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उत्तर प्रदेश पुलिस की विशेष कार्य बल (एसटीएफ) ने एक अंतर्राज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो फर्जी दस्तावेजों के जरिए युवाओं को नौकरियों में लगाने का काम करता था। यह गिरोह फर्जी निवास प्रमाण पत्र और आधार कार्ड बनाकर युवाओं को पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों में रेलवे और सेना जैसी सरकारी नौकरियों में घुसपैठ करवाता था। क्या आप जानते हैं इस पूरे मामले में पुलिस ने कैसे एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश किया? आइये विस्तार से जानते हैं इस हैरान करने वाले मामले के बारे में।

फर्जी दस्तावेजों का खेल: कैसे होता था युवाओं का शोषण?

एसटीएफ की वाराणसी इकाई ने बलिया जिले में छापेमारी कर शशि भूषण उपाध्याय नामक मुख्य आरोपी को गिरफ्तार किया। उपाध्याय पर आरोप है कि वह लोगों को पश्चिम बंगाल, खासकर कोलकाता, के फर्जी निवास प्रमाण पत्र मुहैया कराकर रेलवे और सेना की प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठाने में मदद करता था। यह गिरोह अत्यंत संगठित ढंग से काम करता था, जिसमें फर्जी दस्तावेज तैयार करने से लेकर परीक्षा केंद्रों तक पहुंचाने की पूरी योजना बनाई जाती थी।

तीन लाख रुपये तक लेता था एक प्रमाण पत्र के लिए!

प्राथमिक जांच में खुलासा हुआ है कि उपाध्याय प्रति फर्जी निवास प्रमाण पत्र के लिए तीन लाख रुपये तक वसूलता था। यह बताता है कि यह गिरोह कितना बड़ा और मुनाफाखोर था। युवाओं के सपनों का फायदा उठाते हुए, यह गिरोह उनसे मोटी रकम ऐंठकर उनकी आकांक्षाओं को कुचल रहा था। यह एक गंभीर अपराध है जिसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।

गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश जारी

पुलिस ने उपाध्याय के अलावा अन्य तीन लोगों – मिथुन कर्मकार, मनोज कुमार सिंह और राजन सिंह – की भी पहचान की है जो इस गिरोह के साथ मिलकर काम कर रहे थे। इनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस प्रयासरत है। इस मामले की जांच जारी है और आने वाले दिनों में और भी कई खुलासे हो सकते हैं।

एक हजार से अधिक फर्जी दस्तावेज बना चुका था गिरोह

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, यह गिरोह अब तक एक हजार से भी अधिक फर्जी निवास प्रमाण पत्र और आधार कार्ड बना चुका है। यह गंभीर सुरक्षा चिंता का विषय है क्योंकि ऐसे फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है। गिरोह के सदस्यों के पास से बरामद हुए फर्जी दस्तावेजों की जांच की जा रही है ताकि इस मामले की जड़ तक पहुँचा जा सके।

आरोपी खुद भी था फर्जी दस्तावेजों से सेना में भर्ती!

हैरान करने वाली बात यह है कि मुख्य आरोपी शशि भूषण उपाध्याय ने भी वर्ष 2000 में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सेना में भर्ती होने का प्रयास किया था। लेकिन प्रमाण पत्र सत्यापन के डर से वह प्रशिक्षण बीच में ही छोड़कर भाग गया था। यह घटना इस गिरोह की नियत को दर्शाती है और इसकी गंभीरता को और बढ़ाती है।

कानूनी कार्रवाई और आगे की राह

एसटीएफ ने इस मामले में बलिया शहर थाने में मामला दर्ज कराया है। पुलिस ने शशि भूषण उपाध्याय को गिरफ्तार कर लिया है और गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश जारी है। इस मामले में सख्त कार्रवाई की जाएगी ताकि ऐसे अपराधों पर रोक लगाई जा सके और देश की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

जागरूकता अभियान की आवश्यकता

इस पूरे मामले ने एक बार फिर फर्जी दस्तावेजों के खतरे की ओर ध्यान दिलाया है। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे ऐसे गिरोहों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए आम जनता में भी जागरूकता फैलाएं, ताकि लोग फर्जी दस्तावेजों के जाल में न फंसे।

Take Away Points

  • उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने फर्जी दस्तावेजों के एक बड़े गिरोह का भंडाफोड़ किया।
  • गिरोह फर्जी निवास प्रमाण पत्र और आधार कार्ड बनाकर युवाओं को सरकारी नौकरियों में घुसपैठ करवाता था।
  • मुख्य आरोपी शशि भूषण उपाध्याय गिरफ्तार, तीन अन्य की तलाश जारी।
  • गिरोह ने अब तक एक हजार से अधिक फर्जी दस्तावेज बनाए।
  • इस मामले से फर्जी दस्तावेजों के खतरे और जागरूकता की आवश्यकता पर जोर पड़ता है।