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कासगंज हत्याकांड: 7 साल बाद मिला न्याय, 28 दोषियों को उम्रकैद

26 जनवरी 2018 को कासगंज में हुई चंदन गुप्ता की हत्या ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। तिरंगा यात्रा के दौरान हुई इस भीषण घटना में शामिल 28 दोषियों को 7 साल बाद आखिरकार आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। यह फैसला न्याय की जीत है, लेकिन साथ ही यह सवाल भी उठाता है कि आखिर इतना समय क्यों लगा न्याय पाने में? क्या ऐसे मामले और जल्दी निपटाए जा सकते हैं?

घटना का सिलसिला

यह घटना 26 जनवरी 2018 की सुबह हुई थी जब चंदन गुप्ता और उनके भाई विवेक गुप्ता तिरंगा यात्रा में शामिल हुए थे। जुलूस के दौरान कुछ लोगों ने सड़क को ब्लॉक कर दिया और जुलूस को रोकने की कोशिश की। विरोध करने पर चंदन गुप्ता पर हमला कर दिया गया और गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस घटना के बाद से ही न्याय की मांग तेज हो गई थी, और देश के विभिन्न हिस्सों से आवाजें उठी थीं।

लम्बा कानूनी घमासान

इस केस में कानूनी लड़ाई काफी लंबी चली। आरोपियों ने सजा से बचने के लिए हर संभव कोशिश की। केस कई बार ट्रांसफर हुआ। यह मामला कई बार हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक भी गया। कई बार सुनवाई टलती रही जिससे पीड़ित परिवार को न्याय के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा।

कानूनी पैंतरेबाज़ी

आरोपियों ने कोर्ट की वैधानिकता पर सवाल उठाते हुए याचिकाएं दायर कीं और राजद्रोह की धारा 124A लगाने और बिना NIA की जांच सुनवाई NIA कोर्ट में होने को चुनौती दी। यह कानूनी पैंतरेबाजी इस मामले को लंबा खींचने के प्रयास के तौर पर देखी जा सकती है।

28 दोषियों को उम्रकैद

आखिरकार, लंबी सुनवाई के बाद, NIA स्पेशल कोर्ट ने 28 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। यह फैसला चंदन गुप्ता के परिवार के लिए एक बड़ी राहत है, हालांकि उनकी क्षतिपूर्ति नहीं की जा सकती।

पीड़ित परिवार का सुकून

कोर्ट के फैसले के बाद चंदन गुप्ता के परिवार ने राहत और संतोष जाहिर किया है। उन्होंने न्यायपालिका में विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि उनको न्याय मिला है, लेकिन साथ ही उन्हें अपने बेटे की कमी का भी एहसास है। इस फैसले से उनको मानसिक सुकून जरूर मिला होगा, लेकिन जीवन का वह क्षण जो उनके परिवार से हमेशा के लिए छिन गया है उसकी क्षतिपूर्ति कुछ भी नहीं कर सकता।

सबक और आगे का रास्ता

यह मामला कई अहम सबक देता है। पहला, यह बताता है कि न्याय पाने में कितना समय लग सकता है। दूसरा, यह यह भी दिखाता है कि कैसे आरोपी कानूनी प्रक्रिया का फायदा उठाकर सजा से बचने की कोशिश कर सकते हैं। भारतीय न्याय व्यवस्था में सुधार लाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए ताकि ऐसे मामले भविष्य में जल्दी से निपटाए जा सकें।

न्यायिक सुधार की आवश्यकता

यह कांड एक बार फिर न्यायिक प्रणाली में गति लाने की आवश्यकता को रेखांकित करता है। धीमी प्रक्रियाओं के कारण, पीड़ित परिवारों को सालों तक न्याय के लिए इंतजार करना पड़ता है जो कि अत्यंत पीड़ादायक और निराशाजनक होता है। इसलिए आवश्यक है कि न्यायिक प्रक्रियाओं में तेजी लाई जाए, और ऐसे मामलों को समय पर निपटाया जाए।

टेक अवे पॉइंट्स

  • कासगंज हत्याकांड में 28 दोषियों को उम्रकैद की सजा।
  • 7 साल बाद मिला न्याय।
  • आरोपियों ने कानूनी पैंतरेबाजी की।
  • पीड़ित परिवार को न्याय मिलने पर राहत।
  • न्यायिक प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता।