लखनऊ में 30 साल पुराना विवाद: क्या शिव मंदिर को किया गया है छुपाया?
क्या आप जानते हैं कि लखनऊ की एक इमारत के नीचे 30 साल से एक शिव मंदिर छिपा हुआ है? जी हाँ, आपने बिलकुल सही सुना! इस रहस्यमयी मंदिर की कहानी बेहद चौंकाने वाली है और इसने पूरे शहर में तूफ़ान मचा दिया है। इस मंदिर को लेकर विवाद तब और गहरा गया जब ब्राह्मण संसद और हिंदूवादी संगठनों ने LDA (लखनऊ विकास प्राधिकरण) के खिलाफ़ मोर्चा खोल दिया। आइये, जानते हैं इस पूरे मामले की सच्चाई।
30 साल पुराना मंदिर विवाद: तथ्य और आरोप
यह दावा किया जा रहा है कि लखनऊ के एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स की नींव के नीचे 1885 में बना शिव मंदिर है। बताया जा रहा है कि स्वर्गीय गजराज सिंह ने अपनी कमाई से इस मंदिर का निर्माण करवाया था और 1906 में अपनी वसीयत में इस मंदिर को अपनी जमीन पर संरक्षित किया था। कई दशकों तक, द्वारका प्रसाद दीक्षित और उनके वंशजों ने इस मंदिर में पूजा-अर्चना की।
लेकिन 1993-94 के बीच, एक डॉक्टर शाहिद नाम के व्यक्ति ने इस मंदिर पर कब्ज़ा कर लिया और सरकारी संरक्षण में बिना नक्शा पास कराए, वहाँ पर एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनवा दिया गया। हिंदू पक्ष के द्वारा यह भी आरोप लगाया गया है कि यह मंदिर अब कई सालों से अवैध रूप से छिपाकर रखा गया है।
LDA के दफ़्तर के सामने उठा विरोध
इस मंदिर के छिपाए जाने के खिलाफ ब्राह्मण संसद के अध्यक्ष अमरनाथ मिश्रा और तमाम हिंदूवादी संगठन LDA कार्यालय पहुँचे। उन्होंने LDA सचिव विवेक श्रीवास्तव को एक ज्ञापन दिया जिसमें उन्होंने इस मंदिर की सुरक्षा और इसकी अवैध कब्ज़े से मुक्ति दिलाने की मांग की। संतों का कहना था कि बकरीद में ऊपर बकरा कटे और नीचे भोलेनाथ अपना अपमान सहें, यह कतई बर्दाश्त नहीं होगा।
ज़मीन पर मालिकाना हक़ का दावा: न्याय की मांग
हिंदू पक्ष इस जमीन पर अपना मालिकाना हक़ का दावा करता है और आरोप लगाता है कि सरकारी अधिकारियों ने मामले में ज़रूरी कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि 1993 में तत्कालीन नगर मजिस्ट्रेट ने निर्माण कार्य रोकने का आदेश दिया था, लेकिन वह आदेश भी लागू नहीं हो सका।
उनके आरोप हैं कि 30 सालों तक उनके अधिकारों का हनन हुआ और उनकी आस्था को ठेस पहुंचाई गई। अब वो इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं और ज़मीन की सुरक्षा और अपने धार्मिक स्थल की मुक्ति की मांग कर रहे हैं। इस पूरे प्रकरण ने एक ज़रूरी सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या सरकारों ने धार्मिक स्थलों के संरक्षण में सही भूमिका निभाई है।
क्या आगे क्या?
यह मंदिर विवाद लखनऊ में एक बड़ा विवाद है, जिसने ज़मीन के अधिकारों और धार्मिक आस्थाओं पर कई सवाल खड़े किये हैं। आगे की कार्रवाई क्या होगी और इस विवाद का क्या हल निकलेगा, ये देखना बेहद दिलचस्प होगा। इस पूरे मामले में एक निष्पक्ष जांच की ज़रूरत है ताकि सच्चाई सामने आ सके और ज़िम्मेदार लोगों को ज़िम्मेदार ठहराया जा सके।
Take Away Points
- लखनऊ में एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के नीचे 30 सालों से एक शिव मंदिर छिपा होने का दावा किया जा रहा है।
- हिंदूवादी संगठनों और ब्राह्मण संसद ने LDA के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया है।
- 1993 में नगर मजिस्ट्रेट ने निर्माण कार्य रोकने का आदेश दिया था लेकिन उसे लागू नहीं किया गया।
- इस विवाद में एक निष्पक्ष जांच की ज़रूरत है।