लखनऊ। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने बुधवार को यूपी के परिषदीय स्कूलों की 69000 सहायक अध्यापक भर्ती प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगा दी है। हाई कोर्ट ने निर्देश दिए हैं अभ्यर्थी विवादित प्रश्नों पर आपत्तियों को एक सप्ताह के भीतर राज्य सरकार के सामने प्रस्तुत करें। सरकार इन आपत्तियों को यूजीसी के पास भेजेगी। यूजीसी इन आपत्तियों का निस्तारण करेगी। मामले की अगली सुनवाई 12 जुलाई को होगी।
याचियों ने शिक्षक भर्ती के लिए आयोजित लिखित परीक्षा के 13 सवालों पर सवाल उठाया था। याचियों का कहना है कि बेसिक शिक्षा विभाग ने जो आंसर की जारी की, उसमें उन सवालों के उत्तर कुछ और थे, जबकि एनसीईआरटी की किताबों में कुछ और दिया है। हाई कोर्ट ने एक जून को इस मामले में अंतरिम राहत के बिंदु पर सुनवाई कर अपना आदेश सुरक्षित कर लिया था। बुधवार को जस्टिस आलोक माथुर की बेंच ने अपना आदेश सुनाते हुए शिक्षक भर्ती पर स्टे लगा दिया है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने आठ मई के बाद से भर्ती प्रक्रिया पर रोक दी है। इसमें उत्तरमाला, संशोधित उत्तरमाला, परिणाम, जिला विकल्प, जिला आवंटन, कॉउंसलिंग प्रक्रिया समेत सभी प्रक्रिया शून्य घोषित हो गई है।
उत्तर प्रदेश के परिषदीय स्कूलों के लिए 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में चयनितों की सभी जिलों में काउंसिलिंग भी बुधवार को शुरू हो गई है। सभी जिलों में तीन से छह जून तक काउंसिलिंग के बाद संबंधित जिले से नियुक्ति पत्र भी जारी किये जाने हैं। ऐसे में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच का भर्ती प्रक्रिया पर स्टे लगाना किसी बड़े झटके से कम नहीं है।
बता दें कि सोमवार को जस्टिस आलोक माथुर की बेंच ने इस मामले में दाखिल ऋषभ मिश्रा व अन्य समेत कई याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की थी। इस दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने पक्ष रखा। वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से लगभग पांच घंटे चली सुनवाई के पश्चात कोर्ट ने विवादित प्रश्नों को विशेषज्ञ समिति के समक्ष भेजने व चयन प्रक्रिया रोकने के बिंदु पर आदेश सुरक्षित कर लिया था। 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में याचिकाकर्ताओं ने 8 मई को जारी उत्तर कुंजी में 13 सवालों के उत्तरों पर आपत्ति जताई है। याचियों का कहना है कि चार उत्तर तो बिल्कुल गलत हैं। उनका कहना है कि आपत्ति के संबंध में सक्षम अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई न करने पर याचिकाएं दाखिल की गई हैं।