कहा था, पैसों की व्यवस्था में थोड़ा समय लगेगा। इस पर रामजी व कुलदीप ने इंकार कर दिया था। बाद में संजीत की हत्या कर शव को नदी में फेंक दिया। पिता का आरोप है कि संजीत की हत्या कर शव फेंकने का बयान अपहर्ता पुलिस के दबाव में दे रहे हैं। उन्हें आशंका है कि अपहर्ताओं ने संजीत को चीता के हवाले कर दिया होगा, जिसने संजीत को मानव तस्करों के हाथ बेच दिया है।
सजा से बचने के लिए अपहर्ताओं ने पुलिस को गुमराह करने के लिए संजीत का शव पांडु नदी में फेंकने की बात बता दी। पिता के अनुसार जिस वक्त अपहर्ताओं ने संजीत का शव नदी में फेंकने की बात बताई थी, उस वक्त नदी में नाममात्र का पानी था। ऐसे में शव बह कर जाना नामुमकिन है। शव का न मिलना संजीत का मानव तस्करों के चंगुल में होने का इशारा करता है।
चीता और आशीष कहां हैं
संजीत अपहरण कांड में दो किरदार ऐसे हैं, जिनके विषय में पुलिस के पास फिलहाल नाम के अलावा कोई और जानकारी नहीं है। कानपुर देहात के चीता और नौबस्ता के आशीष का नाम भी संजीत अपहरण कांड से जोड़ा गया था। दोनों ही आरोपी अभी पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं। चीता के विषय में और आशीष को लेकर पुलिस के पास कोई खास जानकारी नहीं है।
रामजी हड़पना चाहता था पूरी फिरौती
आरोपी ईशू व नीलू ने पुलिस की पूछताछ में बताया था कि पूरे गिरोह में सबसे ज्यादा शातिर रामजी था। रामजी फिरौती की पूरी रकम खुद हड़पना चाहता था। 13 जुलाई को फिरौती की रकम लेने के लिए रामजी ने अपने चार अन्य दोस्तों को भी गुजैनी रेलवे पुल के नीचे बुला लिया था। संजीत के पिता ने फिरौती वाला बैग नीचे फेंका तो रामजी के दोस्तों ने उसे उठा लिया।
इस बीच रामजी ने पुलिस है, पुलिस है का शोर मचा कर सभी को वहां से भगा दिया। इसके बाद बैग का कुछ पता नहीं चल सका। इस बात को लेकर सभी का रामजी से झगड़ा भी हुआ था। पुलिस के अनुसार फिरौती वाले बैग का पता रामजी को रिमांड पर लेने के बाद ही चल सकेगा। कोरोना संक्रमण की दूसरी रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद उसे रिमांड पर लेने के लिए कोर्ट में अर्जी लगाई जाएगी।