काशी के मंदिरों में ठंड से बचाव: भगवान को भी पहनाए गए गर्म कपड़े
काशी में सर्दी का सितम जारी है, और तापमान में लगातार गिरावट के साथ, लोगों के साथ-साथ देवी-देवताओं को भी ठंड से बचाने के उपाय किए जा रहे हैं। क्या आप जानते हैं कि काशी के प्राचीन मंदिरों में भगवान को भी ऊनी कपड़े पहनाए जा रहे हैं? जी हाँ, यह सच है! ठंड की इस कड़ाकेदार सर्दी में भगवान की मूर्तियों को भी ठंड से बचाने के लिए मंदिरों में विशेष इंतज़ाम किए गए हैं, जिससे श्रद्धालुओं की भावनाओं का सम्मान किया जा सके और वे भगवान की आराधना बिना किसी परेशानी के कर सकें।
बड़े गणेश मंदिर में कंबल और टोपी
वाराणसी के लोहटिया इलाके में स्थित प्राचीन बड़े गणेश मंदिर में गणेश जी की मूर्ति को गर्म रखने के लिए कंबल और टोपी पहनाई गई है। पुजारी रामजतन तिवारी ने बताया कि कार्तिक मास की बैकुंठ चतुर्दशी से भगवान को ऊनी वस्त्र पहनाए जाते हैं, जो बसंत पंचमी तक पहनाए जाते हैं। यह एक पुरानी परंपरा है जो भक्तों की आस्था और भावनाओं को दर्शाती है। मंदिर के बाहर भीड़ में भक्तों ने बताया कि उन्हें ठंड लगती है तो भगवान को भी लगती होगी इसलिए वो यह सब करते हैं।
राम जानकी मंदिर में रंग-बिरंगी टोपियाँ
बड़े गणेश मंदिर के बाहर स्थित राम जानकी मंदिर में राम, लक्ष्मण, सीता, भरत और हनुमान जी को रंग-बिरंगी टोपियाँ और ऊनी वस्त्र पहनाए गए हैं। मंदिर के पुजारी देवेंद्र चौबे ने बताया कि गर्मी में भगवान को सूती वस्त्र और सर्दी में ऊनी वस्त्र पहनाए जाते हैं। यह भक्तों की भावना का प्रतीक है जो यह मानते हैं कि भगवान को भी ठंड लगती है और उन्हें भी गर्म कपड़ों की आवश्यकता होती है। यहाँ तक की, बहुत ज़्यादा ठंड में ब्लोअर तक का इंतज़ाम किया जाता है।
भगवान को ठंड से बचाने के अन्य प्रयास
काशी के अन्य मंदिरों में भी भगवान की मूर्तियों को ठंड से बचाने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। कई जगहों पर मूर्तियों पर गरम कपड़े, शॉल और स्वेटर पहनाए जा रहे हैं। साथ ही, मौसम के अनुसार भगवान को प्रसाद भी चढ़ाया जाता है। यह सब श्रद्धालुओं की आस्था और भक्ति का प्रतीक है।
भावनाओं का सम्मान: आस्था और परंपरा
यह परंपरा सिर्फ़ ठंड से बचाव नहीं बल्कि आस्था और भक्ति का प्रतीक है। पुजारियों का कहना है की ये भावनाओं का सम्मान है और यह दिखाता है की हम अपने ईष्ट-देव के प्रति कितने समर्पित हैं। यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है, जो हमारे सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है। हालाँकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मूर्तियों को ठंड नहीं लगती लेकिन श्रद्धालुओं की आस्था और उनके अटूट विश्वास के सामने यह प्रथा अद्वितीय और ख़ास है।
Take Away Points
- काशी के मंदिरों में ठंड से बचाव के लिए भगवान की मूर्तियों को गर्म कपड़े पहनाए जा रहे हैं।
- बड़े गणेश मंदिर में गणेश जी को कंबल और टोपी पहनाई गई है।
- राम जानकी मंदिर में भगवान को रंग-बिरंगे कपड़े और टोपियाँ पहनाई गई हैं।
- यह परंपरा श्रद्धालुओं की आस्था और भक्ति का प्रतीक है।
- यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है।