उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) द्वारा आगामी समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी (RO/ARO) और UPPSC परीक्षा के संचालन को लेकर सैकड़ों अभ्यर्थियों ने प्रयागराज में आयोग के कार्यालय के बाहर 21 अक्टूबर, 2024 को विरोध प्रदर्शन किया। अभ्यर्थियों का आरोप है कि आयोग अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए परीक्षा को एकाधिक पालियों में आयोजित करना चाहता है। उनका कहना है कि एकाधिक पालियों में परीक्षा होने पर अंकों का सामान्यीकरण किया जाएगा, जिसके परिणामस्वरूप किसी विशिष्ट पाली में उपस्थित होने वाले उम्मीदवारों के अंक बढ़ या घट सकते हैं, जो “अनुचित” है और अन्य उम्मीदवारों के हितों को नुकसान पहुँचाता है। यह मामला अत्यंत गंभीर है और UPPSC परीक्षा की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है। आइये, विस्तार से जानते हैं इस मुद्दे के विभिन्न पहलुओं को।
UPPSC परीक्षा में एकाधिक पालियों का विरोध
एक पाली, एक दिन परीक्षा की मांग
अभ्यर्थियों का प्रमुख आग्रह है कि UPPSC और RO/ARO परीक्षाएँ एक ही पाली और एक ही दिन में आयोजित की जाएँ। उनका तर्क है कि UPPSC ने अपनी स्थापना के बाद से हमेशा एक पाली और एक दिन में परीक्षाएँ आयोजित की हैं। लेकिन अब परीक्षा की तारीख में तीसरी बार बदलाव किया गया है और उस पर दो दिनों में दो पालियों में परीक्षा कराना उचित प्रक्रिया नहीं है। यह परिवर्तन अभ्यर्थियों के लिए मानसिक तनाव का कारण बन रहा है। एकाधिक पालियों में परीक्षा आयोजित करने से सामान्यीकरण प्रक्रिया की जटिलताओं के कारण अंक बढ़ने या घटने की संभावना रहती है, जिससे परीक्षा की निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं। इसलिए, वे एक ही पाली में परीक्षा कराने की मांग कर रहे हैं, ताकि सभी अभ्यर्थियों को समान अवसर मिल सके।
प्रश्नपत्र लीक होने की आशंका
अभ्यर्थियों का यह भी कहना है कि एकाधिक पालियों में परीक्षा आयोजित करने से प्रश्नपत्र लीक होने की संभावना बढ़ जाती है। एक ही पाली में परीक्षा आयोजित करने से प्रश्नपत्र लीक होने की आशंका कम होती है। RO/ARO पेपर में लगभग 12 लाख उम्मीदवार शामिल होने की संभावना है, जिसे इस वर्ष के शुरू में कथित प्रश्नपत्र लीक होने के कारण रद्द कर दिया गया था। यह घटना परीक्षा प्रणाली में व्याप्त कमजोरियों का प्रतीक है और एक ही पाली में परीक्षा इस कमजोरी को कम करने में मददगार हो सकती है।
सरकार और आयोग पर निशाना
अभ्यर्थियों ने उत्तर प्रदेश सरकार और लोक सेवा आयोग पर अपनी मांगों को अनदेखा करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि लगभग एक साल से उनका समय बर्बाद हो रहा है और सरकार और आयोग इस समस्या के प्रति गंभीर नहीं है। विपक्षी कांग्रेस ने भी UPPSC के रवैये की आलोचना की है और सरकार को अभ्यर्थियों की मांगों पर ध्यान देने की अपील की है। विरोध प्रदर्शन इस बात का प्रमाण है कि शासन और आयोग ने अभ्यर्थियों के साथ न्याय नहीं किया है। उन्होंने उम्मीदवारों के भावी जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
समाधान की राह
इस समस्या का समाधान सरकार और UPPSC के बीच एक सकारात्मक वार्तालाप से ही हो सकता है। सरकार को अभ्यर्थियों की चिंताओं को समझना होगा और पारदर्शी और निष्पक्ष परीक्षा प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। एक समिति का गठन कर इस मामले का जल्द से जल्द निष्पक्ष समाधान निकाला जा सकता है। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि भविष्य में ऐसी स्थिति न पैदा हो।
भविष्य के लिए सुझाव
- UPPSC को अपनी परीक्षाओं के आयोजन की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए।
- प्रश्नपत्र लीक रोकने के लिए उचित सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए।
- अभ्यर्थियों की शिकायतों के निवारण के लिए एक प्रभावी तंत्र स्थापित करना जरुरी है।
- परीक्षा प्रक्रिया में तकनीकी सुधारों को लागू किया जाना चाहिए ताकि यह प्रक्रिया अधिक कुशल और पारदर्शी हो सके।
मुख्य बिन्दु:
- UPPSC परीक्षा में एकाधिक पालियों के विरोध में अभ्यर्थियों ने किया विरोध प्रदर्शन।
- अभ्यर्थियों की मांग है कि परीक्षा एक ही पाली में आयोजित की जाए।
- एकाधिक पालियों में परीक्षा आयोजित करने से प्रश्नपत्र लीक होने का खतरा बढ़ जाता है।
- सरकार और UPPSC पर अभ्यर्थियों की चिंताओं को अनदेखा करने का आरोप।
- इस समस्या के समाधान के लिए सरकार और आयोग को मिलकर काम करने की जरूरत है।