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अनोखा बैंक, जो बिना एटीएम या चेकबुक के चलता है, यहां चलती भगवान राम की मुद्रा

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प्रयागराज । बुरे समय में दान-पुण्य तथा राम का नाम ही काम आता है- धर्म अनुसार हर व्यक्ति को अपनी कमाई का कुछ न कुछ भाग धार्मिक कार्यों, मानव सेवा, सार्वजनिक कार्यों अथवा गरीब याचकों की सहायता के रूप में अवश्य खर्च करना चाहिए।
कहते हैं मानव के आड़े वक्त (बुरे समय में) में उसका यह किया गया दान-पुण्य ही काम आता है। प्रयागराज में लगे अर्धकुंभ में एक ऐसा अनोखा बैंक है जो बिना किसी एटीएम या चेकबुक के चलता है।

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यहां सिर्फ भगवान राम की मुद्रा चलती है और ब्याज के रूप में आत्मिक शांति मिलती है। इसका नाम राम बैंक है। जो सैक्टर 6 में स्थित है। राम नाम बैंक देश-विदेश से आए हुए श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है।

संकट क्या होता है, यह सच्चे राम भक्त जानते ही नहीं! ऐसा भी देखा गया है कि कभी-कभी व्यक्ति को अचानक से ऐसी उपलब्धि हासिल हो जाती है जिसके बारे में न तो उसने कभी सोचा होता है और न ही वह उसके काबिल होता है। उससे भी ज्यादा योग्य व्यक्ति उस उपलब्धि अथवा पुरस्कार से वंचित रह जाते हैं। उसको यह उपलब्धि राम नाम के पुण्य प्रताप से ही प्राप्त होती है।

संगम स्नान करने के बाद श्रद्धालु यहां बैठकर भगवान राम का नाम लिखते हैं तथा लोक के साथ परलोक संवारने वाला खाता खुलवाकर प्रस्थान करते हैं। कुंभ में बना प्रयागराज का राम नाम बैंक एकमात्र ऐसा बैंक है जहां सभी समुदाय के लोग एकजुट होकर कौमी एकता के लिए राम नाम लिखते हैं। भक्तों की यहां मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और भक्त राम नाम लिखकर यहां संग्रह करते हैं और अपना खाता खुलवाते हैं।

राम नाम की महिमा तो हर युग में रही है, पर कलियुग में तो कुछ खास ही है, जप-तप, योग-जुगत के सारे पराक्रम राम नाम में समाए हैं। राम नाम को महामन्त्र राज कहा गया है, तनावरहित जीवन व्यतीत करने के लिए, परिवार में, घर में सुख-शान्ति प्राप्त करने के लिए राम नाम एक सरल अचूक औषधि है। जीवन में जितना ज्यादा राम नाम लिखते जाए, कष्ट उतना कम होता जाएगा। भगवान शंकर पार्वतीजी से कहते हैं, ”हे सुमुखि! रामनाम विष्णु सहनाम के तुल्य है। मैं सर्वदा ‘राम राम, राम’ इस प्रकार मनोरम राम नाम में ही रमण करता हूं।

राम नाम से दूर होती है अनिष्ट ग्रहों की पीड़ा – राम नाम का जप करने से और लाल रंग की स्याही से श्रीराम का नाम लिखने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैैं जिससे शनि, राहु, केतु, अशुभ ग्रहों के असहनीय प्रकोपोें से राहत मिलती है। श्री राम का नाम लेने अथवा लिखने मेें इतनी शक्ति होती है कि मुश्किल से मुश्किल लगने वाले काम सरलतापूर्वक सम्पन्न हो जाते हैैं।

आनन्द रामायणम के अनुसार राम नाम जप की अपेक्षा सौ गुना अधिक पुण्य ”राम नाम“ लिखने मेें है। राम नाम लाल रंग की स्याही से लिखने से मन एकाग्र होता है तथा स्मरण शक्ति की वृद्धि होती है। संसार में ‘राम’ नाम से बढ़कर कुछ भी नहीं है, ‘रा’ उच्चारण करने से सब पाप बाहर निकल जाते हैं। ‘म’ के उच्चारण से कपाट बंद हो जाते हैं, जिससे पाप फिर नहीं आ सकता।

पत्थर पर राम का नाम लिखकर समुद्र के पानी में फेंक देने से जब पत्थर तैरने लग गया तो भला जो मानव राम का नाम हृदय में बसा लेगा, वह तो भवसागर से निश्चित ही तर जाएगा। हारी बीमारी में जैसे जमा धन काम आता है वैसे ही मुसीबत पड़ने पर राम धन काम आता है। ”राम नाम कलि अभिमत दाता“ अर्थात् इस घोर कलियुग में केवल राम नाम समस्त मनोरथ पूर्ण करने वाला है।

श्रीराम नाम लेखन इस युग में भक्त की समस्त इच्छाऐं पूरी करता है। जब कलियुग में श्रीराम नाम ही तारक है तब क्यों न इस पवित्र नाम का सहारा लेकर जीवन को सुखमय बनाया जाए। श्री राम के नाम का लेखन करने से हाथ पवित्र होते हैं और जब आप श्रीराम नाम का उच्चारण करते हैं तब जिह्ना पवित्र होती है।

इसके पश्चात श्रीराम नाम लिखने से अंर्तात्मा में श्रीराम का तेज जाग्रत होने लगता है। कभी-कभी दुर्घटना से भी आदमी बच जाता है तो घर की गृहणियां कहती हैं कि न जाने कौन-सा पुण्य कर्म किया जो दुर्घटना से बच गए। भगवान राम का नाम स्वयं लिखना और दूसरों से लिखवाने के लिए प्रेरित करने वाले की प्रभु चोट-चपेट, दुर्घटना आदि से रक्षा करते हैैं।

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