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यूपी के कुख्यात अपराधी मुस्तफा कग्गा और उसके गैंग की कहानी: कैसे बना आतंक का पर्याय?

क्या आप जानते हैं मुस्तफा कग्गा के बारे में? पश्चिमी यूपी में आतंक का पर्याय बन चुका ये नाम, आज भी लोगों के दिलों में दहशत पैदा करता है। इस लेख में, हम आपको मुस्तफा कग्गा के जीवन, उसके गैंग के कामकाज, और उसके अंत की पूरी कहानी बताएँगे। ये एक ऐसी कहानी है जो आपको हैरान कर देगी!

मुस्तफा कग्गा: शुरुआती दिन और अपराधों का सिलसिला

मुस्तफा कग्गा, एक ऐसा नाम जो यूपी के इतिहास में काले अक्षरों में लिखा जाएगा। साल 2010 में, उसने शामली जिले के बिड़ौली चेक पोस्ट पर पुलिस पर हमला कर दिया। इस हमले में एक सिपाही की जान चली गई। ये घटना मुस्तफा के अपराधी जीवन की शुरुआत थी। इसके बाद उसने कई अपराध किए, जिसमें हत्या, लूटपाट और डकैती शामिल थीं। कग्गा एक कुशल शूटर था और वो अपने हर हमले को बहुत ही योजनाबद्ध तरीके से अंजाम देता था। पुलिस उसके पीछे हमेशा लगी रही, लेकिन वह हर बार किसी न किसी तरह बच निकलता था। कग्गा की खासियत थी यमुना खादर क्षेत्र में छिपने की उसकी क्षमता, जहाँ वो आसानी से पुलिस से बच जाता था। उसने अपने कई ठिकाने बना रखे थे और स्थानीय लोग उसे छिपाने में मदद करते थे। यह एक गहरा और खतरनाक नेटवर्क था जो पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन गया था। कग्गा की पकड़ से बचने की कला इतनी निपुण थी की उसने पुलिस को कई बार मूर्ख बनाया था।

कग्गा का यमुना खादर का गढ़

कग्गा का यमुना खादर क्षेत्र उसका सबसे बड़ा बचाव था। इस घने जंगल और नदी के क्षेत्र में वह आसानी से पुलिस की नज़रों से बच जाता था, उसे छिपने और फरार होने के लिए जगह मिल जाती थी। ये इलाका उसके लिए एक मजबूत किला सा बन गया था, जहाँ उसे पकड़ना लगभग नामुमकिन था। यहां तक कि सूचना मिलने पर भी, पुलिस को उसके ठिकानों तक पहुँचने में बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। इस जटिल भौगोलिक इलाके में पुलिस का घेराबांदी करना मुश्किल था और कग्गा की बच निकलने की क्षमता अद्भुत थी।

मुस्तफा के बाद मुकीम काला: कग्गा गैंग की कमान

मुस्तफा कग्गा की मौत के बाद, मुकीम काला ने कग्गा गैंग की कमान संभाल ली। मुकीम काला एक और बेहद खतरनाक अपराधी था जिसने कई अपराधों को अंजाम दिया था। मुकीम मुस्तफा के सबसे करीबी साथियों में से एक था। दोनों के बीच गहरा और मजबूत बंधन था। मुस्तफा के जाने के बाद मुकीम के पास उसके अनुभव, उसके साथी, और उसका नेटवर्क था। मुकीम अपने बेखौफ अंदाज और अपराध करने की बढ़ती हिम्मत के लिए जानता था। वो एक शक्तिशाली गैंग लीडर के रूप में उभरा, जिसने यूपी में दहशत का माहौल बनाया। उसने अपने अंडर कई सारे अपराधी शामिल किये। उसके अंदर इतना दम था की पुलिस के लिए भी उसे पकड़ना मुश्किल हो गया था।

मुकीम काला और साबिर चंदेरी: खौफ का आलम

मुकीम काला के साथ साबिर चंदेरी नाम का एक शार्प शूटर भी काम करता था। साबिर बेहद निपुण और सटीक निशानेबाज़ था, जिसने अपने अपराधों से पूरे इलाके में दहशत फैला रखी थी। ये दोनों एक दूसरे के बेहद भरोसेमंद साथी थे। साथ मिलकर वो कई सारे अपराध को अंजाम दिया करते थे। मुकीम और साबिर का कॉम्बिनेशन इतना खतरनाक था कि व्यापारियों में खौफ का माहौल पैदा हो गया था। उनके हमले सुनियोजित और भयावह थे, जिससे पुलिस भी डरती थी। इन दोनों अपराधियो ने कई घटनाओ को अंजाम दिया। ये दोनों मिलकर काफी बड़ी संख्या में अपराधों को अंजाम दिया करते थे। मुकीम काला और साबिर चंदेरी एक ख़तरनाक जोड़ी थे जो पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बन गये थे।

कग्गा गैंग का अंत: पुलिस का एनकाउंटर

आखिरकार, पुलिस ने मुकीम काला और साबिर चंदेरी को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, साबिर 2017 में पुलिस कस्टडी से फरार हो गया और 2018 में एक एनकाउंटर में मारा गया। मुकीम काला को 2021 में जेल में एक शूटआउट में मार दिया गया। कग्गा गैंग के प्रमुख सदस्यों की मौत के बाद, इस गैंग की ताकत काफी कम हो गई।

20 जनवरी का एनकाउंटर: अरशद का अंत

हाल ही में, शामली में एक एनकाउंटर में, मुस्तफा कग्गा गैंग के एक लाख रुपये के इनामी सदस्य अरशद समेत 4 बदमाश मारे गए। इस एनकाउंटर में पुलिस अधिकारी भी घायल हुए। इस घटना से यूपी पुलिस के लिए एक बड़ी सफलता हासिल हुई, हालाँकि गैंग की सक्रियता के कारण पुलिस को अभी भी सावधान रहने की जरुरत है।

Take Away Points

  • मुस्तफा कग्गा और उसके गैंग ने यूपी में कई सालों तक आतंक का राज चलाया।
  • कग्गा गैंग के प्रमुख सदस्य मुकीम काला और साबिर चंदेरी भी एनकाउंटर में मारे गए।
  • यूपी पुलिस ने कग्गा गैंग के खिलाफ कामयाबी हासिल की है, लेकिन अभी भी सावधानी बननी चाहिए।