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उपेन्द्र कुशवाहा
पडरौना,कुशीनगर : कोरोना संक्रमण के बीच मठ-मंदिर लॉकडाउन हैं। भक्त और ब्राह्मण परेशान हैं। भक्त भगवान के दर्शन नहीं होने से और ब्राह्मण रोजी-रोटी का संकट गहराने से। बड़े छोटे मंदिरों के पुजारियों की स्थिति सबसे बुरा असर पड़ा है । इनमें से बहुतों के पास दुसरा खुद काम नहीं कर सकते है। वो भी ऐसे वक्त में जब आय का एकमात्र जरिया यानी मंदिरों में चढ़ावा पूरी तरह से बंद है।
दरअसल,कुशीनगर जनपद के शहर में बड़े मंदिरों की संख्या कम है और गली-मोहल्लों में छोटे मंदिरों की संख्या ज्यादा। लॉकडाउन में मंदिर-देवालय बंद हैं। अलग-अलग मौकों पर होने वाले पूजा-अनुष्ठान भी। इसके चलते छोटे मंदिर के पुराहितों के सामने रोजी-रोटी का संकट गहरा गया है। 37 दिन तो किसी तरह निकल गए,लेकिन लॉकडाउन का एक-एक दिन इनके लिए समस्या बढ़ाने वाला साबित हो रहा है। इधर,मांगलिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त भी निकलते जा रहे हैं और शादियों के भी। ब्राह्मणों को इस बात की चिंता है कि सरकार मई-जून में भी धार्मिक अनुष्ठानों की अनुमति नहीं देती है तो स्थिति और बिगड़ सकती है। वो इसलिए क्योंकि 1 जुलाई को देवशयनी एकादशी के साथ एक बार फिर मांगलिक कार्यों पर 4 माह के लिए प्रतिबंध लग जाएगा। फिर अनुमति मिलेगी भी तो अनुष्ठान नहीं कराए जा सकेंगे। यानी जहां एक माह गुजारना मुश्किल हो रहा है,उस स्थिति में 6 माह और बिताने पड़ सकते हैं।
“मंदिर तो बंद हैं ही, बाहर भी पूजा-पाठ और कथा पर पाबंदी है। इसी के चलते समस्या दोगुनी हो गई है क्योंकि मंदिरों का चढ़ावा न सही,अन्य जगहों पर अनुष्ठान करवाके घर-परिवार चला सकते थे। सरकार भी कोई मदद नहीं कर रही है। सरकार को ब्राह्मणों की मदद के लिए भी कोई योजना बनानी चाहिए।”
महंत योगेश्वर नाथ त्रिपाठी- सिधुआं स्थान मंदिर
“पुजारियों की जीविका मंदिर आने वाले दर्शनार्थियों के चढ़ावे पर टिकी होती है और अभी मंदिर बंद हैं। मेरे अलावा और भी बहुत से पुजारी हैं जिन्हें लॉकडाउन में बहुत बुरी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। सरकार जैसे दूसरे वर्ग के लोगों की मदद कर रही है वैसे ही ब्राह्मणों की मदद के लिए भी आगे आना चाहिए।”
पं. शैलेश मिश्रा सहयोगी सिधुआं स्थान मंदिर