लखनऊ । उत्तर प्रदेश में टिड्डी दल भले ही भाग गए हैं, लेकिन उनके दोबारा हमले की संभावना कम नहीं हुई है। प्रदेश के कई जिलों में इन्होंने अपना डेरा डाला था। बताया जा रहा है कि जहां वे रुके हैं, वहां प्रजनन की संभावना है। ऐसे में इनके अंडों को खोजकर नष्ट किया जाएगा। अपर कृषि निदेशक (कृषि रक्षा) सुनील अग्निहोत्री ने बताया, “टिड्डी दल जहां रुके हैं, उस जिले के अधिकारी को सर्तक रहने को कहा गया है। जहां कहीं भी ये रुके हैं, वहां इनके अंडे खोजकर उन्हें नष्ट किया जाएगा। किसानों को भी अलर्ट किया गया है। क्योंकि पहली बात गांव में टिी अंडे नहीं देती हैं। ये खेत की मिट्टी में अंडे नहीं देती हैं। इस कारण इसकी संभावना नदी किनारे ज्यादा होती है। क्योंकि वे जमीन में धंसकर अंडे देती हैं, जमीन के नीचे अंडे देती हैं। इसे जोताई करके ही नष्ट किया जाता है। इसे लेकर प्रत्येक जिलों में सर्तकता बरती जा रही है। जनपदीय अधिकारियों को अलर्ट किया गया है। क्योंकि जनपद के कुछ गांवों में ही ये रुके हैं। अगर ये नदी किनारे होंगे तो विभाग व्यवस्था करेगा। किसान के खेतों में दिखे तो उसकी जोताई करा दी जाएगी।”
प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने कहा कि 57 जिलों में टिड्डियों का दल आया, लेकिन उसका प्रभाव 36 जिलों में ही रहा है। शाही ने टिड्डियों के कारण फसलों को हुए नुकसान का आकलन करने के निर्देश अफसरों को दिए। शाही ने टिड्डी प्रभावित जिलों का भ्रमण करने के निर्देश देते हुए जल्द रिपोर्ट देने को कहा।
उन्होंने गांवों में जागरूकता अभियान जारी रखने और खरीफ फसलों की ²ष्टि से तैयारी रखने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश के 57 जिलों से टिड्डियों के दल गुजरे और 36 जिलों में रात्रि प्रवास किए। रात्रि प्रवास वाले जिलों में रक्षा रसायनों का स्प्रे कराया जा रहा है।
अपर मुख्य सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने बताया कि कुछ टिड्डी दल नेपाल व बिहार की सीमा में प्रवेश कर गए हैं। उनकी वापसी की सूचना नहीं है। उन्होंने प्रदेश मुख्यालय व जिलों में स्थापित कंट्रोल रूम को सक्रिय रखने की हिदायत भी दी।