उत्तर प्रदेश। पिछले दो हफ्ते यदि कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में हुई भर्ती घोटाले के हवाले रहे तो बीता सप्ताह एक राज्यमंत्री के निजी सचिव की गिरफ्तारी के धमाके से शुरू हुआ। पशुधन, मत्स्य एवं दुग्ध विकास राज्यमंत्री जयप्रकाश निषाद के प्रधान सचिव को उनके सात सहयोगियों के साथ एसटीएफ ने 14 जून को गिरफ्तार किया। इन सब पर पशुधन विभाग में 214 करोड़ रुपये का टेंडर दिलाने के नाम पर करोड़ों हड़पने का आरोप है। स्वाभाविक है कि मंत्री को यही कहना था कि उन्हें फंसाने की साजिश हो रही है और उन्होंने वैसा ही कहा भी। वह यह भी बोले कि वह तो दो महीने से गोरखपुर में हैं और लखनऊ गए ही नहीं।
घोटालेबाजों का गठजोड़ : हालांकि यह घपला 2018 का है और अभी तक इसमें एक आइपीएस अफसर, एक पुलिस इंस्पेक्टर और निजी चैनलों के कुछ पत्रकारों के नाम सामने आए हैं। कुछ लोगों की गिरफ्तारी भी हुई है। पुलिस, पत्रकार, और घोटालेबाजों का यह गठजोड़ रोचक है। लखनऊ की हवाओं में इनके चर्चे अरसे से सुने जाते रहे हैं, परंतु उनकी गर्दन तक एसटीएफ जैसी संस्था के हाथ पहली बार पहुंचते दिख रहे हैं। कोई दबाव न पड़ा और घोटाले की बात निकली है और तो फिर दूर तक जानी चाहिए। वैसे अभी तक जिस प्रकार एसटीएफ को खुली छूट मिली हुई है, उससे लगता है कि जल्दी ही दूध और पानी अलग-अलग हो जाएगा।
उधर जिस दिन घोटाले की यह खबर अखबारों में छपी, उसी दिन यह भी छपा कि मुख्यमंत्री ने प्रदेश के प्रत्येक शिक्षक के दस्तावेज जांचने का आदेश दिया है। कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों और 69 हजार शिक्षकों की भर्ती में गड़बड़ियां मिलने से नाराज मुख्यमंत्री का कड़ा रुख प्रदेश में शिक्षा की गाड़ी को फिर पटरी पर ला सकता है।
यूपी में शिक्षकों की भर्ती में धांधली : यूपी में शिक्षकों की भर्ती हमेशा से विवादों में रही है। जाने कितने ही केस अदालतों में चल रहे हैं और जाने कितने ही शिक्षक शिक्षा विभाग में अपनी चप्पलें घिस रहे हैं। बिना सिफारिश और बिना बाबू की कृपा हुए शिक्षक अपनी सामान्य वेतनवृद्धि भी नहीं लगवा पाते। 69 हजार शिक्षकों की भर्ती में धांधली की जांच एसटीएफ कर ही रही है और अब जबकि जांच का दायरा बड़ा कर दिया गया है तो तय समङिाए कि इसके परिणाम भी उतने ही व्यापक निकलेंगे। यदि जांच में यह ¨बदु भी शामिल हो जाए कि किस प्रकार ग्राम प्रधान शिक्षकों पर दबाव डालते हैं और कैसे शिक्षा विभाग में फाइलें दम तोड़ देती हैं तो यूपी में पढ़ाई सुधर जाए।
इस बीच एक अच्छी खबर कोरोना के खिलाफ जंग के मोर्चे से। इस चीनी वायरस से लड़ाई में उत्तर प्रदेश सरकार को एक बड़ी सफलता मिली। मार्च में उत्तर प्रदेश में केवल 100 नमूने प्रतिदिन जांचे जा रहे थे लेकिन, 18 जून को 16,546 नमूनों की जांच की गई। लगभग तीन महीने में यह 160 गुने की वृद्धि है और इस तरह यूपी पूल टेस्टिंग करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है।
ट्विटर पर मुख्यमंत्री योगी के अनुगामियों की संख्या एक करोड़ पार : बीते हफ्ते एक और रोचक बात हुई। वह यह कि ट्विटर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अनुगामियों की संख्या एक करोड़ पार कर गई। यह अपने में बड़ा आंकड़ा है और बढोत्तरी का कारण कोरोना काल में योगी की सभी मोर्चो पर दिखी सक्रियता है। कोरोना संकट से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश में जो कोशिशें हुईं और उन्हें पाकिस्तान तक जो सराहना मिली, उन्होंने योगी के प्रति सोशल मीडिया में प्रबल आकर्षण पैदा किया और ट्विटर के आंकड़ों से इसकी पुष्टि भी होती है।
..और यह भी- पिछले ही हफ्ते राज्य सरकार ने अपर्णा यादव को वाई श्रेणी की सुरक्षा दे दी। अपर्णा पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू हैं। लखनऊ की कैंट सीट से उन्होंने समाजवादी पार्टी के टिकट पर पिछला विधानसभा चुनाव भी लड़ा था लेकिन, उसके बाद से लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी की सार्वजनिक मंचों से प्रशंसा करती रही हैं। अपर्णा यादव पर सरकारी कृपा ऐसे समय में हुई है जबकि पूर्व मंत्री शिवपाल यादव के अपने भतीजे और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश अखिलेश यादव के खेमे में लौट जाने की चर्चाएं गर्म हैं।