नोएडा प्राधिकरण ने शहर की नई आवास परियोजनाओं में त्रिपक्षीय विक्रय समझौते को अनिवार्य करने का निर्णय लिया है। यह फैसला मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में हुई बोर्ड बैठक के बाद सीईओ लोकेश एम ने घोषित किया है। यह कदम भविष्य में होने वाली धोखाधड़ी और खरीदारों को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए उठाया गया है। इससे न केवल खरीदारों की पहचान प्रारंभिक भुगतान के समय ही दर्ज हो जाएगी, बल्कि परियोजना पूरी होने पर ही नहीं, बल्कि प्रोजेक्ट के शुरूआती चरण से ही सरकारी निगरानी भी सुनिश्चित होगी। यह कदम अनेक चुनौतियों और घोटालों का सामना कर रहे बाजार में पारदर्शिता और विश्वास बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस लेख में हम नोएडा में त्रिपक्षीय विक्रय समझौते के महत्व और उसके प्रभावों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
नोएडा में त्रिपक्षीय विक्रय समझौता: एक नया अध्याय
नोएडा प्राधिकरण द्वारा लागू किया गया त्रिपक्षीय विक्रय समझौता, रियल एस्टेट क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव है। यह समझौता खरीदार, विक्रेता (बिल्डर) और नोएडा प्राधिकरण के बीच होता है, जिससे सभी पक्षों को कानूनी सुरक्षा मिलती है। यह समझौता रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम (रेरा) की धारा 13 के अनुसार तैयार किया जाएगा, जिसमें प्रमोटरों को लिखित समझौते के बिना संपत्ति की लागत का 10% से अधिक अग्रिम भुगतान स्वीकार करने से मना किया गया है। इस समझौते से संपत्ति खरीदारों को शुरूआती भुगतान से ही अपने क्रय अधिकार का औपचारिक प्रमाण मिल जाएगा।
त्रिपक्षीय समझौते के लाभ
- धोखाधड़ी में कमी: यह समझौता विक्रेताओं को एक ही संपत्ति को कई खरीदारों को बेचने या मनमाने ढंग से बिक्री रद्द करने से रोकेगा। इससे खरीदारों को पहले से ही सुरक्षा मिलेगी।
- पारदर्शिता में वृद्धि: सरकार को स्टांप ड्यूटी के रूप में राजस्व में वृद्धि होगी क्योंकि भुगतान के हर चरण में पैसे की आवाजाही सरकार के पास दर्ज होगी।
- कानूनी सुरक्षा: इससे खरीदारों को कानूनी रूप से सुरक्षित महसूस होगा क्योंकि सभी लेन-देन आधिकारिक और पंजीकृत होंगे।
- सरकारी निगरानी: इस समझौते से परियोजना विकास पर सरकार की निगरानी मजबूत होगी, जिससे परियोजनाओं में पारदर्शिता बढ़ेगी।
समझौते की प्रक्रिया और महत्वपूर्ण बिंदु
त्रिपक्षीय समझौते में प्रारंभिक भुगतान के समय रजिस्ट्री विभाग के माध्यम से समझौते का क्रियान्वयन किया जाएगा, जहां 2% स्टांप शुल्क अग्रिम रूप से दिया जाएगा। शेष राशि कब्ज़ा और अंतिम पंजीकरण पर देय होगी। यह सुनिश्चित करेगा कि लेनदेन पारदर्शी और जवाबदेह हो। सरल स्टांप पेपर पर अनौपचारिक समझौते के स्थान पर, अब सभी लेनदेन आधिकारिक और पंजीकृत होंगे। यह प्रक्रिया न केवल खरीदारों के हितों की रक्षा करती है, बल्कि सरकार को स्टांप ड्यूटी राजस्व में भी वृद्धि करने में मदद करती है।
प्रक्रिया में सुधार और पारदर्शिता
नया समझौता उन खामियों को दूर करता है जिनके कारण खरीदार कब्ज़ा लेने से पहले बिल्डरों को संपत्तियां वापस बेच देते थे, जिससे स्टांप ड्यूटी शुल्क से बचा जा सकता था। अब इस तरह की अवैध गतिविधियों पर रोक लगेगी और सरकारी राजस्व बढ़ेगा। नोएडा प्राधिकरण लेनदेन की प्रक्रिया के शुरू से ही इसमें शामिल होगा, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी।
रियल एस्टेट क्षेत्र पर प्रभाव और भविष्य
इस कदम का नोएडा के रियल एस्टेट बाजार पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। यह बाजार में विश्वास बढ़ाएगा और भविष्य में होने वाली धोखाधड़ी को रोकेगा। यह उपाय खरीदारों और विक्रेताओं दोनों के हितों की रक्षा करेगा, जिससे रियल एस्टेट बाजार में स्थिरता और विश्वास आएगा। इसके साथ ही, यह सरकारी राजस्व को भी बढ़ाएगा और रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता को बढ़ावा देगा।
दीर्घकालिक लाभ
त्रिपक्षीय विक्रय समझौता नोएडा में रियल एस्टेट बाजार को और व्यवस्थित करने और विक्रेताओं और खरीदारों दोनों के लिए पारदर्शिता सुनिश्चित करने में मदद करेगा। यह भविष्य के लिए एक सकारात्मक बदलाव होगा, जिससे खरीदारों को बेहतर संरक्षण और अधिक सुरक्षा प्रदान की जा सकेगी।
निष्कर्ष: मुख्य बातें
- नोएडा में सभी नई आवास परियोजनाओं के लिए त्रिपक्षीय विक्रय समझौता अनिवार्य होगा।
- यह समझौता रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम (रेरा) के अनुरूप होगा।
- इससे धोखाधड़ी में कमी आएगी, पारदर्शिता बढ़ेगी और सरकारी राजस्व में वृद्धि होगी।
- यह समझौता खरीदारों को सुरक्षा और कानूनी संरक्षण प्रदान करेगा।
- इससे रियल एस्टेट क्षेत्र में विश्वास और स्थिरता आएगी।