भारत और जर्मनी के बीच मज़बूत होते संबंधों ने हाल ही में कई सहयोगों के माध्यम से नई ऊंचाइयों को छुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में जर्मन व्यापार के 18वें एशिया-प्रशांत सम्मेलन में इस बात पर प्रकाश डाला है। उन्होंने इस गहरे संबंध को और मज़बूत करने के लिए कई पहलों का ज़िक्र किया, जिससे द्विपक्षीय व्यापार और सहयोग के नए आयाम खुल रहे हैं।
भारत-जर्मनी संबंधों का गहनता से विकास
रणनीतिक साझेदारी का 25वाँ वर्ष
वर्तमान वर्ष भारत और जर्मनी के बीच रणनीतिक साझेदारी के 25 वर्ष पूरे होने का प्रतीक है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस ऐतिहासिक क्षण का उल्लेख करते हुए अगले 25 वर्षों में इस साझेदारी को और ऊंचाइयों पर ले जाने के अपने दृष्टिकोण को रेखांकित किया। उन्होंने “विकसित भारत” के लिए तैयार किए गए रोडमैप के बारे में भी चर्चा की, जिसमें जर्मनी एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में उभर रहा है। यह साझेदारी न केवल राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि रक्षा और तकनीकी क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। संयुक्त सैन्य अभ्यास और जर्मन नौसेना के गोवा में बंदरगाह पर आगमन ने द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग को मज़बूत किया है। यह साझेदारी भविष्य में वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में दोनों देशों की क्षमता को बढ़ाएगी।
“फोकस ऑन इंडिया” दस्तावेज़: एक नए युग की शुरुआत
जर्मन मंत्रिमंडल द्वारा जारी “फोकस ऑन इंडिया” दस्तावेज़ ने भारत और जर्मनी के बीच सहयोग के नए आयाम खोले हैं। यह दस्तावेज़ दो मज़बूत लोकतांत्रिक देशों और अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं के बीच वैश्विक कल्याण के लिए सहयोग के तरीके को रेखांकित करता है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस दस्तावेज़ का स्वागत करते हुए कहा कि यह रणनीतिक साझेदारी को व्यापक तरीके से आगे बढ़ाने के दृष्टिकोण और प्रतिबद्धता को दर्शाता है। विशेष रूप से, जर्मनी द्वारा भारत के कुशल जनशक्ति में दिखाए गए विश्वास पर ज़ोर दिया गया। इस दस्तावेज़ में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, निवेश, और संयुक्त शोध एवं विकास जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाने का लक्ष्य है। यह वैश्विक स्थिरता और विकास को मज़बूत करने के लिए दोनों देशों के बीच तालमेल का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।
आर्थिक सहयोग और व्यापार में तेज़ी
द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि
भारत और जर्मनी के बीच द्विपक्षीय व्यापार 30 बिलियन डॉलर से अधिक पहुँच गया है। सैकड़ों जर्मन कंपनियां भारत में निवेश कर रही हैं, और भारतीय कंपनियाँ जर्मनी में अपनी उपस्थिति तेज़ी से बढ़ा रही हैं। यह बढ़ता व्यापार दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं के विकास को मज़बूत करेगा और रोज़गार के अवसर पैदा करेगा। यह विकास एक ऐसे समय में हो रहा है जब भारत विश्व व्यापार और विनिर्माण का एक प्रमुख केंद्र बन रहा है। जर्मन कंपनियों के लिए “मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड” रणनीति का लाभ उठाने का यह अनुकूल समय है।
कुशल भारतीय श्रमिकों के लिए वीज़ा में वृद्धि
जर्मनी द्वारा कुशल भारतीय श्रमिकों के लिए वीज़ा की संख्या 20,000 से बढ़ाकर 90,000 करने का फैसला भारत-जर्मनी संबंधों में एक और महत्वपूर्ण कदम है। प्रधानमंत्री मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि इससे जर्मनी के विकास को नया बल मिलेगा। यह कदम दोनों देशों के बीच मानव संसाधन के आदान-प्रदान को और बढ़ावा देगा, जिससे ज्ञान और तकनीकी आदान-प्रदान सुगम होगा। यह निर्णय प्रौद्योगिकी, अनुसंधान और विकास, और अन्य क्षेत्रों में सहयोग के लिए नए रास्ते खोलेगा।
वैश्विक मंच पर सहयोग
दोनों देशों का वैश्विक भूमिका में संयुक्त योगदान
भारत और जर्मनी दोनों ही प्रमुख लोकतांत्रिक देश हैं और वैश्विक मंच पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनके बीच गहरे संबंध वैश्विक स्थिरता और विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह साझेदारी जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, और वैश्विक स्वास्थ्य जैसे वैश्विक मुद्दों पर सहयोग के अवसर पैदा करती है। भविष्य में समन्वित नीतियों और कार्यों के माध्यम से वैश्विक चुनौतियों से सामना करने में मज़बूत भूमिका निभाने की क्षमता रखते हैं ये दोनों देश।
टेकअवे पॉइंट्स:
- भारत और जर्मनी के बीच रणनीतिक साझेदारी लगातार मज़बूत हो रही है।
- “फोकस ऑन इंडिया” दस्तावेज़ द्विपक्षीय सहयोग के लिए एक रोडमैप प्रदान करता है।
- द्विपक्षीय व्यापार में तेज़ी से वृद्धि हो रही है।
- कुशल भारतीय श्रमिकों के लिए वीज़ा में वृद्धि से दोनों देशों को लाभ होगा।
- भारत और जर्मनी वैश्विक मंच पर मिलकर काम कर रहे हैं।