img

[object Promise]

लखनऊ। योगी सरकार लैंड यूज (Land Use) में बदलाव करने की तैयारी में है। खेती की जमीन का किसी और काम में इस्तेमाल से जुड़े प्रावधान में बड़े बदलाव की संभावना है। अभी जितने समय में लैंड यूज चेंज करने का फैसला होता है, योगी सरकार उसे और सरल बनाने की दिशा में काम कर रही है, ताकि ज्‍यादा वक्‍त न लगे। एसडीएम अब ऐसे मामलों को लटका नहीं पाएंगे । इसका कृषि योग्‍य जमीन पर व्‍यापक प्रभावन पड़ने की संभावना है।

राजस्व संहिता 2006 के नियमों के मुताबिक, लैंड यूज चेंज कराने के लिए दिए गए आवेदन पर एसडीएम की कोर्ट को 90 दिनों में अपना फैसला देना होता है कि ऐसा किया जा सकेगा या नहीं । यदि 90 दिन में एसडीएम फैसला नहीं ले पाता है तो उन्‍हें इसका कारण बताना पड़ता है । इसी नियम में बदलाव किया जा रहा है। नये नियम के मुताबिक, अब महज 45 दिनों में ही एसडीएम को यह फैसला लेना होगा। यानी पूर्व की तुलना में ऐसे मामलों को आधे समय में निपटाना होगा।

एसडीएम ऐसे मामलों को अब लटका नहीं सकेंगे, क्योंकि नये नियमों के तहत उनपर कार्रवाई का भी प्रावधान किया जा रहा है। 143 की कार्यवाही इसे कहते रहे हैं। इसके लिए सीएम योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में राजस्व विभाग के अफसरों की बैठक गुरुवार 21 मई को हुई । लैंड यूज चेंज करने के अलावा बैठक में चकबन्दी और सरकारी जमीन पर पट्टा दिये जाने के नियमों में भी बड़े बदलाव करने पर सैद्धान्तिक सहमति बनी है।

सरकारी जमीन की जा सकेगी एक्सचेंज
सरकार ग्राम समाज की जमीन की अदला-बदली के नये नियम बनाने जा रही है । उदाहरण के लिए यदि किसी उद्योग के लिए तय जमीन के बीच में कोई ग्राम समाज की जमीन जैसे चकरोड़ इत्यादि आ जाए तो सरकार उतनी जमीन उसी ग्राम सभा में कहीं और ले लेगी और वो जमीन उद्योग के लिए छोड़ देगी। इससे औद्यौगिक विकास की एक बड़ी बाधा खत्म हो सकेगी। इसके अतिरिक्त उद्योगों के लिए एक और राहत दी जाने वाली है। यदि उद्योग के लिए सरकार द्वारा तय सीलिंग से ज्यादा जमीन कोई खरीद लेता है, तो उसे भी रेग्यूलर किए जाने के प्रावधान किये जा रहे हैं।

अभी तक के नियम के अनुसार यदि किसी काश्तकार की मौत हो जाती है तो जमीन उसके लड़के या लड़की के नाम ही ट्रांसफर होती थी. लेकिन, नये नियमों के तहत यह ट्रांसजेंडर को भी ट्रांसफर हो सकेगी। विधि आयोग की सिफारिश पर राज्य सरकार ये बदलाव करने जा रही है।

नये नियमों के बन जाने के बाद सरकारी जमीन पर पट्टा दिये जाने में सबसे पहली प्राथमिकता दिव्यांगों और महिलाओं को दी जाएगी. भूमिहीनों द्वारा पट्टे के लिए जो भी आवेदन आयेंगे उसमें सबसे पहले दिव्यांगों फिर महिलाओं और इसके बाद ही किसी को पट्टा दिया जा सकेगा. अभी के नियम के अनुसार, सबसे पहले एसटी/ एसटी फिर ओबीसी और फिर जनरल कैटेगरी के भूमिहीनों को पट्टा दिये जाने का नियम है।

इन सभी फैसलों पर सैद्धान्तिक सहमति हो चुकी है.अब सिर्फ इन्हें कानूनी जामा पहनाना बाकी है। इसके लिए योगी सरकार को राजस्व संहिता 2006 में संशोधन करना होगा। इसलिए अब इन्हें कैबिनेट से पास कराया जायेगा। फिर विधानसभा और विधान परिषद से पास कराया जाएगा. ऐसा होते ही राजस्व संहिता 2006 में बदलाव हो जाएगा और ये सभी प्रावधान कानून बन जाएंगे।