सही पाया गया था। जिसके बाद भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष जेपीएस राठौर के भाई डीपीएस राठौर व पट्टा लेने वाले महेंद्र पाल पर मुकदमा दर्ज किया गया था। वहीं, करीब साढ़े 17 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।

घटनाएं हैं गवाह 

  • आगरा में पांच जून, 2019 में खेरागढ़ के बुरहरा गांव में खनन माफिया और पुलिस की एक घंटे तक आमने-सामने की फायरिंग हुई। इसके चार पुलिसकर्मी घायल हुए। दो के पैर में गोली लगी थी। माफिया ट्रैक्टर लेकर खेतों के रास्ते भाग गए।
  • आगरा में सात जून, 2019 को मंसुखपुरा क्षेत्र में वनर्किमयों ने खनन माफिया के ट्रैक्टर-ट्रॉली रोकने की कोशिश की। इस पर माफिया ने वन विभाग की टीम पर फायरिंग कर दी।
  • आगरा में तीन नवंबर, 2019 को इरादत नगर में सब इंस्पेक्टर निशामक त्यागी को खनन माफिया ने ट्रैक्टर रोकने पर गोली मार दी थी।
  • आगरा में 19 दिसंबर 2019 को यमुना से बालू ले जा रहे ट्रैक्टर- ट्रॉली को रोकने पर माफिया ने सिपाहियों पर ट्रैक्टर चढ़ाने की कोशिश की। किसी तरह उन्होंने जान बचाई।
  • आगरा में 18 अक्टूबर 2019 को खेरागढ़ के रूधऊ गांव से होकर माफिया चंबल सेंड ट्रैक्टर-ट्रॉली में भरकर ले जा रहे थे। दो सिपाहियों ने रोकने की कोशिश की तो उन पर ट्रैक्टर चढ़ाने की कोशिश की।
  • आगरा में एक जून 2020- फतेहपुर सीकरी में खनन माफिया ने पुलिस पर ट्रैक्टर चढ़ाने की कोशिश की। इसमें पुलिसकर्मी चुटैल हो गए। बाद में पुलिस ने ट्रैक्टर-ट्रॉली सीज कर दिए।
  • मथुरा में 30 जनवरी, 2018 को नौहझील क्षेत्र में सब इंस्पेक्टर सुमित कुमार, एसआइ जितनपाल, कांस्टेबल भरत शर्मा पर हमला किया और एक दारोगा की पिस्टल छीन ली।
  • मथुरा में 21 जून, 2019 को कंजौली घाट पर रैपुरा जाट चौकी प्रभारी चंद्रभान सिंह की वर्दी फाड़ दी। सितंबर, 2019 में गांव सलेमपुर में पुलिस पर हमला बोला, जिसमें एसआइ महेश कुमार को भाग कर जान बचानी पड़ी और सिपाही अंकित कुमार को माफिया ने पकड़कर आगरा बॉर्डर पर फेंक दिया।
  • फीरोजाबाद में दो साल पहले नारखी क्षेत्र में बालू का ट्रैक्टर रोकने पर डायल 100 पर तैनात सिपाही को कुचलकर मार डाला था।