Ismail Haniyeh : हाल में इजरायल द्वारा लेबनान, ईरान और इराक में की गई सैन्य कार्रवाइयों ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है। इजरायल ने इन तीन देशों में घुसकर उनके शीर्ष नेताओं की हत्या कर दी। इजरायल ने तीन अलग-अलग देशों, लेबनान, ईरान और इराक में घुस कर उनके तीन शीर्ष नेताओं की हत्या कर दी। सबसे पहले, हमास के मुख्य राजनीतिक नेता, इस्माइल हानियेह, जिनकी तेहरान में उनके आवास पर उनके एक अंगरक्षक के साथ हत्या कर दी गई थी। अब तक इजरायल ने हमास के शीर्ष पांच नेताओं में से तीन को निशाना बना के मार डाला।
दूसरा, हिजबुल्लाह के नंबर दो नेता फुआद शुकुर, हज मोहम्मदन, जो 1983 में 241 अमेरिकी नौसैनिकों की मौत के लिए जिम्मेदार थे और वर्तमान में फुटबाल मैदान में इसराइली बच्चों की मौत का मुख्य साजिश कर्ता भी था, उसे भी कल रात बेरूत में निशाना बनाकर मार डाला गया।
तीसरा, इराक में ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के कमांडर इस्माइल कानी है, जिसे ड्रोन स्ट्राइक के द्वारा नर्क में पहुंचा दिया गया हैं।
जब 7 अक्टूबर को हमास की तरफ से इजरायल पर हुए हमले के बाद इजरायल ने हमास को खत्म करने की कसम खाई थी, तभी से इजरायल लगातार हमास आतंकियों पर कार्रवाई कर रहा है. हमास के हमले में 1200 इजरायली नागरिकों की मौत हो गई थी और 250 अन्य को बंधक बना लिया था।
इन कार्रवाइयों के पीछे इजरायल के सुरक्षात्मक दृष्टिकोण और आतंकवादी समूहों से खतरे की वजह हो सकती है। इजरायल का हमेशा से यह मानना रहा है कि वह अपने राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने का अधिकार रखता है।
लेबनान, ईरान और इराक के नेता, जो कि विभिन्न राजनीतिक और धार्मिक मतों का प्रतिनिधित्व करते हैं, की हत्याओं ने निश्चित रूप से इन देशों में तनाव को बढ़ाया है। इससे न केवल इन देशों के अंदर बल्कि पूरे मध्य पूर्व में राजनीतिक माहौल पर भी गहरा असर पड़ सकता है।
अंतरराष्ट्रीय संबंधों में यह घटनाएँ एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखी जा रही हैं। कई विशेषज्ञों का मानना है कि इन कार्रवाइयों के परिणामों से इजरायल की स्थिति तो प्रभावित होगी ही, लेकिन इसका प्रभाव उन देशों के साथ-साथ व्यापक क्षेत्रीय सुरक्षा पर भी पड़ सकता है। यह ना केवल तत्काल प्रभावों को प्रभावित करेगा, बल्कि भविष्य में अंतर्राष्ट्रीय राजनीति की धारा को भी बदल सकता है।