लखनऊ। कानपुर के राजकीय बाल गृह (बालिका) की घटना पर की गई टिप्पणी के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा घिर गई हैं। राज्य बाल संरक्षण आयोग के बाद अब यूपी राज्य महिला आयोग ने भी उन्हें नोटिस भेजकर भविष्य में महिलाओं पर ऐसी टिप्पणी न करने के लिए चेताया है। आयोग ने सोशल मीडिया पोस्ट के खंडन की अपेक्षा जताते हुए आरोप लगाया है कि कांग्रेस महासचिव ने बालिकाओं के आत्मसम्मान और भावनाओं को ठेस पहुंचाने का शर्मनाक प्रयास किया है। यह दुख की बात है कि एक महिला होते हुए ऐसा किया।
महिला आयोग अध्यक्ष विमला बाथम ने कांग्रेस महासचिव को जारी नोटिस में कहा है कि कानपुर स्थित राजकीय बाल गृह (बालिका) में बच्चियों के गर्भवती और एक के एचआइवी पॉजिटिव होने संबंधी पोस्ट सोशल मीडिया पर लिखी। इस घटना को देवरिया और बिहार के मुजफ्फरपुर की घटना से जोड़ा गया। टिप्पणी करने से पहले तथ्यों की जानकारी भी नहीं ली। महिला आयोग ने घटना का स्वत: संज्ञान लेकर जिला प्रोबेशन अधिकारी कानपुर से रिपोर्ट मांगी। उसमें स्पष्ट बताया गया है कि सात बालिकाएं गर्भवती अवस्था में ही बालगृह में संवासित कराई गई थीं। रिपोर्ट में सारे रिकॉर्ड संलग्न किए गए हैं।
आयोग अध्यक्ष ने कहा है कि वास्तव में यह अत्यंत दुख का विषय है कि एक महिला होते हुए भी आपने (प्रियंका) यौन हिंसा से पीड़ित बालिकाओं के विषय में बालिका गृह में अमानवीय घटना घटित होने और एक को एड्स पॉजिटिव होने का वक्तव्य जारी किया। अभी तक इन बालिकाओं में से किसी कोई एड्स पॉजिटिव नहीं पाई गई है। देवरिया और मुजफ्फरपुर की घटना से भी इस मामले को जोड़ा जाना उचित नहीं है।
यूपी राज्य महिला आयोग ने कहा है कि भ्रामक टिप्पणी से समाज में गलत संदेश पहुंचा है। चेतावनी दी है कि भविष्य में तथ्यों की जानकारी किए बिना, खास तौर पर महिलाओं के संबंध में ऐसी टिप्पणी न करें। साथ ही 21 जून को की गई पोस्ट का खंडन भी करने को कहा है।