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लखनऊ। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच में मौसम के मिजाज में लगातार बदलाव भी लोगों को काफी परेशान कर रहा है। इसी बीच में 30 दिन के अंतराल में तीन ग्रहण लोगों को भयभीत कर रहे हैं। ज्योतिषियों का मानना है कि इनके परिणाम भी गंभीर होंगे।

देश में पांच जून से पांच जुलाई के बीच में तीन ग्रहण लग रहे हैं। इनमें दो चंद्र ग्रहण तïथा एक सूर्य ग्रहण है। विज्ञान में ग्रहण को एक खगोलीय घटना माना जाता है लेकिन ज्योतिष के मुताबिक यह लोगों के हित के लिए ठीक नहीं होता है। माना जाता है ग्रहण किसी भी व्यक्ति के लिए फलदायी नहीं होता। इसके परिणाम भी शुभकारी नहीं होते हैं।

ज्योतिषियों के अनुसार 30 दिन के अंतर पर तीन ग्रहण का योग ऐसा संयोग सैकड़ों वर्षों के बाद बन रहा है। 30 दिनों के भीतर तीन ग्रहण होने से विश्व युद्ध, महामारी एवं प्राकृतिक आपदा जैसे दुष्परिणाम देखने को मिल सकते हैं। पांच जून और पांच जुलाई को चंद्र ग्रहण लगेगा। वहीं 21 जून को सूर्य ग्रहण के परिणाम भी ज्योतिष के लिहाज से अच्छा नहीं माना जा रहा है।

ग्रहण से बढ़ेगा कोरोना संक्रमण

ज्योतिषियों ने बताया कि किसी भी तरह का ग्रहण किसी भी व्यक्ति के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। अलग-अलग तरीकों से यह लोगों के जीवन को प्रभावित करते हैं। चंद्रमा मन मस्तिष्क को प्रभावित करता है और संबंधित व्यक्ति के जन्म कुंडली में जिस भाव का मालिक होगा उसे भी प्रभावित करता है। वहीं सूर्य पिता-पुत्र, राज्य सत्ता पक्ष, शारीरिक फल को प्रभावित करेगा। चंद्र ग्रहण से कोरोना का संक्रमण भी बढ़ेगा।

पांच जून को पहला चंद्र ग्रहण

पांच जून की रात 11:15 मिनट से तथा छह जून की रात 2:34 बजे तक चंद्र ग्रहण रहेगा। इसमें शुक्र वक्री और अस्त रहेगा। गुरु व शनि वक्री रहेंगे तो तीन और ग्रह वक्री होंगे। जिसका प्रभाव भारत की अर्थव्यवस्था पर होगा। शेयर बाजार से जुड़े लोग सावधान रहें तथा एहतियात बरतते हुए मार्केट में रकम लगाएं। यह ग्रहण वृश्चिक राशि पर बहुत बुरा प्रभाव डालने वाला है। परिवार वालों के साथ वाद-विवाद का सामना करना पड़ेगा। इस दौरान किसी ख्यातिलब्ध व्यक्ति की रहस्यात्मक मौत भी हो सकती है।

पांच जुलाई को चंद्रग्रहण

देश में 30 दिन के अंतर में दो चंद्रग्रहण बड़ी खगोलीय घटना है। यह बड़े परिवर्तन की सूचक है। मंगल और सूर्य की राशि का परिवर्तन गुरु व धनु राशि में हो रहा है लेकिन वे वक्री रहेंगे। वहीं शुक्र मार्गी होने से प्राकृतिक आपदाओं के आने की आशंका बनी रहेगी। वैश्विक शक्तियां लडऩे को हावी रहेंगी तो विश्व युद्ध भी हो सकता है।