46 साल बाद मिला इंसाफ: संभल दंगों के पीड़ितों को वापस मिली उनकी जमीन
क्या आप जानते हैं 1978 के संभल दंगों में विस्थापित हुए परिवारों को 46 लंबे सालों बाद न्याय मिला है? जी हाँ, आपने सही सुना! एक ऐसा मामला जहां पीड़ितों ने अपनी जमीन वापस पाने की उम्मीद लगभग छोड़ दी थी, वहां एक अद्भुत मोड़ आया है। यह कहानी संभल जिले के उन हिन्दू परिवारों की है जिन्हें 1978 के साम्प्रदायिक दंगों के बाद अपना घर-बार छोड़कर जाना पड़ा था। कई सालों तक बेघर रहने और अन्याय झेलने के बाद, इन परिवारों ने अंततः अपनी खोई हुई ज़मीन फिर से हासिल कर ली है। आइए, जानते हैं इस ऐतिहासिक फैसले की पूरी कहानी…
दंगों की विभीषिका और पलायन
1978 में हुए संभल दंगे एक भयावह त्रासदी थे जिसने कई परिवारों को तबाह कर दिया था। तुलसीराम, जिनकी उस दंगे में हत्या कर दी गई थी, उनका परिवार सहित दो अन्य परिवार इस घटना के बाद अपना सब कुछ छोड़कर भागने को मजबूर हो गए थे। अपनी ज़मीन और घर को पीछे छोड़कर, उन्होंने वर्षों तक बेघर-बेबस जिंदगी बिताई। उनके दिलों में बस एक ही ख्वाहिश रह गई- अपने पैतृक स्थान पर लौटने की। लेकिन सालों तक मुस्लिम परिवारों ने उनकी जमीन पर कब्ज़ा कर रखा था।
कार्तिकेय मंदिर और उम्मीद की किरण
एक दिलचस्प मोड़ तब आया जब 14 दिसंबर को खग्गू सराय इलाके में कार्तिकेय महादेव मंदिर के 46 साल बाद कपाट खुले। इस घटना ने 1978 के दंगों के बारे में फिर से चर्चा छेड़ दी। इस चर्चा के बाद ही पीड़ित परिवारों को अपनी ज़मीन वापस पाने की एक नई उम्मीद जागी। उन्होंने एसडीएम वंदना मिश्रा से मिलकर अपनी जमीन पर हुए कब्जे की शिकायत की।
जमीन पर चला स्कूल, लेकिन फिर भी…
जब एसडीएम और पुलिस अधिकारियों की एक टीम पीड़ित परिवारों के साथ जमीन पर पहुंची, तो उन्हें वहां एक स्कूल चलता हुआ मिला। लेकिन, जांच करने पर पता चला कि पीड़ित परिवारों की जमीन स्कूल के अलावा भी है। राजस्व विभाग की टीम ने जमीन की पैमाइश की, और फिर आश्चर्यजनक रूप से पीड़ित परिवारों को उनकी 10 हज़ार वर्ग फीट ज़मीन का मालिकाना हक दे दिया गया।
पीड़ितों की जुबानी… आशा और निराशा दोनों
आशा देवी, एक पीड़ित परिवार की महिला, बताती हैं कि दंगे के बाद से उनकी ज़मीन पर मुस्लिमों का कब्ज़ा था। हर बार जब वे अपनी ज़मीन देखने के लिए आते, तो स्कूल की बात कहकर उन्हें भगा दिया जाता था। लेकिन, अब उन्हें न्याय मिलने पर उन्हें एक नई आशा और भविष्य दिखाई दे रहा है। अमरेश कुमार ने बताया की उनके दादाजी की दंगे में हत्या हुई थी और उसके बाद से वे सभी लोग बेघर हो गए थे, पर अब उन्हें अपनी ज़मीन वापस मिलने की उम्मीद जग गई है।
एसडीएम का बयान और आगे की राह
एसडीएम वंदना मिश्रा के अनुसार, परिवारों ने एक शिकायती पत्र दिया था और बताया था कि विद्यालय समिति ने अवैध रूप से उनकी ज़मीन पर कब्ज़ा किया है। मौके पर पहुँचकर पैमाइश की गई, और उनके दावे सही पाए गए। इस ज़मीन में से 10 हज़ार वर्ग फुट भूमि पीड़ित परिवार को दी गई है।
टेक अवे पॉइंट्स
- 46 साल बाद संभल दंगों के पीड़ितों को न्याय मिला है।
- पीड़ित परिवारों को उनकी 10,000 वर्ग फीट जमीन वापस मिल गई है।
- एसडीएम और पुलिस विभाग ने जमीन का कब्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- यह फैसला साम्प्रदायिक सौहार्द बनाए रखने और न्याय व्यवस्था में विश्वास को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।