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आगरा। दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताजमहल के शहर में कोरोना वायरस के संक्रमण ने पर्यटन उद्योग की कमर तोड़ दी है। 17 मार्च से बंद पड़े स्मारकों के ताले अभी खुलते हुए नजर नहीं आ रहे हैं। यह बंदी अगर अधिक लंबी होती है तो पर्यटन उद्योग के लिए मुश्किलें बढ़ जाएंगी, जिससे उबरना आसान नहीं होगा। वैसे भी स्मारकों की बंदी का असर नजर आने लगा है।

यह खड़ा है पर्यटन उद्योग के समक्ष संकट

-स्मारकों की बंदी से पर्यटन उद्योग लंबे समय तक उबर नहीं सकेगा। 101 दिन की बंदी में पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों के खर्चे बरकरार हैं और आमदनी शून्य है। सरकारी करों का भार कम नहीं हुआ है। इससे उनकी बचत खत्म हो रही है।

-प्रतिष्ठानों को नुकसान पहुंचने की संभावना है। अधिकांश होटल, गेस्ट हाउस, रेस्टोरेंट, एंपोरियम बंद हैं। बिना मेंटीनेंस के उन्हें नुकसान हो सकता है।

-पर्यटकों का विश्वास जीतने और उन्हें भरोसा दिलाने का संकट सबसे बड़ा है। उपचार के अभाव में मरीजों के दम तोड़ने, श्रमिकों को घर जाने में हुई परेशानियों की खबरों ने दुनिया को झकझोर कर रख दिया है।

-स्मारकों को खोलने, अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की शुरुआत, वीजा पर अभी अनिश्चितता की स्थिति है। कुछ पता नहीं है कि स्मारक कब से दोबारा खुलेंगे। इस स्थिति में न तो पर्यटक अपना टूर प्लान कर सकते हैं और न ही पर्यटन उद्यमी कुछ कर सकते हैं।

-कोरोना के पर्यटन पर असर और पर्यटकों की संख्या कम होने की संभावना को देखते हुए पर्यटन में निवेश प्रभावित हो सकता है।

-होटलों द्वारा कर्मचारियों की लॉक डाउन में छुट्टी कर दी गई। अब दोबारा खुलने पर उनके समक्ष स्किल्ड लेबर का अभाव होगा।

-किराये की संपत्तियों को लेकर विवाद होना शुरू हो गए हैं। संपत्ति मालिक किराया मांग रहे हैं और किरायेदार आमदनी के अभाव में समय। इसे लेकर नोटिस भेजना शुरू हो गया है।

स्मारकों की बंदी का पर्यटन उद्योग ने बड़ा खामियाजा भुगता है। उद्योग इसके लिए तैयार नहीं था। इससे पूर्व कभी ऐसा नहीं हुआ था। अचानक निर्णय होने से न तो समझने का मौका मिला और न संभलने का। यही वजह है कि अन्य उद्योगों के खुलने के बावजूद पर्यटन उद्योग अभी बंद है। सरकार को अन्य उद्योगों के समान पर्यटन की मदद करनी चाहिए।

-संदीप अरोड़ा, अध्यक्ष अागरा टूरिज्म डवलपमेंट फाउंडेशन

आगरा में पर्यटन उद्योग से जुड़े 80 फीसद लोग ताजमहल से जुड़े हैं। लंबी बंदी से लोगों का बुरा हाल है और उनके समक्ष रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो रहा है। जब मॉल व बाजार खुल सकते हैं तो ताजमहल भी खुलना चाहिए। इससे लोगों को रोजगार मिलेगा और उनकी आमदनी हाेगी। अन्य देशों के समान लोकल टूरिज्म शुरू किया जा सकता है।

-सुमित उपाध्याय, टूर ऑपरेटर